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Abha Singh
vishwadeepak
पगडंडियों पे चलके, चौराहे तक आया हूँ, मंजिल है किस ओर, जाना है कहां?, अभी तक जान न पाया हूँ, मैं हूँ और बस मेरा साया है, बाकियों को काफी पीछे छोड़ आया हूँ, धूप छाँव का डर नहीं मुझे, अंधेरों में भी सीना तान कर आया हूँ, रूठी है दुनिया मुझसे मेरी, न जाने क्यूँ?, इन्हीं कारणों का पता लगाने आया हूँ, हांथ पकड़ कोई रास्ता बता दे, कितना लंबा सफर तय कर आया हूँ, या मैं चलूँ मन से मन की ओर, कहीं खा न जाऊँ धोखा जैसे पहले भी खाया हूँ, फिर लौट न आ मिलूँ कहीं वापस, इतनी मेहनत करके जिसके लिए आया हूँ, आ नहीं रहा समझ में कुछ भी, क्या करूँ मैं बहुत घबराया हूँ, एक दिशा सही मिल जाए, देखेंगे फिर लोग मंजिल कैसे पाया हूँ, पगडंडियों पे चलके, चौराहे तक आया हूँ........ लेखक :- दीपक चौरसिया ©Deepak Chaurasia #my poetry #पगडंडियों पे चलके, चौराहे तक आया हूँ, मंजिल है किस ओर, जाना है कहां?, अभी तक जान न पाया हूँ, मैं हूँ और बस मेरा साया है, बाकियों
Gaurav Christ
Shivam Nahar
Nisheeth pandey
आज के आदमी की फितरत को देख एक कोशिश कुझ पंक्तिया लिखने की ..... .............. नीले आकाश को अपनी आगोश में ..... है छुपा लिया काले बादलों ने... चमक चमक कर शोर मचा रहीं है बिजलियाँ .... लगता है आकाश के लिये पागल हो रहीं है बिजलियाँ ... गरज गरज धमका रहा बादल है मची कोहराम सा... जाने कौन रो रहा है आकाश में बेपनाह सा... आँशु टिप टिप उतर आया जमीन पर दर्द बढ़ा कोई झरना सा .... लोग कहते हैं देखो बारिश ने बनाया जमीं दरिया सा.... पी न पाया तुम्हारे आँशु जमीं पर समंदर प्यासे तालाब या दरिया प्यासा प्यासा सा .... तेरे मातम में ऐ आकाश खेत खलियान , गली चौराहे पथ या घरोंदे डूबा डूबा सा .... इंसान की बात है निराली ... तेरी मातम में भी खुशियां बटोरी ,.... काले बादल को घटाएं से नवाज दिया ... तेरी आशुओं के बौछार में खुद को कामरस से घोल दिया ..... तुम्हारे विप्पत्ति की व्यथा में ख़ुद का स्वार्थ ढूंढ लिया ... किसी ने अपनी अपनी मजबूरी का व्यथा गान किया ... किसी ने लुफ्त लिये तेरे बहाये आँशु में भीग भीग प्रेम का फूल खिला लिया.. . इंसान की बात है निराली तेरी मातम में भी खुशियां बटोर लिया .... कोई एक इंसा आकाश के फ़िक्र में नही दिखा ..... नीला आकाश दिख नहीं रहा जाने कहाँ खो गया ...... 🤔 #निशीथ ©Nisheeth pandey #GarajteBaadal आज के आदमी की फितरत को देख एक कोशिश कुझ पंक्तिया लिखने की ..... .............. नीले आकाश को अपनी आगोश में ..... है छुपा लिय
shayar bhagirath
एक चौराहे पर बैठकर मैं बरसों उसका इंतजार करता रहा वो आएगी एक दिन, में खुद को ही झूठा दिलासा देता रहा ©shayar bhagirath #cycle #एक #चौराहे #पर #बैठकर #मैं #बरसों #उसका #इंतजार #करता रहा.....!
Nisheeth pandey
#सफर पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... जौहर ज्वाला में घी डालूंगा ,उसको फिर प्रजवलित कर धधकनें दूँगा ... प्रणय की भाषा कागज़ पर लिखूँगा, पत्थरों पर शेरनी दुर्गा की आग लिख जाऊंगा...... उस शेरनी दुर्गा , काली , सीता , लक्ष्मी बाई की शौर्य लिख जाऊंगा .... अबला दुखियारी की भाषा बदलने वाली वह गाथा पत्थरों पे लिख जाऊंगा .... बिंदिया पायल कंगन वाले रति गीत की भवर डुबाते चले गये ..... लूट रही है समर भवानी गली गुचे , चौराहे या किसी फार्म हॉउस में कब जागोगे ...... देवी नहीं सिर्फ तुम शक्ति की आग हो ,मत क्रंदन विलाप करो ...... चढ़ो हवसी शिकारी के वक्षस्थल पर,और सिंह हुंकार भरो ...... वीरांगना तुम अब स्वाभिमान कि शक्ति पहचानो , तुम विश्व शक्ति की ठानो ...... कलाई ममोड सके न कोई तन छू सके न कोई , जैसा अडिग लक्ष्य भर जाऊंगा ..... रक्त नहाया किसी नन्हीं गुड़िया का शव,जाग रहीं है वर्षों से .... फुल की रक्षा का प्रण, फुल के बदन में कांटे जगा जाऊंगा ..... बलात्कारिओं को जेल देने से, गुड़िया की मरी आत्मा को क्या जीवन मिल जाएंगे ..... कंटक से भयभीत हुए तो,सुमन नहीं खिल पाएंगे...... कोई हाथ बढ़े तुम्हारे आबरू की ओर ,कभी न घबराना ..... हाँथ बढ़ने वाले का तुम,शीश काट कर चौराहे पे सज़ाना ...... सुप्त पड़ी अंतःशक्ति को तुम,कहो भवानी अब जागो, गिरो दामिनी बन भेड़िये पर,असि भय त्यागो ...... देखो अबोध मासूस चिड़िया को ,नोंच नोंच कर हवश मिटाते हैं ...... तड़प रही है तुतलाती सिसकियाँ , दरिंदे मौज मनाते हैं ....... खुलेआम चौराहों पर अबलाओं की इज्जत लुट जाती , तब छानबीन का खेल देखो ...... पाक पर्दा पड़ जता गुनाहों पर , अब नोटों का खेल देखो ..... रोज किसी को चीथड़े होने की बारी है आज क्या कल क्या ?..... सुप्त पड़ी नारी शक्ति सुन , खनकते चूड़ियों संग भर सकती हो हुंकार तलवार की क्या ? .... सीना ताने खड़ा भेड़िया , अपराध का उजाला है । हर सीनें में जलती आग पर , न जाने क्यूं अधर पर ताला है ।। पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... #निशीथ ©Nisheeth pandey #सफर पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... जौहर ज्वाला में घी डालूंगा ,उसक