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Manya Parmar

वे जो बच्चियां कामयाब हुई है नाम रोशन किया है अपना और अपने अपनो का उन्हें उतनी मात्रा में शिक्षा, साथ, समय,पैसा और अपनो का सहारा मिला जिसके #Motivational

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Manya Parmar

पिता तो जानते है दुनियादारी, सबसे ज्यादा समझ होती है उनमें, अगर वाकई होता पितृ सत्तात्मक समाज तो हर बेटी कामयाब काबिल, शोषण ना सहने वाली, बे #Motivational #घरेलूहिंसा #MissionMaanyMaang

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ANIL KUMAR

बाहों में भरते तो... #Love

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सरसी छन्द गीत :- निकल रहा है धन काला अब ,मोदी जी को देख । काँप रहे गद्दार राज्य में , योगी जी को देख । #कविता

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सरसी छन्द गीत :-
निकल रहा है धन काला अब ,मोदी जी को देख ।
काँप रहे गद्दार राज्य में , योगी जी को देख ।
निकल रहा है धन काला अब....

मैं जनता का हूँ सेवक जो , भरते रहे हुँकार ।
घर के उनसे निकल रहा है , नोटों का भण्डार ।।
क्या कहें चमत्कार हुआ या,  बिगड़ी इनकी रेख ।
निकल रहा है धन काला ....

खूब उठाते हैं उँगली यह , मोदी पे कुछ लोग ।
जनता सेवा करने में जो , किए खूब उपभोग ।।
घर पर तो व्यापार नही था , बदली कैसी रेख ।
निकल रहा है धन काला अब ......

सोच नहीं जो हम तुम पाये , मोदी ने ली सोच ।
कुछ तो गड़बड़ भैय्या मेरे , आयी कैसी लोच ।।
मार-मार कर मंतर कैसे , बनकर बैठे शेख़ ।
निकल रहा है धन काला अब ...

निकल रहा है धन काला अब ,मोदी जी को देख ।
काँप रहे गद्दार राज्य में , योगी जी को देख ।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR 

सरसी छन्द गीत :-

निकल रहा है धन काला अब ,मोदी जी को देख ।

काँप रहे गद्दार राज्य में , योगी जी को देख ।

ओम नमः शिवाय

शरीराची वाढलेली चरबी पाणी होऊन लघवीतून बाहेर पोट सपाट वजन कमी ! vajan Kami karne gharguti upay #Videos

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Shivkumar

VoteForIndia Vote चुनाव मतदान Politics { ∆ कड़क कविता किसी को पता नहीं है, लेकिन मैं इसे साझा कर रहा हूं क्योंकि मैं इस विचार को

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Devesh Dixit

#अटल_सत्य #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry अटल सत्य (दोहे) अटल सत्य है मौत ही, सबको ये संज्ञान। फिर भी क्यों समझे नहीं, करते हैं अभि #Poetry #sandiprohila

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Shivkumar

#Hope #आशा #उम्मीद #nojotohindi #शायरी जो #जिन्दगी में आशा के #दीप जला के रखते है । वो अपने ही #हौसलों के पंख से #उड़ान भरते ह #hunarbaaz

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मनहरण घनाक्षरी :- लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो । त्यागो अभी हृदय से ,  दुष्ट अभिमान को । नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो , चलो #कविता

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मनहरण घनाक्षरी :-
लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो ।
त्यागो अभी हृदय से ,  दुष्ट अभिमान को ।
नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो ,
चलो सब मिलकर, करो मतदान को ।
ये तो सब लुटेरे हैं , करते हेरे-फेरे हैं
पहचानते  है हम , छुपे शैतान को ।
मतदान कर रहे , क्या बुराई कर रहे,
रेंगता है मतदाता , देख के विधान को ।।१
वो भी तो है मतदाता, क्यों दे जान अन्नदाता , 
पूछने मैं आज आयी , सुनों सरकार से ।
मीठी-मीठी बात करे , दिल से लगाव करे,
आते हाथ सत्ता यह , दिखता लाचार से ।
घर गली शौचालय, खोता गया विद्यालय,
देखे जो हैं अस्पताल , लगते बीमार से।
घर-घर रोग छाया , मिट रही यह काया ,
पूछने जो आज बैठा , कहतें व्यापार से ।।२
टीप-टिप वर्षा होती , छत से गिरते मोती ,
रात भर मियां बीवी , भरते बखार थे ।
नई-नई शादी हुई , घर में दाखिल हुई ,
पूछने वो लगी फिर , औ कितने यार थे ।
मैने कहा भाग्यवान , मत कर परेशान ,
कल भी तो तुमसे ही , करते दुलार थे ।
और नही पास कोई , तुम बिन आँख रोई,
जब तेरी याद आई ,  सुन लो बीमार थे ।।३
२८/०३/२०२४      महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :-
लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो ।
त्यागो अभी हृदय से ,  दुष्ट अभिमान को ।
नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो ,
चलो

Ravendra

लाठी के सहारे जा रही बुर्ज़ुग महिला को देख गाड़ी से उतरी डीएम बहराइच ।विकास खण्ड चित्तौरा के ग्राम धरसवां में जल जीवन मिशन अन्तर्गत ग्राम की #न्यूज़

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