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Dr Upama Singh
“बेटी” अनुशीर्षक में ओ मेरी प्यारी बेटी जब जब देखूँ तेरी “सूरत” पाऊं बस देवी की मूरत आई है जबसे तू जिंदगी हो गई है खूबसूरत तू हमारे क़रीब हम खुशनसीब “चाहत” थी
ओ मेरी प्यारी बेटी जब जब देखूँ तेरी “सूरत” पाऊं बस देवी की मूरत आई है जबसे तू जिंदगी हो गई है खूबसूरत तू हमारे क़रीब हम खुशनसीब “चाहत” थी #yqdidi #restzone #collabwithrestzone #yqrz #rzलेखकसमूह #rzwotm #rztask121 #rimjhim_thoughts
read moreअशेष_शून्य
मैं :जीवन (अनुशीर्षक में ....) आहिस्ता आहिस्ता सब धुंधला होता चला जाएगा ये किरदार , ये अभिनय, ये मुस्कुराहटें , ये सफ़र, सब कुछ...... ...........सब कुछ !! मेरी श्वेत हो
आहिस्ता आहिस्ता सब धुंधला होता चला जाएगा ये किरदार , ये अभिनय, ये मुस्कुराहटें , ये सफ़र, सब कुछ...... ...........सब कुछ !! मेरी श्वेत हो #yqbaba #yourquotedidi #yqsahitya #yqastheticquotes #hindisoul #अशेष_शून्य
read moreArora PR
कहा मिल पाता हैँ सुकून ईश्वर को......दिन भर आदमी के. इम्तिहान लेने मे वो हमेशा उसे व्यस्त रहना पड़त्ता हैँ अमरता ईश्वर के जीवन की सबसे बडी खामी हैँ.. इसलिए न वो अपना गला घोट सकता हैँ न आत्महनन करने की कोई नई कोशिश कर पाता हैँ ईश्वर को हमेशा सृजन और विधब्स मे संतुलन बनाये रखने मे अपनी काफ़ी ऊर्जा नष्ट करनी पड़ती हैँ तभी तो वो अपने लिए कुछ भी सोच नहीं पाता उसे हर वक़्त ब्रह्माड और ग्रहो मे अनुशासन बना रहे इसका भी ध्यान रखना पड़ता हैँ ©Arora PR ईश्वर का जीवन
ईश्वर का जीवन #विचार
read moreEk villain
मनुष्य की अनुपस्थिति से आम अनुष्का से तो संभव हुआ मन के अंदर मनुष्य और मनुष्य का वास है ओडिशा मनुष्य के भीतर बैठा है दानव अमन उसके भीतर सो रहा है पशु यदि मानव अपनी मानवता से प्रतीत हो जाए तो फिर यह चोला ही व्यर्थ है मानव शरीर तभी सार्थक है तो उसमें मानवता भी सभी मर्यादा विद्वान हो मनुष्य चरित्र को ईश्वर से अपने अवतारों में प्रकट होकर स्वयं जिया है मानवता के मूल देव दूतों ने भी समय-समय पर प्रदर्शित किए हैं कि अपने सिद्धांतों और आदेशों के सवाल द्वारा मनाता को स्थापित करने वाले महापुरुष के महत्व को सदा सुरक्षित रखा इसका अमूल ने संसार का बड़ा हिट किया था उसके नर्क बना दिया था यह धरती स्वर्ग से भी अधिक सुंदर थी उसने धर्म को क्षति पहुंचाई मर्यादा को भंग किया और आ सकते और सत्य न्याय को घोषित किया पृथ्वी पर आ सकता फैलाई प्रकृति के नियमों को समेट दिया उसने अनाचार और अत्याचार को दिन आचार्य बनाया हम उस ने मनुष्य को संकट उत्पन्न कर दिए वह अपने ही शत्रु बन बैठा और चलता रहा जो आज भी जारी है बहुत मन करता है और समृद्धि का राज हो लेकिन हम उन्हें बार-बार विशेषताएं करता है हम उनसे सकता है तो हम उस वातावरण को आता है कि नहीं होता यदि होता है तो और एक और जीवन में भी यह शरीर के अंदर एक मनुष्य मनुष्य का तनाव व्याप्त है लोग कभी आते हैं तो कभी देखते हैं सभी जनों का जीवन ऐसी विसंगतियों से भरा है फिर भी सफलता का यही है कि अपने भीतर बैठे अशोक को जगाया ना जाए लेकिन उस वक्त रहे ©Ek villain #मनुष्य के जीवन में ईश्वर #Thoughts
शून्य(ब्राह्मण)
🙌ॐ नमः शिवाय 🙌 ईश्वर सब में बसते हैं बस नज़र किसी किसी को आते हैं...... इस ईश्वर को ही जानने में लोग संत फ़कीर वैरागी जानें क्या क्या बन जाते हैं। ©शून्य #सत्य #जीवन #ब्रह्म #ज्ञान #ईश्वर #धर्म
Parasram Arora
पुराणों से लेकर कलयुग क़े काले अंधेरों तक जीवनचक्र घूमता रहा प्रलय होती रही सृष्टि चलती रही ज्योति जलती रही और मजे की बात ईश्वर हर युग मे था क्योंकि ईश्वर इंसान का सृजन था अपने गुनाहो और पापो क़े प्रायश्चित क़े लिए ईश्वर का सृजन करना इंसान क़े लिए इसीलिए जरूरी भी था इंसानी जीवन चक्र और ईश्वर की उपादेयता........
इंसानी जीवन चक्र और ईश्वर की उपादेयता........
read moreParasram Arora
"मै "जहाँ नही हैँ वहाँ वस्तुतः "तू " भी नही हैँ जहाँ केवल "होना " मात्र हैँ वहाँ केवल अस्तित्व हैँ शुद्ध सक्ता हैँ इस शुद्ध सक्ता में जागना ही निर्वाण हैँ विचार जहाँ नही वहाँ निर्विचार हैँ विकल्प जहाँ नही वहाँ निर्विकल्प हैँ शब्द जहाँ नही वहाँ शून्य हैँ जहाँ शुन्य हैँ वहाँ ईश्वर हैँ स्वप्न में मृत्यु हैँ सत्य में जीवन हैँ ©Parasram Arora सत्य में जीवन हैँ शून्य में ईश्वर हैँ.......
सत्य में जीवन हैँ शून्य में ईश्वर हैँ.......
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