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yogesh atmaram ambawale
कायदे येतात आडवे नाहीतर खूप काही लिहावं नि खूप काही बोलावं वाटतंय, आहे जो राग बलात्कारी नराधमांनबद्दल तो सर्वांसमोर मांडावा वाटतोय. करतात जे नराधम अत्याचार स्त्रियांवर, त्यांना जनतेसमोरच लटकवा फासावर. श्रद्धांजली म्हणून मेणबत्ती का जाळावे, कायदा असा असावा सर्व समाजाने एकत्र येऊन त्या नराधमांस जाळावे. न्यायालय शिक्षा ठोठावेल म्हणून तुरुंगात का बंद करावे, त्यापेक्षा घेउनी बाहेर ह्यांना रस्त्यावरच गोळ्या घालावे. कुठलीच सजा ह्या नराधमांची गुप्त नसावी, कायद्याने दिलेली कुठलीही सजा ही जनतेसमोरच व्हावी. बोलावं वाटतंय खूप, खूप काही लिहावं वाटतंय, नराधम,अत्याचाऱ्यांना कुठलीही शिक्षा न्यायालयीन न ठेवता , ती समाजानेच द्यावी असं वाटतंय. शुभ संध्या मित्रहो आजचा विषय आहे बोलावं वाटतयं... #बोलावंवाटतयं हा विषय Manisha Phulpagar यांचा आहे. #collab #yqtaai Best YQ Marathi Quote
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read moreyogesh atmaram ambawale
असेच घडले पाहिजे.. न्याय झाला हे महत्त्वाचं, खरे की खोटे का तपासायच. नेहमी असंच व्हावं, नराधमान असंच मरावं. कायद्यानं ही हेच करावं ताबडतोब निकाल द्यावं. आनंद कुणाच्या तरी मरण्याचं, असंच उत्तर रहावं कायद्याचं. कडक कायदा असावाच स्त्रियांच्या पाठीशी, पाचावर बसेल दुष्कृत्य करताना ह्या नराधमांची. असेच घडावे #मराठीलेखणी #withcollabratingYourQuoteAndMine #yqtaai #yqmarathi #yourquotetaai #collab #माझेविचार #yqquotes न्याय झाला हे महत्त
असेच घडावे #मराठीलेखणी #withcollabratingYourQuoteAndMine #yqtaai #yqmarathi #yourquotetaai #Collab #माझेविचार #yqquotes न्याय झाला हे महत्त
read moreबी.सोनवणे
(सुधाकरी अभंग रचना) निर्भया पथक "निर्भया पथका" । द्या एकच हाक । पडेलं तो धाक । नराधमा...॥१॥ कोण हो पाहीलं । दृष्टं नजरेनं । रक्षणा राहेनं । खाकी वर्दी...॥२॥ मनी हा विश्वास । नकोच हो डर । जगूया निडर । समाजात...॥३॥ पुरे झाले असे । षंड दृष्ट कृत्यं । निचं हे प्रवृत्त्यं । नालायका...॥४॥ "निर्भया पथक" । सदा रक्षणार्थं । आमच्या सेवार्थं । आहे आता...॥५॥ लचके तोडालं । जर तुम्ही पुन्हां । माफ नाही गुन्हां । समजलं...॥६॥ तिथेचं मिळेलं । जो केला अन्याय । लगेचं तो न्याय । नराधमा...॥७॥ ✒बी.सोनवणे मुंबई (सुधाकरी अभंग रचना) निर्भया पथक "निर्भया पथका" । द्या एकच हाक । पडेलं तो धाक । नराधमा...॥१॥ कोण हो पाहीलं । दृष्टं नजरेनं ।
(सुधाकरी अभंग रचना) निर्भया पथक "निर्भया पथका" । द्या एकच हाक । पडेलं तो धाक । नराधमा...॥१॥ कोण हो पाहीलं । दृष्टं नजरेनं ।
read moreHINDI SAHITYA SAGAR
हाय! हर पल हो रही इस पीर का क्या अंत नहीं? क्रूर नज़रों से टटोलती नज़र का क्या अंत नहीं? नर नहीं है वह नराधम है पिशाच जीवंत नहीं। कर सके जो भर्त्सना न कुंठित कुत्सित कृत्य की। -शैलेन्द्र ©HINDI SAHITYA SAGAR #lonely हाय! हर पल हो रही इस पीर का क्या अंत नहीं? क्रूर नज़रों से टटोलती नज़र का क्या अंत नहीं? नर नहीं है वह नराधम है पिशाच जीवंत नहीं। कर
HINDI SAHITYA SAGAR
हाय! हर पल हो रही इस पीर का क्या अंत नहीं। क्रूर नज़रों से टटोलती नज़र का क्या अंत नहीं। हो सके यह देखता रह जाये यूँही वो नर नहीं, कर सके न भर्त्सना कुत्सित कुंठित कृत्य की। नर नहीं नराधम है वह नर पिशाच है जीवंत नहीं। ©HINDI SAHITYA SAGAR #Likho हाय! हर पल हो रही इस पीर का क्या अंत नहीं। क्रूर नज़रों से टटोलती नज़र का क्या अंत नहीं। हो सके यह देखता रह जाये यूँही वो नर नहीं, कर
#Likho हाय! हर पल हो रही इस पीर का क्या अंत नहीं। क्रूर नज़रों से टटोलती नज़र का क्या अंत नहीं। हो सके यह देखता रह जाये यूँही वो नर नहीं, कर #Hindi #vichar #hindi_poetry #विचार #hindi_shayari #hindisahityasagar
read moreDr Jayanti Pandey
