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aaj_ki_peshkash
Dk Patil
Andy Mann
इन सारे झमेलों से मैं वाक़िफ़ हूँ अज़ल से दिखला न मुझे हिज्र की ये कश्फ़-ओ-करामात ये पेड़ तिरी याद से सरसब्ज़ हुआ है झड़ सकते नहीं इस के किसी तौर कभी पात ©Andy Mann #पर तिरी
K C
ये मुमकिन है कि मिल जाएँ तिरी खोई हुई चीज़ें क़रीने से सजा कर रखा ज़रा बिखरी हुई चीज़ें कभी यूँ भी हुआ है हँसते हँसते तोड़ दी हम ने हमें मालूम था जुड़ती नहीं टूटी हुई चीज़ें ज़माने के लिए जो हैं बड़ी नायाब और महँगी हमारे दिल से सब की सब हैं वो उतरी हुई चीज़ें दिखाती हैं हमें मजबूरियाँ ऐसे भी दिल अक्सर उठानी पड़ती हैं फिर से हमें फेंकी हुई चीज़ें ©K C #beautifulhouse ये मुमकिन है कि मिल जाएँ तिरी खोई हुई चीज़ें क़रीने से सजा कर रखा ज़रा बिखरी हुई चीज़ें कभी यूँ भी हुआ है हँसते हँसते तोड़
ANIL KUMAR
तुझे देख दिल को लगा एक झटका है तेरी ज़ुल्फ़ों में जा मेरा दिल अटका है ©ANIL KUMAR तिरी ज़ुल्फें
अल्फ़ाज_₹srivasTava
जब भी आती है तिरी याद कभी शाम के बअ'द और बढ़ जाती है अफ़्सुर्दा-दिली शाम के बअ'द अब इरादों पे भरोसा है न तौबा पे यक़ीं मुझ को ले जाए कहाँ तिश्ना-लबी शाम के बअ'द यूँ तो हर लम्हा तिरी याद का बोझल गुज़रा दिल को महसूस हुई तेरी कमी शाम के बअ'द यूँ तो कुछ शाम से पहले भी उदासी थी 'अदीब' अब तो कुछ और बढ़ी दिल की लगी शाम के बअ'द ©अल्फ़ाज_₹srivasTava #Love जब भी आती है तिरी याद कभी शाम के बअ'द
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
हरेक इंसान भी यही और इंसानियत भी यहीं ,हो जाती है जाहिर हैवान की हैवानगी भी यहीं//१ होकर शादमा मिरी जान मुझसे मिल तो सही,के घुटकर मर जाती है सात पर्दों में दीवानगी भी यहीं//२ तमाम तसव्वुर को करके तर्क,तिरी याद को दिल में लिए,तभी तो छाई है सूरत पे बेचारगी भी यही//३ हाय रह गई आईने में अक्स की हकीकत भी धरी, के अक्सर छोड़ जाती है पेशानी पर हैरानगी भी यहीं//४ ऐ दुन्यावी खल्क जरा सलीके से पेश आ,के तुझे देखनी है जन्नत और जहन्नुम की कुशादगी भी यही//५ "शमा"यूंतो इंसानियत के मरहले दुश्वार ही गुजरे़, मगर वो तो गुजार रहे है आवारगी भी यही//६ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #sadak हरेक इंसान भी यही और इंसानियत भी यहीं,हो जाती है जाहिर हैवान की हैवानगी भी यहीं//१ होकर शादमा मिरी जान मुझसे मिल तो सही,के घुटकर मर
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