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Anjali Singhal
अदनासा-
Bhavana kmishra
हर बार गिर के यूं संभलते रहे, ए जिन्दगी तूने जैसे चाहा, वैसे हम चलते रहे.. सोचा था जीएंगे जीवन, अपनी शर्तों पर, मगर तूने जैसे चाहा, वैसे हम ढलते रहे.. कभी खट्टा, कभी मीठा तेरा अनुभाव रहा , हर दौर ज़िंदगी का यूं जीते रहे.... कहां से आए और कहां को जाना है, राहे ज़िंदगी में बस चलते रहे...। ©Bhavana kmishra #akelapan #Nojoto #Hindi #hindi_poetry #poem #bhavanakmishra हर बार गिर के यूं संभलते रहे,
N S Yadav GoldMine
बूड्ढी बैट्ठी घर के बाहरणे छोरी पतासे बाट्टण आई। करले दादी मुह नैं मिट्ठा मेरी मां की कोथली आई। {Bolo Ji Radhey Radhey} बूड्ढी बोल्ली के खाउं बेट्टा, घर की बणी या चीज कोन्या। सारे त्योहार बाजारु होगे, ईब पहले आली तीज कोन्या। कोथली तो वा होवै थी जो म्हारे टैम पै आया करती। सारी चीज बणा कै घरनै मेरी मां भिजवाया करती। पांच सात सेर कोथली मैं, गुड़ की बणी सुहाली हो थी। गैल्या खांड के खुरमें हो थे, मट्ठी भी घर आली हो थी। सेर दो सेर जोवे हों थे, जो बैठ दोफारे तोड्या करती। पांच सात होती तीळ कोथली मैं, जो बेटी खातर जोड़्या करती। एक बढिया तील सासू की, सूट ननद का आया करता। मां बांध्या करती कोथली, मेरा भाई लेकै आया करता। हम ननद भाभी झूल्या करती, झूल घाल कै साम्मण की। घोट्या आली उड़ै चुंदड़ी, लहर उठै थी दाम्मण की। डोलै डोलै आवै था, भाई देख कै भाज्जी जाया करती। बोझ होवै था कोथली मैं, छोटी ननदी लिवाया करती। बैठ साळ मैं सासू मेरी, कोथली नैं खोल्या करती। बोझ कितना सै कोथली मैं, आंख्या ए आंख्या मैं तोल्या करती। फेर पीहर की बणी वे सुहाली, सारी गाल मैं बाट्या करती। सारी राज्जी होकै खावैं थी, कोए भी ना नाट्या करती। कोथली तो ईब भी आवै सै, गैल्या घेवर और मिठाई। पर मां के हाथ की कोथली सी, मिठास बेबे कितै ना पाई। सावन की कोथली और तीज की बधाई।🌳🌴🌳🌴🙏🙏 N S Yadav GoldMine 🌹🌹🙏🙏🌹🌹 ©N S Yadav GoldMine #DiyaSalaai बूड्ढी बैट्ठी घर के बाहरणे छोरी पतासे बाट्टण आई। करले दादी मुह नैं मिट्ठा मेरी मां की कोथली आई। {Bolo Ji Radhey Radhey} बूड्ढी
KP EDUCATION HD
KP GK SAGAR GK questions in Hindi video ©KP STORY CREATOR 🩺 जीव विज्ञान से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न 🦠 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖ 1.: - मांसपेशियों में किस अम्ल के एकत्रित होने से थकावट आती है ? Ans : - लैक्टि
Vedantika
पी लेता है हर घूंट चुपचाप दुनिया के सामने लेकिन अपनी छाछ को कोई खट्टा नहीं कहता लाख निकाल लें कमी दूसरों की अच्छाई में मगर अपनी बुराई को वो बुराई नहीं कहता छुपाता फिरता है वो अपनी शख़्सियत ज़माने से वो जैसा है फिर कभी वैसा नही रहता ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_177 👉 अपनी छाछ को कोई खट्टा नहीं कहता लोकोक्ति का अर्थ --- अपनी चीज़ को कोई बुरा नहीं बताता। ♥️ इस पोस
Kulbhushan Arora
ज़िंदगी की कशमकश से, हमने बहुत कुछ सीखा है, कुछ मीठा है कुछ खट्टा है, कुछ कड़वा कुछ तीखा है।। ज़िंदगी तो हर कदम पे हमें, कितना कुछ तो सिखाती है, हों कितनी भी मुश्किलें हमें, रास्ता भी ज़िंदगी दिखाती है, हिम्मत से अपना हाथ थामे रहिए हर मुश्किल आसान हो जाती है, हम स्वयं ही सर्वश्रेष्ठ मित्र अपने, समझ गया जो....... जीत उसीके हिस्से आती है।। ज़िंदगी की कशमकश से, हमने बहुत कुछ सीखा है, कुछ मीठा है कुछ खट्टा है, कुछ कड़वा कुछ तीखा है।। ज़िंदगी तो हर कदम पे हमें, कितना कुछ तो सिख
Kulbhushan Arora
Rainbow 🌈 is gift Rom Nature Rainbow 🌈 gifted A Happiness*Milli* Dedicating a #testimonial to Mili दिन को खुशी हुई जब उसे रात मिली, रात को सुबह मिली, सुबह आई तो खिली खिली, कभी कभी किसी का मिलना इतना मन को
Kulbhushan Arora
मेरा पांचवा पत्र पांच बहुत महत्वपूर्ण होता है ये पत्र.. *पुण्या* के नाम पुण्या 😍😍, याद नहीं कौनसा दिन था, उस दिन के पहले पल में मेरे मन से* पुण्या* नाम निकला था। तुम कहती हो खुद को पहेली, पहेली है सबकी प्यारी सहे
अनिता कुमावत
मुखिया पति परिवार का , चाभी पत्नी हाथ ! चाहे जैसे नाच नचाए , पति को अपने साथ !! पति है ईश्वर परम , बस करवा चौथ की रात ! पत्नी देवी सदा ही , यही है पते की बात !! हीरे , सोने , चाँदी के गहनों की है चाह ! पति बेचारे को फिर न सूझे कोई राह !! जो न पूरी माँग हो , क्रोध इसे आ जाय ! भूखा रखे पति को , भोजन भी ना पकाय !! फिर भी ना बने बात तो , दूजे भी हैं हथियार ! आँसू बहा कर ये , करें इमोशनल अत्याचार !! साथ हमेशा रहे दोनों रेल पटरी समान ! विचार ना हो एक पर , रखते एक दूजे का मान !! पति पत्नी की झड़प ये हैं रिश्तों का आधार ! खट्टा - मीठा प्रेम ही है , इस जीवन का सार !! हास्य रचना है हास्य के साथ ही पढ़ें 😄🙏 मुखिया पति परिवार का , चाभी पत्नी हाथ ! चाहे जैसे नाच नचाए , पति को अपने साथ !! पति है ईश्वर परम ,