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Ashi Singh
उमा जोशी
बाजार संपला सारा कोलाहल झाला शांत घे आवरुन पसारा तू बघ समीप आला अंत जगण्याची ओढाताण केलीस आजवर फार परि अंतिम क्षणास नाही गडबड जाण्याची फार मिळतील तुला जितके ते ओढून श्वास घे पुढचे एकदा इथुन गेल्यावर ना येथे परतायाचे त्या जगात वरती होतो ताळा अपुल्या कर्मांचा जोडून पुण्य पदराला तू फोड घडा पापांचा देवास विनवुनी सांग हा जन्म असो शेवटचा बा तूच दाखवी आता तो मार्ग मला मोक्षाचा ऐकून विनवणी असली प्रिय देवाला होशील फेरा सरेल जन्माचा अन तुला मुक्ति लाभेल २०/०४/२०२३ @ २३:३१ ©उमा जोशी #मुक्ती #उद्धव_वृत्त
Rajendrakumar Jagannath Bhosale
चाकरमानी हा शिस्तप्रिय व्यक्ती पगारदारावर त्यांनी ओकली भक्ती चमच्यांची पोकळ देशभक्ती पेहरावाची केली बघा सक्ती लोकशाहीत हक्काची मक्ती संघटनाची येथे बेगडी शक्ती खरा विचारवंत काढील युक्ती काळच करील गुलामांची मुक्ती ©rajendrakumar bhosale मुक्ती #mukti #mountainday
Achal Koushal
.........................( # मुक्ति ......🌹..)...................... ~~••~~••~~••~~••~~••~~••~~••~~••~~••~• मेरे मन में बिन पूछे तेरे चले आना अब और नहीं ..........🌹 बातों - बातों में तेरा ज़िक्र कर जाना अब और नहीं............ 🌹 मेरी पलकों पर तेरा पल भर ठहर जाना अब और नहीं ..............🌹 मेरे धड़कनों से तेरा यूं ही गुजर जाना अब और नहीं ...........🌹 तेरा हर ख़्याल अब किसी दीन याचक - सा खटकता है.................... 🌹 मेरे दिल का द्वार सर्दी की रात 🌃 में किसी थके मुसाफ़िर - सा दहकता है..................... 🌹 ढूंढ़ता कोई छत, मागता थोड़ी आग 🔥 उसे शरण देना है या नहीं यह तुझे तय करना समझता हूँ........... 🌹 मेरा उलझन है.... तो बस इतनी हैं की प्रेम कम हो गया है..... मुझसे या मुक्त होना चाहती हो तुम... ये मतभेदों का कारण मैं खुद समझता हूँ............ 🌹 .......मुक्ती....... 🌹🌹
Sarita ji
खुशी तभी मिलती है जब आत्मा सन्तुष्ट होती है समस्या का हल मुक्ती का द्वार
ramakant kshirsagar
ये रेल कर्म चारी अपना फर्ज निभाने मे कोई कम नही होते है . अपना कर्तव्य निभाते रहते है
Hariom Pratap Singh
इकराश़
बरसती जहाँ नैमते है खुदा की, मसानों में देखो, वो रहते वहाँ है। इस शेर का सार ये है कि जिसे मौत मिल गई, उसे मुक्ती, यानी खुदा की नैमत, मिल गई। बनती ग़ज़ल का एक शेर है। © इकराश़ #YqBaba #YqDidi #इकराश़ना
इकराश़
मुसाफ़िर, दिखा पीठ जाता कहाँ है, तिरी है जो मंजिल, वो रहती यहाँ है। मिरे यार मत बैठ थक-हार के अब, अभी बस में करना ये सारा जहाँ है। उसे ढूँढ कर ही सुकूं अब मिलेगा, रक़ीबों बता दो वो रहती कहाँ है। मुझे दुश्मनों की ज़रूरत नहीं है, करीबी मिरे सब फ़रेबी यहाँ है। बरसती जहाँ नैमते है खुदा की, मसानों में देखो, वो रहते वहाँ है। आखिरी शेर का सार ये है कि जिसे मौत मिल गई, उसे मुक्ती, यानी खुदा की नैमत, मिल गई। एक ग़ज़ल कोशिश की है लिखने की। कोई त्रुटी हो तो अवश्य बताइ