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New कष्टकारी Quotes, Status, Photo, Video

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Sethi Ji

💞💞 दोस्ती की पहचान 💞💞 💞💞 दोस्तों का सम्मान 💞💞 दोस्ती जान से प्यारी होती हैं ।। दोस्तों से दुनिया सारी होती हैं ।। कोई चाहा कर भी अलग ना #Zindagi #Trending #कहानी #ishq #कविता #nojotoapp #nojotoshayari #Dostiforever #22Dec #Sethiji

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Praveen Storyteller

#runaway इतना बड़ा होना भी कष्टकारी है इस अवस्था मैं अपने दिल की पीड़ा किसी को बता भी नहीं सकते #विचार

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Health Is Wealth DK

#परिवर्तन जितना कष्टकारी होता हैं,###

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शिवम ओझा रिनिया

होते वक़्त गलतियाँ कष्टकारी होती है, लेकिन सालों बाद इन्ही गलतियों के संग्रह को हम अनुभव कहते है !! #बात

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©शिवम ओझा रिनिया होते वक़्त गलतियाँ कष्टकारी होती है,
लेकिन सालों बाद इन्ही गलतियों के 
संग्रह को हम अनुभव कहते है !!

Roopanjali singh parmar

मिलन जितना अधिक आनंददायक होता है, उससे कहीं ज़्यादा कष्टकारी होता है 'विरह'। यह संपूर्ण शब्द जीवन को अपूर्ण कर देता है और कभी-कभी मृत्यु इस व #Roop #रूपकीबातें #roopkibaatein #roopanjalisingh #Roopanjalisinghparmar

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मृत्यु

(कृप्या अनुशीर्षक में पढ़ें)
#रूपकीबातें
#roopanjalisingh मिलन जितना अधिक आनंददायक होता है, उससे कहीं ज़्यादा कष्टकारी होता है 'विरह'।
यह संपूर्ण शब्द जीवन को अपूर्ण कर देता है और कभी-कभी मृत्यु इस व

Swarima Tewari

मुझे सपनों में अक्सर अनारकली दिखती है..रोती हुई नहीं, हँसती हुई.. कभी कभी उदास भी हो जाती है शहजादे सलीम के लिए सोचकर..वो कहती है ज़ंजीरों मे #प्रेम #hindiquotes #yqbaba #मृत्यु #yqdidi #yqhindi #pc_pinterest #yqdidihindi

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    In Caption मुझे सपनों में अक्सर अनारकली दिखती है..रोती हुई नहीं, हँसती हुई.. कभी कभी उदास भी हो जाती है शहजादे सलीम के लिए सोचकर..वो कहती है ज़ंजीरों मे

Roopanjali singh parmar

#emptiness रात्रि क्या है? तुम्हें क्या लगता है, क्या केवल सूर्य का अस्त होने ही रात्रि है..? नहीं! किसी चूर-चूर हो चुके स्वप्न के लिए रात #Night #Dark #Roop #रूपकीबातें #roopkibaatein #roopanjalisingh #Roopanjalisinghparmar

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रात्रि क्या है?

तुम्हें क्या लगता है, क्या केवल सूर्य का अस्त होने ही रात्रि है..?
नहीं!
किसी चूर-चूर हो चुके स्वप्न के लिए रात्रि वरदान नहीं, मन के लिए विश्राम नहीं, अपितु अभिशाप की भांति है।
जो निगल जाती है, भीतर कहीं प्रकाश को, और फैला देती है समुची दिशा में घोर अंधकार।

रात्रि केवल समय का एक चक्र नहीं अपितु भयभीत करने वाला वह चक्र है जो हृदय की गति को बढ़ा देता है। 
एक ऐसा अंधकार जो ना केवल बाहरी अपितु अन्तर्मन को भी सर्पदंश की भांति विषैले अंधकार से भर देता है।

जिनका हृदय खण्ड-खण्ड में विभाजित हो, जिनकी मनःस्थिति सही ना हो, उनके लिए यह केवल रात्रि नहीं होती। एक ऐसा भारी समय होता है, जिसका प्रत्येक क्षण घड़ी के कांटे के समान चुभता है, जो अनेक प्रयत्नों के बाद भी केवल कष्टकारी ही प्रतीत होता है।


रात्रि केवल रात्रि नहीं होती, अपितु ना काट सकने वाली उस धातु के समान है, जो तीव्र ज्वाला में रक्त की भाँति लाल होकर केवल और केवल सुख का दहन करती है।
एक ऐसी अग्नि के समान है जो असीमित तीव्रता से शरीर का विनाश करती है।

रात्रि मित्र नहीं शत्रु है। यह केवल वार करती है उस स्थान पर और उस समय जब आप असहाय होते है। जब आप दुःखी होते हैं।

यह केवल अपने अंधकार को बढ़ाती है आपके कष्ट को बढ़ाने के लिए, और एक समय ऐसा भी आता है, जब आप खुद के घुटने टेक देते हैं, और हार को स्वीकार कर उन स्मृतियों में पहुँच जाते हैं जो केवल आपको पीड़ा पहुँचाती हैं।
#रूपकीबातें
#roopanjalisingh #emptiness 
रात्रि क्या है?

तुम्हें क्या लगता है, क्या केवल सूर्य का अस्त होने ही रात्रि है..?
नहीं!
किसी चूर-चूर हो चुके स्वप्न के लिए रात

saurabh

मन ने बोला सो लिखा ~~~~~~~~~~~~~~~~ शायद मेरे लिए प्रेम या प्रणय की परिभाषा कुछ और है,

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 प्यार बस प्यार जैसा होता है
 प्यार मे रिस्वतें नहीं चलती..!
दुआओं में याद रखने से इनकार नहीं कर सकता
प्यार के रुहानी लफ्ज़ को बेकार नहीं कर सकता
मैं किसी की सासों पर अधिकार नहीं कर सकता
ऐ रब किसी की जिंदगी को अपने बस में कर लेना
गर यही प्यार है तो बेशक मैं प्यार नहीं कर सकता                        मन ने बोला सो लिखा
                    ~~~~~~~~~~~~~~~~
          
शायद मेरे लिए प्रेम या प्रणय की परिभाषा कुछ और है,

Dr Upama Singh

कभी धूप चांदनी कभी बादल हवा कभी बरखा गुलिस्तान होती हैं बिन प्रकृति के हम इंसान की ज़िन्दगी कितनी अधूरी और सुनी है चारों ओर देख लो तुम इंसान #yqdidi #yqrestzone #collabwithrestzone #rzलेखकसमूह #rzwriteshindi #unique_upama #rztask402

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      “प्रकृति की लीला”
       अनुशीर्षक में;//👇👇    

 कभी धूप चांदनी कभी बादल हवा
कभी बरखा गुलिस्तान होती हैं
बिन प्रकृति के हम इंसान की
ज़िन्दगी कितनी अधूरी और सुनी है
चारों ओर देख लो तुम इंसान
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