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Devesh Dixit
जल संकट (दोहे) जल संकट अब बढ़ चला, रखना जल संभाल। जल बिन वसुधा रो रहीं, जैसे पड़ा अकाल।। जल बिन होती दुर्दशा, समझो तुम नादान। जल ही जीवन है सदा, बनो नहीं अनजान।। व्यर्थ क्यों तुम गँवा रहे, इसी को अमृत जान। इसके बिन विपदा बड़ी, बात यही तू मान।। कहती है सद्भावना, जल ही है वरदान। ईश्वर ने बक्शा इसे, ये सबकी पहचान।। ईश्वर हैं अब क्रोध में, उनकी शक्ति अपार। मानव को समझा रहे, वे ही बारम्बार।। फिर भी ये समझे नहीं, करें वही सब काम। बिन मतलब ये कर रहे, ईश्वर को बदनाम।। कहते हैं सज्जन सभी, जल से ही उद्धार। जल संकट जब से हुआ, देख पड़ रही मार।। ............................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #जल_संकट #nojotohindi #sandiprohila #दोहे जल संकट (दोहे) जल संकट अब बढ़ चला, रखना जल संभाल। जल बिन वसुधा रो रहीं, जैसे पड़ा अकाल।। जल बिन ह
N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} ये जिंदगी तुम्हारी और ये बहुत सीमित है, पल का भी भरोसा नहीं है, इस जीवन को किसी और कि जिंदगी को जी कर व्यर्थ मत करो।। जय श्री राधे कृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine #Sad_shayri {Bolo Ji Radhey Radhey} ये जिंदगी तुम्हारी और ये बहुत सीमित है, पल का भी भरोसा नहीं है, इस जीवन को किसी और कि जिंदगी को जी कर
Kajal The Poetry Writer
White लिखने को तो मैं पूरी किताब, शायरियां, कविताएं पक्तियां, लिख दूं, पर" काया " मेरी इतनी औकात नहीं मैं उस मां को अपने शब्दो में बता सकूं,, उसके स्नेह और प्यार को चंद लफ्जो में जता सकूं।। वो कहती हैं, जब बता आज क्या खाया तूने, तब अहसास होता हैं कि मां का साया भी पाया हैं मैंने।। उसके जीवन भर प्रेम ,त्याग का मेरा अनुमान व्यर्थ हो जायेगा,, जो नापू मै पोर्वो पर उसका मेरे सारे काम करना, मेरा जीवन अनर्थ हो जायेगा।। जब वो बोले तू आजा न मैं तेरे लिए कुछ खास बनाऊंगी,, उस पर लिख कर 4 लफ्ज़ मैं कैसे महान बताऊंगी।।। मैं क्या लिखूं उस पर कुछ खास, जो मेरी दुनिया इतनी सुंदर लिखने वाली हो,, वो प्यार हैं, परोपकार हैं,, मीठा सा दुलार हैं,, जो कायनात ने नवाजा रब का दिया उपहार हैं।। न द्वेष हैं, न लालच शेष हैं।। जीवन का आधार हैं वो मां हैं,, इसलिए विशेष हैं।। Happy mother's day 💐❤️ mammy lot's of love. ©Kajal The Poetry Writer #mothers_day लिखने को तो मैं पूरी किताब, शायरियां, कविताएं पक्तियां, लिख दूं, पर" काया " मेरी इतनी औकात नहीं मैं उस मां को अपने शब्दो में बत
N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} हम सब अपने इस अनमोल जीवन के समाप्त होने से पहले ही अपने श्रीपिरया-प्रीतम भगवान श्री राधे-कृष्ण को मन में बसा ले, तो हमने वह सब कर लिया जो हम इस धरा पर करने आए हैं, नही तो यह जीवन हमारा व्यर्थ में चला गया समझो, हम भगवतभक्ति व भगवत्प्राप्ति के लिए चूक गये, अब फिर 84 लाख योनियों में भटकने के लिए बाध्य हो गए।। ©N S Yadav GoldMine #VoteForIndia {Bolo Ji Radhey Radhey} हम सब अपने इस अनमोल जीवन के समाप्त होने से पहले ही अपने श्रीपिरया-प्रीतम भगवान श्री राधे-कृष्ण को म
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।। ज़िन्दगी ये हसीन भी होती । पर अभी बाकी कुछ कसर मुझमें ।। जिस तरह चाहता हूँ मैं तुमको उस तरह यार फिर उतर मुझमें ।। खोजते तुम जिसे हमीं में हो । उसका होता नहीं बसर मुझमें ।। व्यर्थ करती है इश्क़ का दावा । वह न आती कहीं नज़र मुझमें ।। दिल चुराया अगर तुम्हारा है । कह दे उससे अभी निकर मुझमें ।। भूलकर भी न दूर जाता है । वो सितमगर छुपा प्रखर मुझमें ।। ०९/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।। ज़िन्दगी ये हसीन भी होती । पर अभी बाकी कुछ कसर मुझमें ।। जिस तरह चाहता हूँ मैं तुमको उस तरह यार फिर उतर मुझमें ।। खोजते तुम जिसे हमीं में हो । उसका होता नहीं बसर मुझमें ।। व्यर्थ करती है इश्क़ का दावा । वह न आती कहीं नज़र मुझमें ।। दिल चुराया अगर तुम्हारा है । कह दे उससे अभी निकर मुझमें ।। भूलकर भी न दूर जाता है । वो सितमगर छुपा प्रखर मुझमें ।। ०९/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कट जायेंगे दिन सभी , चले आप हम साथ । छूट न पाये बस कभी , इन हाथों से हाथ ।। तुमको पाकर ही यहां, निकला जीवन अर्थ । अब तो लगता है हमें , तुम बिन जीवन व्यर्थ ।। संग तुम्हारे हो नहीं ,खुशियों का अब अंत । तुमको पाकर आज जो , खुशियाँ मिली अनंत ।। कभी-कभी मन में उठे , मेरे अब संताप । जाने कब किसको यहाँ , करना पड़े विलाप ।। दिन जीवन के चार है , छोड़ो ये घर द्वार । हम तुम दोनों से यहां , कोई करें न प्यार ।। आओ अपनी प्रीति की , अलग करे पहचान । हम तुम दोनों संग में , करे प्राण बलिदान ।। १५/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कट जायेंगे दिन सभी , चले आप हम साथ । छूट न पाये बस कभी , इन हाथों से हाथ ।। तुमको पाकर ही यहां, निकला जीवन अर्थ । अब तो लगता है हमें , तुम ब
Dk Patil
Yogi Sonu
Yogi Sonu
बाहर की सब खोज व्यर्थ है ? बाहर ईश्वर मिल भी जाए तो क्या करोगे । वह तो भीतर ही बस्ता है ! ©Yogi Sonu #sadak बाहर की सब खोज व्यर्थ है ? बाहर ईश्वर मिल भी जाए तो क्या करोगे । वह तो भीतर ही बस्ता है !