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Arora PR
हिन्दुस्तान के मजहब का क्या कहना यहां तो हमने सभी मजहबो को इज़्ज़त दी हैँ पूजा हैँ क्योंकि "वासुदेव कुटुंबकम " ही हमारे मजहब का सन्देश हैँ यहां इबादत के लिए मंदिर मस्जिद और गुरूद्वारे भी हैँ और इनके बींच कोई दिवार भी नहीं हैँ ©Arora PR वासुदेव कुटुंबकम
Rajni Sardana
कुटुंब ******* दुनियाँ के लिये नाजायज, पर उसके लिये मैं जायज रहा | सींचती रही वो खून-पसीने से मुझे, बस उसके ही जिगर का मैं टुकड़ा रहा | देखता हूँ बंधे हैं लोग अनेक रिश्तों में, वो मुझ संग और मैं उस संग बंधा रहा | बाँटते है ख़ुशी गम सब अपने परिवार और रिश्तेदारों से, मेरे लिये उसका आँचल ही सारा संसार रहा | लोग पूछते हैं अक्सर मेरा पूरा नाम, मेरा कुटुंब, मेरी पहचान मुझसे, माँ के नाम के साथ जोड़ नाम अपना कहता हूँ, ये है आइडेंटिटी कार्ड मेरा | कहते है लोग परिवार ही है उनका शक्ति- स्तम्भ, बड़े गर्व से कहता हूँ "मेरी माँ "ही मेरा कुटुंब ©Rajni Sardana #कुटुंब #माँ
KP EDUCATION HD
KP NEWS HD कंवरपाल प्रजापति समाज ओबीसी for the ©KP NEWS HD इस पर्व का संबंध शिव जी से है और 'हर' शिव जी का नाम हैं इसलिए हरतालिका तीज अधिक उपयुक्त है. महिलाएं इस दिन निर्जल व्रत रखने का संकल्प लेती ह
Sandeep Kothar
डिक्रिप्शन अवश्य पढ़ें और अपनी प्रतिक्रिया कमेंट बॉक्स में लिखें। ©Sandeep Kothar वसुधैव कुटुंबकम् दोस्तों, अब तक का सबसे सफल शिखर सम्मेलन G20 रहा है, जहाँ सभी देशों ने 73 मुद्दों पर सहमति व्यक्त की और एक संयुक्त घोषणा (द
Punita Singh
And it's began.... ©Punita Singh #One Earth.One Family.One Future. #वसुधैव कुटुंबकम... #2023 #bharat..🇮🇳
Amit Singhal "Aseemit"
कुटुंब के सब सदस्य एक दूसरे को प्रेम और सम्मान दें, एक दूसरे की समस्याओं को समझें और समाधान दें। छोटी गलतियों को नज़रंदाज़ करने का प्रयास करें, कुछ देने का सोचें और कुछ लेने की न आस करें। ©Amit Singhal "Aseemit" #कुटुंब #के #सब #सदस्य
Yogeshwari Mukta
देण्याघेण्यात माझं- तुझं, तुझं - माझं याचा कधी विचारच आला नाही, आपल्या बोलण्यात, आपलं कुटुंब सोडून दुसरा कधी संवादच झाला नाही, सख्या रे, आपल्यांत विवेकता मार्गीच्या प्रेमाचा हा प्रवास कधी थांबला च नाही..... ©Yogeshwari Mukta साथ तुझी माझी ❤️ #साथ #विवेकीप्रेम #प्रेम #प्रेम_कविता #प्रेम_की_परिभाषा #कुटुंब #समजूतदारपणा #
Sultan Mohit Bajpai
जब मैंने चांद,तारों,पेड़,पर्वत मिट्टी खेत ,फसल और बाढ़ बारिश,धूप,पौधे और झाड़ से प्रेम किया तब मैं दूर हो गया अपने कुटुंब से ,पिता से और उनके समाज की संबद्धता से क्या संभव है की मैं प्रकृति और परिजनों से एक ही साथ प्रेम कर पाऊं और दोनो को बचा पाऊं जब मैं बैठा होता हूं, पिता के स्नेह के नीचे तो वो मेरी भूख के लिए एक पेड़ काट देते है और फिर हम दोनो आ जाते है खुले आसमान के नीच ©Sultan Mohit Bajpai पिता: जब मैंने चांद,तारों,पेड़,पर्वत मिट्टी खेत ,फसल और बाढ़ बारिश,धूप,पौधे और झाड़ से प्रेम किया तब मैं दूर हो गया अपने कुटुंब से ,पिता से