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Azhar Azad Khan

कुछ इस तरह हिन्दोस्तान की शाम हो...! करूं मैं आरती ऐसी सबा में गूँजी कोई अज़ान हो, ऐसी पढाई जाए गीता जिसका मतलब कुरान हो। जब जात पूछी जाए त #happyrepublicday

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Bhupendra Rawat

#atthetop तोड़ के सारे बंधन को मैंने तुझसे रिश्ता जोड़ा है जिस पथ की तू मुसाफिर है उस रुख, मैंने ख़ुद को मोड़ा है तू है, अंजान सही, अंजान #कविता

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तोड़ के सारे बंधन को 
मैंने तुझसे रिश्ता जोड़ा है
जिस पथ की तू मुसाफिर है
उस रुख, मैंने ख़ुद को मोड़ा है
तू है, अंजान सही, 
अंजान ख़ुद को रहने दे
मेरा हाथ, थाम ले तू
पीड़ा, मुझे भी सहने दे
वादा मै ये करता हूँ
जीवनभर,साथ निभाऊँगा
साए की तरह 
तेरे इर्द गिर्द नज़र आऊंगा
इन काँटों की शैया मे
फूल बिछाऊँगा
जीवन की हर विपत्ति मे
ढाल बन खड़ा हो जाऊंगा
तेरे लबों में हंसी की
वज़ह बन जाऊंगा
हाथ थाम ले तू
तेरी खातिर मिर्ज़ा
बन जाऊंगा

©Bhupendra Rawat #atthetop तोड़ के सारे बंधन को 
मैंने तुझसे रिश्ता जोड़ा है
जिस पथ की तू मुसाफिर है
उस रुख, मैंने ख़ुद को मोड़ा है
तू है, अंजान सही, 
अंजान

Ravendra

भेड़ियों के आ जाने से भयभीत हैं अभिभावक रुपईडीहा वन रेंज के सुकईगांव फारेस्ट चौकी के आस पास जंगल के किनारे भेड़ियों के आ जाने से ग्रामीण ब #न्यूज़

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

जिसकी खातिर तू बड़ा बेताब है । वह तुम्हारी आँख का बदख्वाब है ।।१ उम्र भर पीछा किया जिसका यहाँ । दे रहा वो आँख में सैलाब है ।।२ #शायरी

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जिसकी खातिर तू बड़ा बेताब है ।
वह तुम्हारी आँख का बदख्वाब है ।।१

उम्र भर पीछा किया जिसका यहाँ ।
दे रहा वो आँख में सैलाब है ।।२

अब नहीं उनको दिखाना नूर तुम ।
जानता जिनको यहाँ आफताब है ।।३

भूल जा तू उस हँसी को यार अब ।
इस ज़मीं का एक वह महताब है ।।४

हर घड़ी जिसके चला है साथ तू ।
वह न कोई और तेरा अहबाब है ।।५

जानता हूँ उस तरफ जो मैं गया ।
हुस्न का उसकी तरफ़ गिर्दाब है ।।६

फूल सा पाला उसे माँ बाप ने ।
जो कली दिखती तुम्हें नायाब है ।।७

देख अपनी हैसियत मुझसे कहो ।
की तुम्हारे खातिर वह अस्वाब है ।।८

सुन प्रखर जैसे झुकाते सिर उसे ।
उसके चेहरे में दिखा वह आब है ।।९

२७/१०/२०२३    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR जिसकी खातिर तू बड़ा बेताब है ।

वह तुम्हारी आँख का बदख्वाब है ।।१


उम्र भर पीछा किया जिसका यहाँ ।

दे रहा वो आँख में सैलाब है ।।२

Praveen Jain "पल्लव"

#Chhuan तेरे इर्द गिर्द सारा ताना बाना रचा होगा nojotohindi  #कविता

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Archana Tiwari Tanuja

#BehtaLamha #kavita #MyThoughts 12/08/2023 बहता लम्हा :- ************ पानी की तरह बहता लम्हा न मिले दुबारा, मुर्झा गए जो फूल इक ब #कविता

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Vivek

# इर्द गिर्द #कविता

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Anjali Singhal

"गुन-गुन गुन-गुन करता भँवरा, इर्द-गिर्द फूल के मंडराता रहा; देख तितली का इश्क़ फूल से, दिल को अपने समझाता रहा। पा लेना ही प्रेम नहीं होता, #Poetry #स्वरचितरचना #AnjaliSinghal

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Abhishek 'रैबारि' Gairola

लुप्त सामर्थ्य अपने आप को उस दिए कि तरहं महसूस करते हैं जो अभी जला नहीं है। जो ईंधन से भरपूर है, शायद कुछ छलक भी रहा हो। और एक श्वेत बत्ती

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लुप्त सामर्थ्य

अपने आप को उस दिए कि तरहं महसूस करते हैं जो अभी जला नहीं है। जो ईंधन से भरपूर है, शायद कुछ छलक भी रहा हो। और एक श्वेत बत्ती है, जो, लगभग, अपनी पूरी लंबाई में तेल के भीतर डूबी हुई है, लबालब । सिवाय, दीपक के मूहं के बाहर वाले हिस्से पर । जहां ईंधन, कोशिका क्रिया के फल स्वरूप, चढ़ा तो सही किन्तु छोर तक पहुंच नहीं पाया। दिया, अनदेखी में, रात भर बाहर छोड़ दिया गया था और वायु मै बसे पाले ने उसके सिरे को भिगो दिया है। दीपक अब जल नहीं पा रहा है और भय यह है कि अगर उसे सुखने के लिए धूप में छोड़ा तो कहीं ईंधन भी भाप बन कर उड़ ना जाए। अगर एक रात पहले, काश, कोई उस बत्ती की शुष्क नोक को भी तेल में डूबो देता तो हमारे इर्द-गिर्द आज ये तमस न छाया रहता।

©Abhishek 'रैबारि' Gairola लुप्त सामर्थ्य

अपने आप को उस दिए कि तरहं महसूस करते हैं जो अभी जला नहीं है। जो ईंधन से भरपूर है, शायद कुछ छलक भी रहा हो। और एक श्वेत बत्ती

Abhishek 'रैबारि' Gairola

उगता रवि और पतली सी नहर के चलते ठहरते पानी में उसकी किरणों का प्रतिबिंब । हरे मैदान, चीकू के पेड़, पौधे, फूलों के बागान, मधुमक्खियों के रसील

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