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Stories related to पाउलोनिया रुख

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neelu

#sad_shayari जो आपके पास है वह किसी के पास नहीं है.. वह आंखें जो खुली आंखों से ख्वाब देख सकते हैं वह हाथ जो लेने देने में फर्क नहीं करते है #Poetry

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Ankur tiwari

#Night कभी आया था एक शक्श अजनबी सा जिंदगी में कुछ दिन के लिए मेरे जीवन का रुख ही मोड़ दिया जिनसे बातें करके कभी वक्त का पता नही चलता था अ #SAD

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White कभी आया था एक शक्श अजनबी सा जिंदगी में 
कुछ दिन के लिए मेरे जीवन का रुख ही मोड़ दिया 
जिनसे बातें करके कभी वक्त का पता नही चलता था 
अंजान एक बात क्या हुई उसने बोलना ही छोड़ दिया
@अंजान

©Ankur tiwari #Night कभी आया था एक शक्श अजनबी सा जिंदगी में 
कुछ दिन के लिए मेरे जीवन का रुख ही मोड़ दिया 
जिनसे बातें करके कभी वक्त का पता नही चलता था 
अ

Praveen Jain "पल्लव"

#car पुतलो की तरह रुख हमारे हो गये #nojotohindi #कविता

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Hritik Gupta

Srinivas

#Motivated आंधियों से कह दो अपना रुख मोड़ लें, हम जब चलते हैं तो तूफान भी रास्ता छोड़ देते हैं। #विचार

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Shivkumar बेजुबान शायर

#emotional_sad_shayari #Emotional #Emotionalhindiquotestatic #EmotionalHindi कुछ यादें ही फकत को छोड़ जाएगा वो जिंदगी से जब रिश् #कविता #रिश्ता #आंसू #हमसफर #जज़्बात

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- नज़्म हम आपसे उठाते हैं । आपको देख मुस्कराते हैं ।।१ #शायरी

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ग़ज़ल :-
नज़्म हम आपसे उठाते हैं ।
आपको देख मुस्कराते हैं ।।१
आज बरसो हुए लिए फेरे ।
गिफ्ट तुमको चलो दिलाते हैं ।।२
प्यार कब बाँटते यहाँ बच्चे ।
प्यार तो और ये बढाते हैं ।।३
हाथ जब भी लगा तेरे आटा ।
रुख से लट तब हमीं हटाते हैं ।।४
जब भी आयी विवाह तारीखें ।
घर को खुशियों से हम सजाते हैं ।।५
घर के बाहर कभी न थी खुशियाँ ।
सोचकर शाम घर बिताते हैं ।।६
दीप बुझने न दूँ मुहब्बत का ।
नाम का तेरे सुर लगाते हैं ।।७
है खुशी का महौल घर में अब ।
बच्चे किलकारियां लगाते हैं ।।८
हाथ मेरा न छोड देना कल ।
जी न पाये प्रखर बताते हैं ।।९
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-


नज़्म हम आपसे उठाते हैं ।

आपको देख मुस्कराते हैं ।।१

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी । पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१ छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं । करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थ #शायरी

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White ग़ज़ल :-
वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी ।
पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१
छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं ।
करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थी ।।२
हटे कैसे नज़र मेरी हँसी रुख से ।
जिसे अब देख तर जाने की जल्दी थी ।।३
न था अपना कोई उसका मगर फिर भी ।
उसे हर रोज घर जाने की जल्दी थी ।।४
सँवरना देखकर तेरा मुझे लगता ।
तुझे दिल में उतर जाने की जल्दी थी ।।५
बताती हार है अब उन महाशय की ।
उन्हें भी तो मुकर जाने की जल्दी थी ।।६
नशे की लत उसे ऐसी लगी यारों ।
जैसे उसको भी मर जाने की जल्दी थी ।।७
सही से खिल नहीं पाये सुमन डाली ।
जमीं पे जो बिखर जाने की जल्दी थी ।।८
लगाये आज हल्दी चंदन वो बैठे ।
न जाने क्यों निखर जाने की जल्दी थी ।।९
किये सब धाम के दर्शन प्रखर ऐसे ।
खब़र किसको निकर जाने की जल्दी थी ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी ।
पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१
छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं ।
करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थ

Naveen

खानाबदोस थे हम, रुख किया था उनकी और मुक्कमल हुए थे हम, सफ़र अनमोल था उनकी और प्यार हुआ था मुझे, पनाह मिली थी उनकी और #SAD #memoriesforever

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