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Meenu Dalal@185
महफूज़ रखी है दिल में हर याद तुम्हारी !! सहेजकर रखी है आंखों में सूरत तुम्हारी !! मैं पलटकर जमाना क्या देखूं !! मैंने हर सांस गिरवी रखी है मोहब्बत में तुम्हारी !! ©Meenu Dalal@185 #185
Meenu Dalal@185
किस किरदार में पेश करूं खुद को यहां हर शख्सियत दागदार है! किस पल का करूं मैं इंतजार यहां हर लम्हा कर्जदार है! किस ओर ऊंगली उठाऊं मैं यहां हर हाथ का इशारा मेरी तरफ है! किस दर्द का जिक्र करूं मैं यहां हर मुस्कुराहट गिरवी रखी है! किस सजा की बात करूं मैं यहां हर इल्जाम मुझ पर है! किस गवाह को पेश करूं मैं यहां हर अदालत बिकाऊ है! किस रब को याद करूं मैं यहां हर दुआ बेफिजूल है! किस हद में शामें गुजारूं मैं यहां हर रात दीवानी है! किस अंदाज में तुझे पुकारा करूं मैं यहां हर राज बेनकाब है! किस आंधी से गुफतगु करूं मैं यहां हर झोंका लावारिश है! किस बारिश में खुशबू बिखेरूं मैं यहां हर मौसम पतझड़ है!!! ©Meenu Dalal@185 #185
Meenu Dalal@185
आज फिर ये रात आसुओं में ही बितानी है ! दिल में दबी बातें दिल में ही दफन करनी हैं ! खुद को महसूस हो तभी मुझे समझना अब मेरी आवाज तो मुझे ख़ामोश रखनी है ! हर बार की तरह अब गलतियां नहीं दोहरानी हैं ! टूटते सितारों से अपनी ख़्वाहिशें नहीं मांगनी है ! कुछ जरूरी होगा तो रब मेरे हिस्से में देगा अब किसी मन्नत के लिए दुआ नहीं करनी है ! ©Meenu Dalal@185 #185
Meenu Dalal@185
उदासियां चेहरे से नहीं जाती हंसी का मुखौटा पहनकर रखना पड़ता है !! आसुओं में बह जाते है कुछ दर्द मेरे तभी तो हर रोज थोड़ा थोड़ा रोना पड़ता है !! यहां कौन किसका दर्द समझता है अपने आप को अकेले ही संभालना पड़ता है !! अजीब कसमकस है ये जिंदगी भी जीने के लिए हर दफा मरना पड़ता है !! कोशिश तकलीफ सहने की रोज करती हूं तभी तो आईने की तरह खुद को तोड़ना पड़ता है !! इश्क मुकम्मल नहीं होगा मेरा जानती हूं मगर जीने के लिए गलतफहमी में रहना पड़ता है !! रोज हादसे होते है मेरे दिल के साथ बगावत के डर से जज्बातों को छुपाना पड़ता है !! तोहीन क्या होती है मैं क्या जानूं मुझे तो हर लफ्ज़ सुनकर बस मुस्कुराना पड़ता है !! ©Meenu Dalal@185 #185
Meenu Dalal@185
कोई याद बन जाता है कोई यादों में रहता है ! इस ज़माने में कौन हमेशा के लिए अपना रहता है ! किसी को वक्त नहीं मिलता कोई वक्त जाया करता है ! इस मोहब्बत की चाह में कौन किसको मुकम्मल करता है ! कोई लफ्जों को भी समझ नहीं पाता कोई ख़ामोशी भी समझ लेता है ! इस बेवफ़ाई दुनिया में कौन इतनी वफ़ा निभा लेता है ! किसी को आंसू भी पानी लगते हैं कोई आसुओं को मोती समझता है ! इस भरी महफिल में कौन अकेलेपन का दर्द समझता है ! कोई रातों को सोकर गुजार लेता है कोई रात भर किसी को याद करता है ! इस रूठने मनाने के सिलसिले में कौन किसका इंतजार करता है ! ©Meenu Dalal@185 #185
Meenu Dalal@185
दफन करदी मैंने अपनी सारी ख्वाहिशें ! अब सब्र करना सीख लिया ! ताकत मेरे दर्द ही बनेंगे मेरी ! अब फूलों को पीछे छोड़ कांटो को अपना बना लिया ! छोड़ दिया मैंने खूबसूरत लम्हों का इंतजार ! अब हर पल को खामोशी से जीना सीख लिया ! तमन्ना थी मुझे जिस नाव को किनारे लगाने की ! अब उसकी पतवार को ही अपने जज्बातों का कातिल बना लिया ! ©Meenu Dalal@185 #185
Meenu Dalal@185
कभी अपने साथ बैठकर भी वक्त बिताओ ! हर दर्द को सरेआम मत बनाओ ! यहां हर बात का सबूत नहीं देना पड़ता ! कभी अपनी कहानी अपने आप को सुनाओ ! कभी अपनी उलझनें अपने आप ही सुलझाओ ! अपने हाथों को बेडियां मत पहनाओ ! यहां सारी किस्तियां किनारे नहीं लगाई जाती ! कभी तो अपनी नाव के पतवारी अपने आप को बनाओ ! ©Meenu Dalal@185 #185
Meenu Dalal@185
रातों की उदासी से मोहब्बत हो गई है अब अंधेरों से डर नहीं लगता ! तन्हाइयों में दम घुटता था मेरा अब महफिलों में जाना अच्छा नहीं लगता ! मैं गुजार लेती हूं घंटों अकेले बैठकर अब किसी का पास होना जरूरी नहीं लगता ! समझ नही आती मुझे मेरी ही बातें आज कल अब दूसरों को सलाह देना सही नहीं लगता ! बेरंग जिंदगी को ही जिए जा रही हूं अब कोई रंग मेरी रूहानियत को नहीं लगता ! सांसों से परे कोई जन्नत हो तो बताना अब जीने में तो कोई सुकून नहीं लगता ! ©Meenu Dalal@185 #185
Meenu Dalal@185
इल्जामों से घिरा किरदार है मेरा सजाएं भी बेशुमार मिली है मैं कब क्या कर देती हूं मालूम नही तभी तो सारे गुनाहों पे हक है मेरा कम्बक्त होश ही नहीं रहता मुझे तेरे इश्क के नशे में जो रहने लगी हूं तेरी नफरत की सलाखों के पिछे ही ठीक हूं मै वक्त ही नहीं मिलता ज़मानत करवाने का मुझे दर्द सहने की आदत हो गई है महफिलें भी तन्हाइयों से मिलने लगी है अब आंखे बस देखने का काम करती है ये मुस्कुराहट आंसू छुपाना सिख गई है उम्रकैद हो जाए तेरे इश्क में तो अच्छा है मैं भी तेरे नाम से पहचान बना लूंगी मेरे हर गुनाह का चसमदीद गवाह सिर्फ तू है तू सच्ची गवाही ही दे अदालत में तो अच्छा है ©Meenu Dalal@185 #185