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Azhar Azad Khan
Bhupendra Rawat
तोड़ के सारे बंधन को मैंने तुझसे रिश्ता जोड़ा है जिस पथ की तू मुसाफिर है उस रुख, मैंने ख़ुद को मोड़ा है तू है, अंजान सही, अंजान ख़ुद को रहने दे मेरा हाथ, थाम ले तू पीड़ा, मुझे भी सहने दे वादा मै ये करता हूँ जीवनभर,साथ निभाऊँगा साए की तरह तेरे इर्द गिर्द नज़र आऊंगा इन काँटों की शैया मे फूल बिछाऊँगा जीवन की हर विपत्ति मे ढाल बन खड़ा हो जाऊंगा तेरे लबों में हंसी की वज़ह बन जाऊंगा हाथ थाम ले तू तेरी खातिर मिर्ज़ा बन जाऊंगा ©Bhupendra Rawat #atthetop तोड़ के सारे बंधन को मैंने तुझसे रिश्ता जोड़ा है जिस पथ की तू मुसाफिर है उस रुख, मैंने ख़ुद को मोड़ा है तू है, अंजान सही, अंजान
Ravendra
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
जिसकी खातिर तू बड़ा बेताब है । वह तुम्हारी आँख का बदख्वाब है ।।१ उम्र भर पीछा किया जिसका यहाँ । दे रहा वो आँख में सैलाब है ।।२ अब नहीं उनको दिखाना नूर तुम । जानता जिनको यहाँ आफताब है ।।३ भूल जा तू उस हँसी को यार अब । इस ज़मीं का एक वह महताब है ।।४ हर घड़ी जिसके चला है साथ तू । वह न कोई और तेरा अहबाब है ।।५ जानता हूँ उस तरफ जो मैं गया । हुस्न का उसकी तरफ़ गिर्दाब है ।।६ फूल सा पाला उसे माँ बाप ने । जो कली दिखती तुम्हें नायाब है ।।७ देख अपनी हैसियत मुझसे कहो । की तुम्हारे खातिर वह अस्वाब है ।।८ सुन प्रखर जैसे झुकाते सिर उसे । उसके चेहरे में दिखा वह आब है ।।९ २७/१०/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR जिसकी खातिर तू बड़ा बेताब है । वह तुम्हारी आँख का बदख्वाब है ।।१ उम्र भर पीछा किया जिसका यहाँ । दे रहा वो आँख में सैलाब है ।।२
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी पहले कुटी फिर पिसी तब रंग अनोखा रचती है खुद का वजूद खो कर किसी के हाथों पर रचती है हर सुहागिन को सन्देश देती मेरी तरह रच बस जाना पिया के संग अपना बजूद समर्पण करना है तेरे रंग में सजेगा परिवार तेरे इर्द गिर्द पूरा ताना बाना रचा बसा होगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Chhuan तेरे इर्द गिर्द सारा ताना बाना रचा होगा #nojotohindi
Archana Tiwari Tanuja
बहता लम्हा :- *************** पानी की तरह बहता लम्हा न मिले दुबारा, मुर्झा गए जो फूल इक बार न खिलें दुबारा। जो लिखा था मुकद्दर में उससे न भाग पाए, खुले जो ज़ख्म पुराने उन्हें हम सिले दुबारा। दरमियां ढ़ह चुकी है जो भरोसे की इमारत, मरम्मत से न होगें पहले से वो किले दुबारा। पथरीली राहों से भरा है सफ़र ज़िन्दगी का, भरे जो घाव बर्षो में वो! आज छिले दुबारा। भूली बिसरी यादों पे चढ़ी थी ये गर्द कब से, हमें याद आ गये हैं वहीं शिकवे-गिले दुबारा। छोड़ आए जिस कहानी को अंधेरे मोड़ पर! अब नहीं करना हमें शुरू!सिलसिले दुबारा। लगा रहता था कभी हुज़ूम इर्द-गिर्द मेरे भी! कहां मिलते हैं! बिछड़े हुए काफ़िले दुबारा। अर्चना तिवारी तनुजा ✍️✍️ ©Archana Tiwari Tanuja #BehtaLamha #Nojoto #kavita #MyThoughts 12/08/2023 बहता लम्हा :- ************ पानी की तरह बहता लम्हा न मिले दुबारा, मुर्झा गए जो फूल इक ब
Vivek
ये मुराद है तो तुमसे कभी मिलेंगे नहीं अपना दीदार तुम ख़ुद ही करोगे आइने में हम हरगिज़ इर्द गिर्द भी तुम्हें दिखें गे नहीं...!!! ©Vivek # इर्द गिर्द
Anjali Singhal
Abhishek 'रैबारि' Gairola
लुप्त सामर्थ्य अपने आप को उस दिए कि तरहं महसूस करते हैं जो अभी जला नहीं है। जो ईंधन से भरपूर है, शायद कुछ छलक भी रहा हो। और एक श्वेत बत्ती है, जो, लगभग, अपनी पूरी लंबाई में तेल के भीतर डूबी हुई है, लबालब । सिवाय, दीपक के मूहं के बाहर वाले हिस्से पर । जहां ईंधन, कोशिका क्रिया के फल स्वरूप, चढ़ा तो सही किन्तु छोर तक पहुंच नहीं पाया। दिया, अनदेखी में, रात भर बाहर छोड़ दिया गया था और वायु मै बसे पाले ने उसके सिरे को भिगो दिया है। दीपक अब जल नहीं पा रहा है और भय यह है कि अगर उसे सुखने के लिए धूप में छोड़ा तो कहीं ईंधन भी भाप बन कर उड़ ना जाए। अगर एक रात पहले, काश, कोई उस बत्ती की शुष्क नोक को भी तेल में डूबो देता तो हमारे इर्द-गिर्द आज ये तमस न छाया रहता। ©Abhishek 'रैबारि' Gairola लुप्त सामर्थ्य अपने आप को उस दिए कि तरहं महसूस करते हैं जो अभी जला नहीं है। जो ईंधन से भरपूर है, शायद कुछ छलक भी रहा हो। और एक श्वेत बत्ती
Abhishek 'रैबारि' Gairola
उगता रवि और पतली सी नहर के चलते ठहरते पानी में उसकी किरणों का प्रतिबिंब । हरे मैदान, चीकू के पेड़, पौधे, फूलों के बागान, मधुमक्खियों के रसीले छत्ते, मछलियों का तलाब और उस तलाब पे आवारा कमल के फूलों की फ़सल । एक पुरानी बुझी अलाव जिसके ईर्द गिर्द एक सर्द रात कटी थी, कुछ यादें बनी थी। आप, मै और बैगपाइपर जैसा कोई तीसरा साथी था। बस यही था जीवन, समय के उस छोटे से बुलबुले में। ©Abhishek 'रैबारि' Gairola उगता रवि और पतली सी नहर के चलते ठहरते पानी में उसकी किरणों का प्रतिबिंब । हरे मैदान, चीकू के पेड़, पौधे, फूलों के बागान, मधुमक्खियों के रसील