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राजकारण
आईनेच पोटच्या लेकरांचं मुंडकं धडावेगळं केलं ©राजकारण सोलापूर/कुईवाडी : घरात सर्वांनी एकत्रितपणे जेवण केले.. आजी-आजोबा एका नातेवाइकांच्या लग्नाला गेले.. सहा वर्षीय चिमुरड्याचे पप्पाही कामानिमित्
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat हस्ते चहरे के पीछे दौड़ता ज़माना है हालातो की बस्ती में रास्तों पर मरता नज़राना है किसने समझा होगा वो दिल में सिले सवालों को इंसान ही रोज़ मरता अंतर में के सवालों को पूछता ख़ुद से काली स्याही सी रातों के सन्नाटे को दिल से बवंडर मचता पर फिर भी बस मुस्कुराता दूसरो को दिखाने को क्या यही ज़िन्दगी की सच्चाई है दूसरों को दिखाने को अंदर ही घुटता सदमा लगाता उपर दिल दूसरों का बहलाने को हस्ती मिटती हाथों में समेटे लाखो रुपए आजमाने को निष्फल हो जाती ज़िन्दगी ख़ुद की ही ख़ुद के हाथों पड़तापित करने को जीवन की सूत्रधार सांसे बस कुछ खुल कर जी लेने दो दिल में भरे दर्दं रिसता शीर सी पिघलता रहा फसाद मचाने को। #rip #respect #lifequote #zindagi #yqbaba #yqdidi #yqtales Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat हस्ते चहरे के पीछे दौड़ता ज़माना है हालातो की
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat रुख़ हवाओं का बदला बदला सा है हा वो हमसफ़र था हा वो हमसफ़र था जिससे हमवाई ही ना थी, खुश्क खराश सी टीस उठी कह ना पाई कभी कमदर्द सा रिसता शीर बदहवासी ना थी कुबत ए रूह की बेचैनी और ब्धुमानी ही थी हलक से गटके वो मसले हुए ज़ख्मों से नासो में दौड़ती वो ख़ून की धार ही थी तो तह तक जमे हर हर्फ में एक आह ही थी कमजररं वो एक ख़्वाब जो आंखों में नमी छलती ही थी अब हर सांस में बस फर्ज़ की कहानी ही थी #relationship #yqbaba #yqdidi #lifequotes Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat रुख़ हवाओं का बदला बदला सा है हा वो हमसफ़र था हा वो हमसफ़र था
Ashay Choudhary
ईदी (Write up in caption) हैलो! हां बेटा, कब तक निकलेगा तू यहां आने के लिए सब तुझे बड़ा याद कर रहे हैं। अम्मी मुझे छुट्टी नहीं मिलती है, मन तो बड़ा है अाने का लेकिन त
शुभी
मस्कन में खड़ी दीवार हो गयी, माँ जो बूढ़ी और लाचार हो गयी. सफ़िना से दूर पतवार हो गयी, हालात से माँ की जो हार हो गयी. दरीचों पे जमा ये गर्द है शायद, मकीनों की बेपर्दा दरार हो गयी. मंज़र-ए-रंजिश जो रहा नज़र , तबियत माँ की आज़ार हो गयी. कर्ज़-ए-शीर कुछ यूँ नाक़िस रहा, औलाद अब माँ से बेज़ार हो गयी. 'शुभी', तीरगी रौशन चराग़ ना करे, माँ की ममता भी लो तार हो गयी. इस ग़ज़ल को ध्यान से पढ़ने पर आप पाएंगे कि इसके दो भाव निकल सकते हैं. एक तो जो आजकल घर के बंटवारे का रिवाज चल पड़ा है वो और दूसरा भाव है भार
yogesh atmaram ambawale
भारत मेरा देश ऐसा जिसमें जात धर्म अनेक, चाहे जो भी हो त्यौहार मनाए हम होकर एक | हिंदू हो या मुस्लिम हो,या हो चाहे कोई और पंथ, खुशियों के हर पल साथ मनाएं,मौला हो या हो संत| गणपती बाप्पा मोरया,या हो अल्लाह हू अकबर का नारा, निकले दिल से आवाज ऐसी,के गूंज उठे आसमान सारा | भारत देश है मेरा ऐसा,पूरे विश्व में एकात्मता की मिसाल दिखाएं, आपसी रंजिश भी हो अगर,बाहरी मुसीबत में एक साथ खड़े हो जाए | दिवाली की मिठाई हो,या हो ईद का शीर खुरमा, खुशबू ऐसी फैल जाए हवाओं में,के बन जाए अलग ही समा | भाईचारे की मिसाल दिखाऐ सदा,सदा हर धर्म साथ नजर आए, गणराज्य दिन हो या दिन स्वतंत्रता,हर हाथ में सिर्फ तिरंगा नजर आए | ऐसे एकात्मता के मिसाल की सूरत,ऐ भारत देश मेरा, पूरे विश्व में चाहे खूबसूरती कितनी भी,सबसे खूबसूरत भारत देश मेरा | १ संस्कृति रचना #rzhindi #yqrestzone #rzसंस्कृति #rzकाव्यशाला #restzone #rzसांस्कृतिकरचना #मेरा_भारत #मेरा_देश भारत मेरा देश ऐसा जिसमें ज
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Himanshu Bariya(im0 chhoti soch)
कंधे पर बिठा कर मेला दिखाया, तुमने घूम ना जाऊं इस भीड़ में ,शीर पर बिठाया, तुमने हर पल साथ न हो कर भी, दुनिया से कंधे से कंधा मिला कर चलना सिखाया, तुमने माना कभी खैरियत न पूछी ,मां की तरह मेरी पर सब सह कर इस दुनिया के काबिल बनाया,तुमने बस एक शिकायत आज भी है तुमसे, आज तक मां की तरह गले ना लगाया, तुमने बड़ी आसानी से समझ लेते थे हाल-ए-दिल का मेरे , मेरी हर जिद्द को हकीकत बनाया तुमने ©Himanshu Bariya(im0 chhoti soch) कंधे पर बिठा कर मेला दिखाया, तुमने घूम ना जाऊं इस भीड़ में ,शीर पर बिठाया, तुमने हर पल साथ न हो कर भी, दुनिया से कंधे से कंधा मिला कर चलना