जब धर्म और राष्ट्र पर कोई दुश्मन नज़र गड़ाता है हर युग, किसी नये नायक को ललकार लगाता है मातृभूमि वो जज्बा है जो फ़ौलादी ज़िगर लाता है सियारों के झुंड में वो अकेला शेर नज़र आता है यही हमारे देश और सनातन संस्कृति का मिज़ाज है हीरे की चमक सही वक्त पर, वक्त ही दिखाता है सौ करोड़ से ज्यादा लोगों का टीकाकरण करने का महती कार्य संपन्न करने की भारतवर्ष को बधाई।जब भी हम संगठित होकर लड़े , अवश्य जीते। आगे भी जंग लं
सौ करोड़ से ज्यादा लोगों का टीकाकरण करने का महती कार्य संपन्न करने की भारतवर्ष को बधाई।जब भी हम संगठित होकर लड़े , अवश्य जीते। आगे भी जंग लं #yqbaba #Collab #midnightthoughts #YourQuoteAndMine #quotestitchers #yqquotestitchers #jayakikalamse
read moreyogesh atmaram ambawale
खूप खुश होतो,गगनात मावेनासा आनंद झाला होता, कारणच तसे होते,बाप झालो होतो मी,घरी कन्यारत्न आला होता. नंतर जशी जशी मुलगी मोठी होत गेली आनंद कमी होत,काळजीच जास्त वाटू लागली. काळजात धस्स होते जेव्हा स्त्री वरील अत्याचाराच्या बातम्या वाचतो, कित्येक नराधम लोकांनी भरली आहे ही दुनिया हे चांगलंच समजतो. साठ वर्षाच्या वृद्धेपासून ते सहा महिन्यांच्या बालिकेपर्यंत इथे कुणीच सुरक्षित नाही, समजत नाही मुलीच्या सुरक्षेसाठी काय करावे नि काय नाही. कसे सांगावे तिला पोरी जरा जपून, बाहेरच्या ह्या जगात कित्येक नराधम बसलेत टपून. ह्या बेभरवश्याच्या दुनियेत बहुतेकांच्या वागण्यात नुसतीच थाप आहे, चांगलेपणाचा आव आणतात नि नजरेत लपवून पाप आहे. शुभ संध्या मित्रहो आताचा विषय आहे पोरी जरा जपून.. harshala patil यांचा हा विषय आहे #पोरीजराजपून #collab #yqtaai Best YQ Marathi Quotes पेज ल
शुभ संध्या मित्रहो आताचा विषय आहे पोरी जरा जपून.. harshala patil यांचा हा विषय आहे #पोरीजराजपून #Collab #yqtaai Best YQ Marathi Quotes पेज ल #YourQuoteAndMine
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हाय! हर पल हो रही इस पीर का क्या अंत नहीं? क्रूर नज़रों से टटोलती नज़र का क्या अंत नहीं? नर नहीं है वह नराधम है पिशाच जीवंत नहीं। कर सके जो भर्त्सना न कुंठित कुत्सित कृत्य की। क्या कभी होगा उदय न रवि जो अस्ताचल गया? क्या कभी होगा न सुरभित पुष्प जो मुरझा गया? क्या कभी बरसेगा न पहले सा वह सावन यहाँ? क्या कभी होगा न अब पहले से वह मौसम यहाँ? - शैलेन्द्र राजपूत ©HINDI SAHITYA SAGAR हाय! हर पल हो रही इस पीर का क्या अंत नहीं? क्रूर नज़रों से टटोलती नज़र का क्या अंत नहीं? नर नहीं है वह नराधम है पिशाच जीवंत नहीं। कर सके जो भर
हाय! हर पल हो रही इस पीर का क्या अंत नहीं? क्रूर नज़रों से टटोलती नज़र का क्या अंत नहीं? नर नहीं है वह नराधम है पिशाच जीवंत नहीं। कर सके जो भर #Hindi #SAD #poem #hindi_quotes #hindi_poetry #समाज #hindi_poem #hindisahityasagar #poetshailendra
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हाय! हर पल हो रही इस पीर का क्या अंत नहीं? क्रूर नज़रों से टटोलती नज़र का क्या अंत नहीं? नर नहीं है वह नराधम है पिशाच जीवंत नहीं। कर सके जो भर्त्सना न कुंठित कुत्सित कृत्य की। क्या कभी होगा उदय न रवि जो अस्ताचल गया? क्या कभी होगा न सुरभित पुष्प जो मुरझा गया? क्या कभी बरसेगा न पहले सा वह सावन यहाँ? क्या कभी होगा न अब पहले से वह मौसम यहाँ? सूखकर डाली से निस्संग होता है पत्ता जहाँ, पल्लवन होता नवल कोंपल का आया है सदा। उत्कर्ष जिसका आज है अपकर्ष होगा कल सदा। पूर्व में उत्थान रवि का तो अवसान पश्चिम में सदा। ©HINDI SAHITYA SAGAR #moonnight हाय! हर पल हो रही इस पीर का क्या अंत नहीं? क्रूर नज़रों से टटोलती नज़र का क्या अंत नहीं? नर नहीं है वह नराधम है पिशाच जीवंत नहीं।
#moonnight हाय! हर पल हो रही इस पीर का क्या अंत नहीं? क्रूर नज़रों से टटोलती नज़र का क्या अंत नहीं? नर नहीं है वह नराधम है पिशाच जीवंत नहीं। #Hindi #HindiPoem #कविता #hindipoetry #hindi_poetry #hindi_shayari #hindisahityasagar #poetshailendra
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