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विवेक कुमार मौर्या (अज्ञात )
लताएं सारी लपेट रखी हैं, जैसे खुदा ने इन्हें छुपाया है। इनमें एक अजीब सी काशिश होती है, जो मन को खींच लेती है अपनी ओर। ये लताएं हमारे जीवन की तस्वीर हैं, जो बताती हैं हमारी कहानी हैं। कुछ दुखी, कुछ खुश, कुछ उदास, कुछ मुस्कुराती, कुछ अधूरी और कुछ पूरी भी होती हैं। ये लताएं हमारे अंदर के समंदर हैं, जो दुनिया से अलग होकर बहते हैं। ये हमें समझाती हैं कि हम जीवित हैं, जो हमेशा चलते रहना हमारा मकसद है। ये लताएं हमारे पास होती हैं, जब हम उनसे कुछ सीखते हैं। इनमें एक खास ताकत होती है, जो हमें आगे बढ़ने की ताकत देती है। लेकिन ये लताएं कभी नहीं बोलती, कभी भीड़ में आपस में तोलती हैं। इनमें एक सुन्दर सा राज़ होता है, जो कुछ लोगों के लिए होता है खुला। लताएं सारी लपेट रखी हैं, लेकिन इनमें एक राहत होती है। जब भी हम उन्हें देखते हैं, हमें अपने आप में खो जाने की इजाज़त ©विवेक कुमार मौर्या (अज्ञात ) लताएं सारी लपेट रखी हैं....
लताएं सारी लपेट रखी हैं.... #शायरी
read moreajit
Vandana
मेरा छोटा सा उपवन बसंत के फूलों से महक रहा है गिरती है जब पानी की बूंदे पत्तों पर,,, कैसे जीवंत हो जाते हैं,,,, फूलों को मुस्कुराता देख बेल लताएं इधर-उधर झूमने लगती हैं,,,, क्या चरम अनुभ
गिरती है जब पानी की बूंदे पत्तों पर,,, कैसे जीवंत हो जाते हैं,,,, फूलों को मुस्कुराता देख बेल लताएं इधर-उधर झूमने लगती हैं,,,, क्या चरम अनुभ #NatureLove
read moreKulbhushan Arora
आस की ओस विचारों की पंखुड़ियां को चूमती विश्वास की धूप ऊर्जा से भरती मन गुलाब हो खिलते हैं🌹🌹 गिरती है जब पानी की बूंदे पत्तों पर,,, कैसे जीवंत हो जाते हैं,,,, फूलों को मुस्कुराता देख बेल लताएं इधर-उधर झूमने लगती हैं,,,, क्या चरम अनुभ
गिरती है जब पानी की बूंदे पत्तों पर,,, कैसे जीवंत हो जाते हैं,,,, फूलों को मुस्कुराता देख बेल लताएं इधर-उधर झूमने लगती हैं,,,, क्या चरम अनुभ #NatureLove #YourQuoteAndMine
read moresaurabh
अब भी तुमको चाहिए वह धर्म वह विश्वास उस पर शब्द हैं अब मौन फिर भी गुनगुना देता हूं मैं हार को भी हार कहना है नहीं आदत मेरी हार को भी देख कर अब मुस्कुरा देता हूं मैं बाट पर चलता बटोही ले रहा है मोड़ इतने है अगर मंजिल सुनिश्चित राह क्यों बेकार कर ली शब्द या स्वर थे अलग से शब्द में था व्यंग्य ठहरा सुनके
बाट पर चलता बटोही ले रहा है मोड़ इतने है अगर मंजिल सुनिश्चित राह क्यों बेकार कर ली शब्द या स्वर थे अलग से शब्द में था व्यंग्य ठहरा सुनके
read moreDipti Joshi
ऋतु ने आज आवाज़ दी नभ में मेघों ने हलचल की है कर रही लताएं वृक्षों का श्रृंगार सावन नेे कैसी आग लगाई है कृषक के घर झूमकर आई खुशहाली फसल उगाने की बेला संग लाई है झर झर बरसेगा अब के सावन हर दिल ने यही इच्छा जताई है। कोई शिव, कोई कृष्ण भक्ति में लीन प्रेमिकाओं ने झूलों पर डोर लगाई है प्रेम रस में डूबी सब सखियाँ हिना की महक ने सारी नगरी महकाई है गूँज रहा संगीत उपवन उपवन सुमन और तितली ने जुगलबंदी गाई है कर रहे मोहित मयूर नृत्य से याद इस सावन में मोहन की आई है। © दिप्ती जोशी ऋतु ने आज आवाज़ दी नभ में मेघों ने हलचल की है कर रही लताएं वृक्षों का श्रृंगार सावन नेे कैसी आग लगाई है कृषक के घर झूमकर आई खुशहाली फसल
