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Mamta Singh
एक स्त्री अगर प्रेम करती है तो सिर्फ प्रेम करती है कोई हद नहीं रखती पर अगर विरक्त हो जाये कोई सरहद उसे नहीं रोकती... (अनुशीर्षक में पढ़े) एक स्त्री के प्रेम,सम्मान, और स्वाभिमान की कहानी मेरी सोना के पहले प्यार की कहानी मां नर्मदा 🙏 के उद्दभव की कहानी.. Eshu Anju Singh Archana Shukla✍️ AK Alfaaz... Disha Singh चिरकुंवारी नर्मदा की अधूरी प्रेम-कथा;- कहते हैं नर्मदा ने अपने प्रेमी शोणभ
Aakash Udeg
हम गुम हैं हममें.... कुछ खास बात थी हम दोनोंमे खुश रह लेते थे गममे क्युंकी वो गुम थे हममे और हम गुम थे उनमे आसू आ भी जाते थे आंखोंमे तो हसी आ जाती थी पल में कुछ नहीं रहता था मन में हर बात आ जाती न कहे ही समजमे दो दिल थे दो जिस्ममे मगर बंध गये थे एक बंधनमे ऐसी कहानी थी शुरुवात मे जो उलझ गयी अतंतः अपने आप में ना बुझी उन्हे,ना कुछ तरकीब सुझी हमें जो जमा था बरसों में वो बह गया बन पानी कुछ पल में रह गयी है बस बाकी उनकी यादें अब दिल में और हम गुम हैं हममें....और हम गुम हैं हममें.... #हिंदी #hindi #हिंदी_कविता #hindipoem #yqbaba #uncompletelove #हम_गुम_है_हममे #triedsomething हम गुम हैं हममें.....
Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें........ रामलाल बहुत ही नेक दिल इंसान था हमेशा दूसरों की भलाई और परमार्थ के लिए काम करता और नेक दिल बनने की हर किसी को उपदेश देता था परन्तु उसका बेटा
subodh kumar
Caption ✍ जो लिखा है अभी अभी पन्नों की स्याही वो सूखी नही न जाने क्या लिखना है मुझे कोई ख्याल अब तक रूकी ही नही। अल्फाज़ो के इस दरिया में मै डूब र
Manju (Queen)
**बेजुबान ** बिन अल्फाज वो सब कुछ कह गई दर्द की पीड़ा को चुप रह कर सह गई सपनें नव सावन के आँखों में लिए पिया घर गई क्या ? पता था , सपनों की सेज ही उसे ज़िन्दा जलायेगी आशा का था अंकुर फूटा उसमें नव पल्लवित हो गई अंश था उसका ही आईना इसलिये गर्भ में ही दम तोड़ गई दर्द अपने ही अक्श का एक ही नहीं चार बार वो सह गई , अब तो वह बेजान लाश थी ,बस कहने को वह चार कांधों पे चढ़ चिता पर न लेटी आज कन्या पूजन कर माँ को खुश करने की सुझी कैसा ये अभिशाप है साल में दो दिन कन्या सम्मान की हकदार हुई यूँ ही समाज में सम्मान के नाम उनकी बली दी जायेगी कहो ,समाज के ठेकेदारों तुम्हारे घरों में दीप की रोशनी कैसे आयेगी मैं तो हर दर्द धरा सम सह गई पर मेरी बेजुबानी तुम से अपना हक छीन ले जायेगी **बेजुबान ** बिन अल्फाज वो सब कुछ कह गई दर्द की पीड़ा को चुप रह कर सह गई सपनें नव सावन के आँखों में लिए पिया घर गई क्या ? पता था , सपनों