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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मुकुलितकलिकावलि छन्द 212 111 111 212 शाप मुक्त कब यह धरा हुई । राम संग सिय जब व्यथा हुई ।। देवभूमि अवध कहते रहे । राम-राम भजन करते रहे ।। ११/०१/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुकुलितकलिकावलि छन्द 212 111 111 212 शाप मुक्त कब यह धरा हुई ।
kumaarkikalamse
प्रिय मुकुल, मैं जानता हूँ पत्र लिखना जितना मुझे पसंद है उतना तुम्हें भी और हाँ मैं तुम्हें हक़ से 'तुम' कह सकता हूँ..। पत्र में तुमसे हुई कुछ गुफ़्तगू लिख रहा हूँ, उम्मीद करता हूँ तुम वर्तमान में रहकर, भूत को जियो गे और भविष्य को सुन्दर करोगे..। पहला संस्मरण :- दिन, दिनाँक तो याद नहीं पर जब पहली बार तुमसे मैंने दाऊ सुना था, सच में ख़ुद को बलराम मानने लगा था और यकीन होने लगा था कि बड़ा हूँ.. (मज़ाक नहीं है यह) यहां पर ज्यादतर लेखक, पाठक मुझे भाई, सर या दोस्त ही कहते, दाऊ कभी नहीं सुना, ना ही कभी जिंदगी में अब तक किसी ने सामने से कहा.. यह मेरी लाइफ में सुना शायद सबसे प्यारा संबोधन हैं मेरे लिए क्योंकि इसमे केवल संबोधन नहीं, प्यार है, सम्मान है..। प्रिय मुकुल, मैं जानता हूँ पत्र लिखना जितना मुझे पसंद है उतना तुम्हें भी और हाँ मैं तुम्हें हक़ से 'तुम' कह सकता हूँ..। पत्र में तुमसे हुई
xyz
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• प्रिय , ना खींचो नज़रों के ये तीर कमान, काले नैन तुम्हारे हैं कामदेव के बाण समान। केश राशि..,! उड़ते भँवरों की याद दिलाए, हैं अधर ,अर्धस्फुटित कमल पंखुड़ी समान।। मुकुलित मुख कर रहा है व्याकुल मुझको, बेबस ह्रदय !बंधे हुए हैं मोहपाश में प्राण।।। नाज़ुक कलाई, तन है मख़मली रुई सा कोमल, तुम्हारी चूड़ियाँ भी करती हैं बहुत अभिमान।।।। चिकनी कमर की लचक पर हृदय फिसला जाए, हाय! तुम्हारी छुअन से निकली जाए मेरी जान।।।।। दहक उठता है अंग, "जंगल में लगी आग समान", ये सुंदर काया देख, व्याकुलता होती विराजमान।।।।।। - S. Sagar Pic Credit: Proverbs World ❤️ Round: 2 , Task: 1.2 (C) Team: PWniceSimiles Genre: Romance (हिंदी) Prompt: नैन तेरे कामदेव के बाण समान •••••
xyz
नाज़ुक कलाई, तन है मख़मली रुई सा कोमल, तुम्हारी चूड़ियाँ भी करती हैं बहुत अभिमान।।।। चिकनी कमर की लचक पर हृदय फिसला जाए, हाय! तुम्हारी छुअन से निकली जाए मेरी जान।।।।। दहक उठता है अंग, "जंगल में लगी आग समान", ये सुंदर काया देख, व्याकुलता होती विराजमान।।।।।। --S. Sagar Round: 2 , Task: 1.2 (B) Team: PWniceSimiles Genre: Romance (हिंदी) Prompt: नैन तेरे कामदेव के बाण समान ••••••••••••••••••••••••••••••••••••
Nidhi Agrawal
प्रेम की अनंत कविताएं लिखने के बाद सोचा कि अब कुछ शेष रहा ही नही फिर एक दिन मेरे आंगन के फूल पर तितली आकर बैठ गई मैं उसे देख मुस्कुराई जैसे एक नई अनुभूति हुई जैसे मुझे फिर प्रेम हुआ और मैने फिर लिखा प्रेम में संपूर्ण हो जाना प्रेम नही है समर्पित हो जाना प्रेम है उस लम्हे के प्रति जब तुम्हे प्रेम हुआ हो प्रेम की संपूर्णता को परिभाषित करना कहाँ किसी के लिए सरल हो पाया है❤️ आज बहुत दिनों बाद कुछ लिखा 💞💞 बहुत मित्रो के जन्मदिन भी गए पर में कुछ
Nidhi Agrawal
मेरी चूड़ी की खनक सजधज के तैयार है मेरी पाज़ेब भी इतराने को बेकरार है इन आंखों में मेघों को रोका है मैंने अब तक तेरे नाम की मेहंदी को पिया तेरा इंतजार है ★★ सभी रचनाकारों से अनुरोध है कि लिखने से पूर्व कैप्शन भली भांति पढ़े...💐💐 ★ आज का विषय :- 'मेरी पाज़ेब' ❤️ ★इस विषय पर सुंदर अक्षरों में श्र
lalitha sai
मेरे नटखट मुकुल प्यारे... Dedicating a #testimonial to अल्हड़ 'मुकुल' 🐣🦋 रंगों से भरी तुम्हारा दुनियाँ हो और उस दुनियाँ में हर रंग के खुशियाँ ही खुशियाँ हो.. Sorry मै
lalitha sai
हाये...🤗 सुन्दर आती सुन्दर.. हमारा दोस्ती है.. बहुत ही सुन्दर...🤗 #lalithasai #mukultiwari #garima #मेरी_लाड़ली #loveubhai #प्रेम #दोस्तीहमारी सच में आप सभी को...😀😀😀
lalitha sai
एक अच्छा दोस्त.. अपने जीवन को..और.. जीवन जीने की विधि को.. बदल सकता है... ये तुमने करके दिखाया है.. मुक्कु प्यारे...😊 Dedicating a #testimonial to मुकुल कुमार तिवारी 🥀🐣 क्या कहु मुक्कु.. समझ में ही नहीं आ रहा है.. दिल से शुक्रिया.. 😊😊 मेरे हर सवाल का जवाब बन