ऋतु ने आज आवाज़ दी नभ में मेघों ने हलचल की है कर रही लताएं वृक्षों का श्रृंगार सावन नेे कैसी आग लगाई है कृषक के घर झूमकर आई खुशहाली फसल #hindi_poetry #nojatohindi #sawan #InspireThroughWriting
read moreMohammad Arif (WordsOfArif)
चलती फिरती लाशों से लोग उम्मीद लगाएं बैठे है जाहिल से अच्छे मुस्तकबिल की आस लगाएं बैठे है हम अपना रोना किस को सुनाते इस भरी दुनिया में हर जुर्म में हमें ही लोग आतंकी का ठप्पा लताएं बैठे है कहने को तो सभी अपने है फिर दिल क्यूं नहीं मिलते हम अपनों को छोड़ गैरों से प्यार की आस लगाएं बैठे है उड़ते परिंदों का क्या भरोसा कब दूर हो जाएं हमसे हम उन्हीं से अपने अच्छे काम का भरोसा लगाएं बैठे है एक अजीब आस जगी थी उन्हें देखकर हम सब में ऐसे हाल में छोड़ गए फिर भी सब उम्मीद लगाएं बैठे है कितने पागल लोग है कुछ समझते नहीं है आरिफ हमें आपस में लड़ाकर वो अरबों का चुना लगाएं बैठे है चलती फिरती लाशों से लोग उम्मीद लगाएं बैठे है जाहिल से अच्छे मुस्तकबिल की आस लगाएं बैठे है हम अपना रोना किस को सुनाते इस भरी दुनिया में हर ज
Shree
क ख ग घ ङ कखगघङ के आगे की वर्णमाला किताबों के कागजों पर किसी समय के बूढ़े बरगद की छांव में बैठकर गुंथी गई कहानियां समय की रेत को सहेजकर
कखगघङ के आगे की वर्णमाला किताबों के कागजों पर किसी समय के बूढ़े बरगद की छांव में बैठकर गुंथी गई कहानियां समय की रेत को सहेजकर #a_journey_of_thoughts #unboundeddesires #shreekibaat_AJOT #ajot_life
read moreMotivational indar jeet group
ए बरखा बस तू यूंही बरसते रहना सौन्दर्य धरा का बसा है तुझ में तेरे आने से मन हो जाता है प्रफुल्लित खिल जातें हैं मन ओर वन के सुमन लताएं तेरे आने की खुशी में फैला लेती अपनी बाहें मेंढ़क राजा मर्दगं बजाए तितली स्वरों को छेड़े चीड़ीया आए आँगन मेरे ओर सावन के गीत गाए बंदर मामा ड़ाली झुले ओर मयुरा झुम , झुम नाचे काली बदली घुम, घुम बरसे ओर गगन से बीजली फोटू खिचें चांदनी देखे मेघों के चिलमन से सरिता अपनी मस्ति में बहती जाए मानो जैसे पर्वत अपनी जल धारा शिवलिंग पर चड़ाए घटा अपनी छटा बीखरे तन , मन मेरा भीगा जाए ताल तलया इसे देख फुली न समाए लगता है जैसे धरती बनी हो दुल्हन बरात चड़ा हो सावन मेघ करे गर्जना आज स्वयंवर में इन्द्र धनुष तोड़ा जाए बरखा बस तू योंहीं बरसते रहना ( बरखा तेरे गीत मिलन के ) ©Indra jeet # ए बरखा बस तू यूंही बरसते रहना सौन्दर्य धरा का बसा है तुझ में तेरे आने से मन हो जाता है प्रफुल्लित खिल जातें हैं मन ओर वन के सुमन लताएं
# ए बरखा बस तू यूंही बरसते रहना सौन्दर्य धरा का बसा है तुझ में तेरे आने से मन हो जाता है प्रफुल्लित खिल जातें हैं मन ओर वन के सुमन लताएं
read moreTera Sukhi
रात के दामन में तुम्हारी यादों के गुल खिलते है हम अंधेरो में रहकर तुम्हे उजालों में मिलते है वास्ता कुछ पुराना सा है मेरा इन अंधरों से अंधेरा अब रास है हमे हम उजालों से डरते है FULL READ IN CAPTION 👇👇 * इस तरह * रात के दामन में तुम्हारी यादों के गुल खिलते है हम अंधेरो में रहकर तुम्हे उजालों में मिलते है वास्ता कुछ पुराना सा है मेरा
* इस तरह * रात के दामन में तुम्हारी यादों के गुल खिलते है हम अंधेरो में रहकर तुम्हे उजालों में मिलते है वास्ता कुछ पुराना सा है मेरा #gazal #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #terasukhi #terasukhiquotes #terasukhishayaris #इसतरह
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