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Babli BhatiBaisla
शुष्क हो गई सुषमा की ऊष्मा किरण मत बैठ भुलावे में जाने कैसे खुश्क हो गई खासियत उसकी जान हमारे बारे में सुधा छोड़ बुलाने का चस्का उसे रास नहीं आता अब तो मै इससे या वो मुझसे कम ज्यादा की नाप तौल में उलझी वो हम देसी दिलवाले बन दूर तलक बह निकले हैं शहरी शान दिखावे भर के खुद में सिमटे रहते हैं भाईचारे में घुल मिल बैठने का हुनर देसी ही लगता बेहतर थ्योरी से प्रैक्टिकल हमेशा ही रहता है आगे निकल कर दूर तलक चलने की ललक कुछ कर गुजरने की तड़प केवल उनमें होती है रह जातें हैं जो बहुत पीछे छूट कर बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla ऊष्मा
Abhishek 'रैबारि' Gairola
अनावरण तारों की झीनी चुनरिया को सरका कर वह धरती की ओर देखेगा और उसके सीने में अरबों सालों से जो आग धधक रही है उसकी ऊष्मा को अपने चेहरे पर महसूस पाएगा। इसके द्वारा हुई क्षणिक असहजता के फल स्वरुप वो अपना चेहरा विपरीत दिशा में मोड़ लेगा और फिर वही शोणित चेहरा, गर्म रक्त से लपलपाता हुआ फिर से, एक नए दृष्टिकोण से सृजित प्रेम के साथ उसी धरती को निर्विचार निहारेगा। ©Abhishek 'रैबारि' Gairola अनावरण तारों की झीनी चुनरिया को सरका कर वह धरती की ओर देखेगा और उसके सीने में अरबों सालों से जो आग धधक रही है उसकी ऊष्मा को अपने चेहरे पर म
SWARN_LEKHIKA_rumann_manchnda
प्रिय मई कितना प्यारा दिन है आज़, प्रथम मई मज़दूर दिवस है आज ॥ कितना अडिग कर्मठ सदस्य है ये, इस समस्त संसार का निर्माणकर्ता है ये ॥ कि मंदिर मस्जिद प्रभु की मूरत , हर इमारत तो इसने ही बनाई है ॥ फिर भी अहम की बात ना कर, निश्छल अद्भुत निस्वार्थ छवि पाई है ॥ नमस्कार लेखकों🌸 आज के #rzdearcharacters में हम लेकर आये हैं #rzप्रियमई । मई का माह कुछ ऐसे आता जैसे ग्रीष्म की ऊष्मा के बीच आती है ठंडे प
Kulbhushan Arora
Dedicating a #testimonial to आशा आदित्य सुगंधित इत्र, + सात्विक चरित्र, + शब्दों की मित्र =। *आशा आदित्य* *आशा आदित्य*
Kulbhushan Arora
प्रिय मई 😍 क्या बात है भई तुम्हारे आते ही, *ईद* भी आ गई... मुबारक हो सबको, खुशियों का ये त्यौहार, मीठी खीर खाना.. बांटना मीठा प्यार... बांटना ही तो है ना असल *त्यौहार* नमस्कार लेखकों🌸 आज के #rzdearcharacters में हम लेकर आये हैं #rzप्रियमई । मई का माह कुछ ऐसे आता जैसे ग्रीष्म की ऊष्मा के बीच आती है ठंडे प
विष्णुप्रिया
देख दृग वारिद कणों से अद्य नेह ममता निहारें ग्रीष्मा की ऊष्मा से सूखते महि ओष्ठों को क्षीरजल का पान देकर उर्वरा भू पर बिखेरे । देख दृग वारिद कणों से अद्य नेह ममता निहारें । देख दृग वारिद कणों से अद्य नेह ममता निहारें प्राण की सारी कलुष्ता व्यग्रता के भाव सारे, पोंछ कर अमृत सलिल से आत्मा के त्रास तारे ।
एकांत में दार्शनिक!(shiv)
दुःख और सुख कैप्शन में पढ़ें ©एकांत में दार्शनिक!(shiv) दुःख... कितना अप्रत्याशित होता है और कितना सशक्त होता है जो किसी के भी जीवन मे अचानक से आता है और आपके सुख की बुनियाद को हिला देता ह
AB
. . . . यह जो मेरे पुरे शरीर पर कहीं कहीं पड़े काले - फ़फोले से दाग - धब्बे देख रहे हो ना असल में यह ना गड्डे हैं तुम इन्हे " क्रेटर " भी कह सकते
Sunita D Prasad
#स्पर्श....क्षणिकाएँ.. १) तुम्हारा स्पर्श.. मेरे जीवन की सर्वाधिक.. संवेदनात्मक- कविता बनी..। २) प्रेम में.. थोड़ा झुका आसमान थोड़ी उठी धरा..! जहाँ किया.. दोनों ने .. एक-दूजे को 'स्पर्श'..! वहीं एक कविता पूरी हुई....!! --सुनीता डी प्रसाद💐💐 #स्पर्श....क्षणिकाएँ.. १) तुम्हारा स्पर्श.. मेरे जीवन की.. सर्वाधिक.. संवेदनात्मक 'कविता' बनी..!
अशेष_शून्य
एक निश्चित समय अंतराल के बाद हो रहे रक्त स्राव और उस स्राव की "तरलता से सींचता "जीवन" मैं तो अब भी यही कहूंगी कि.... सीखना चाहिए वैज्ञानिकों को "जिजीविषा" की दृढ़ता " किसी स्त्री से इस (प्रकृति से) तुम्हें ..मुझसे .....!! -Anjali Rai तुम हमेशा कहते हो की स्त्रियां "तरल" सी होती हैं जैसे........तुम कितनी "सहजता" से ढल जाती हो अपने किसी भी रूप में ! फ़िर मैं तुमसे यही कह