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Sangeeta Kalbhor
जब खुद से सामना हुआ.. जब खुद से सामना हुआ मुद्दतों बाद मेरा कई अनचाही यादों का लगा हुआ था ड़ेरा सोचा जान लूँ मैं करीब से अपने आपको दूर ना कर पाई क्षणभर के लिए भी अपने अंदर के ताप को बहुत मलिनता है मुझमें आज भी भरी हुई शायद इसलिए ही हूँ अंदर से ड़री हुई नकाब अच्छाई का पहने हुए रखती हूँ अंदर ही अंदर बूराइयों को चखती हूँ सिमटकर मुझमें ही मैं अलगाव करना चाहती हूँ है जो अमानुषता जरासी मुझमें पूरा मनुष्यता में बदलना चाहती हूँ..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #sparsh जब खुद से सामना हुआ मुद्दतों बाद मेरा कई अनचाही यादों का लगा हुआ था ड़ेरा सोचा जान लूँ मैं करीब से अपने आपको दूर ना कर पाई क्षणभर के
AB
" मनुष्य " ( अनुशीर्षक ) मनुष्य केवल और केवल प्रेम का भूखा होता है, प्रेम के अभाव या उसके तिरस्कार किये जाने पर वह मनुष्य से अमानुष बन जाता है, कोई अगर आपसे आत्मिक
AB
कृष्ण मेरे ओ, मुकुंद मुरारी.. ( अनुशीर्षक ) ओ मेरे कान्हा बंसी बजैया, साँवरे ओ साँवरे तोसे प्रीत मोहे लागी होती जाऊं मैं बस बावरी -बावरी, सुंदर मुख, छैल छबीले रास रसीले माधव मोरे काल
Dr Jayanti Pandey
बरसों की कमाई दौलत, हैसियत कभी-कभी तो एक झटके में ताश के पत्तों सी बिखर जाती है ज़िंदगी एक ही जिंदगी में कितनी जिंदगियों के रंग दिखाती है अफगानिस्तान से एक सिख सांसद अपने परिवार समेत भारत द्वारा बचा कर लाए गए। जीवन बच जाने का संतोष तो था पर बाकी सब-कुछ गंवाने का दर्द उनकी आंखों
Dr Mahesh Kumar White
आदमी का दुश्मन आदमी है। अब कहां आदमी आदमी है।। ©Dr Mahesh Kumar White #अमानुष
_suruchi_
थांबवा ते रडगाणे भंगल्या हॄदयाचे पोवाडे भर चौकात रखडणे प्रेम जिवंतपणी जाळणे (Read caption) थांबवा ते रडगाणे भंगल्या हॄदयाचे पोवाडे भर चौकात रखडणे प्रेम जिवंतपणी जाळणे बास झाला आता वेदनांचा जयघोष कानठळ्या बसवणारा
yogesh atmaram ambawale
प्रतिबिंब पाहता आरशात, प्रतिबिंबाने माझ्या मला एक प्रश्न विचारले. तू खरंच तूच आहेस, की नुसतेच माणसाचे सोंग घेतलेस,? दिसत जरी असलास माणसासारखा, तरी अमानुष कृत्य केले. काय समजणार होते त्या मुक्या प्राण्याला, गर्भधारणेच्या यातना सोसायच्या आधीच तू मृत्यू यातना दिल्या तीला. काय उत्तर देणार प्रतिबिंबास माझ्या,ज्याने हे प्रश्न केले, एका चुकीच्या मनुष्यामुळे, सर्व मनुष्य जातीस धिक्कारास सामोरे जावे लागले. शुभ सकाळ माझ्या प्रिय मित्र आणि मैत्रिणीनों कसे आहात? लिहीताय ना? आजचा विषय आहे प्रतिबिंब.. #प्रतिबिंब हा विषय
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आवरा पंरिदा सा भटक रहा अमानुष मन मानुष का, करने हासिल संघर्ष-पथ पर तन्हा ही चल पड़ा उज्जवल भविष्य की ओर अमानुष मन मानुष का, कुछ बोझिलता की अवस्था से झूंझता सा वो निश्छलता से अलंकृत अमानुष मन मानुष का, शांत मन से परिस्थिति की विकटता को समझने की कोशिश करता वो अमानुष मन मानुष का, स्वंय पर विश्वास की अटूटता की कमियों को दूर करने का प्रयास करता वो अमानुष मन मानुष का, वो भटकाव के गर्त में घिरता विचारों की रात की राहों में भटकता वो एक मुसाफ़िर सा अमानुष मन मानुष का, मानुष का अर्थ =मनुष्य अमानुष का अर्थ =अमानवीय व्यवहार ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1082 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें!
chintaman gaikwad..
रीना नाव होतं तिचं.... चूना मात्र लाऊन गेली. आरती नाव होतं तिचं.... अंगार मात्र लाऊन गेली. सलमा नाम था उसका.... बलमा बनाकर चली गयी। आशा नाव होतं तिचं.... निराशा मात्र देऊन गेली. खुशबू नाव होतं तिचं.... दुर्गंधि मात्र पसरवुन गेली. संगीता नाव होतं तिचं.... भाषण मात्र थोकून गेली. राणी नाव होतं तिचं..... कंगाल मात्र करून गेली. दीक्षा नाव होतं तिचं.... भिक्षा मागयाला मात्र लाऊन गेली. कोमल नाव होतं तिचं.... काटे मात्र टोचुन गेली. उज्वला नाव होतं तिचं... आयुष्य मात्र उज्वल करून गेली. अश्विनी नाव होतं तिचं.... नक्षत्र मात्र बदलून गेली. रोशनी नाव होतं तिचं.... अंधार मात्र करून गेली. प्रतीक्षा नाव होतं तिचं.... शिक्षा मात्र देऊन गेली ©Chintaman Gaikwad दिल ऐसा किसीने मेरा तोड़ा.... अमानुष बनाके छोड़ा।🤣🤣🤣
RJ Gavhale