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Vinod Umratkar

संमदे ओरडू हाये सांगत,रहा म्हणे रे बा घरात। नि तू बाहेर हिंडत, सांग व्हत का नाही घरात । मरनाले भे जरा,कायले जीव धोक्यात घालत । आला कोरोना द #Collab #YourQuoteAndMine #yqtaai #संदेश1

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संमदे ओरडू हाये सांगत,रहा म्हणे रे बा घरात।
नि तू बाहेर हिंडत, सांग व्हत का नाही घरात ।

मरनाले भे जरा,कायले जीव धोक्यात घालत ।
आला कोरोना देशात, सांग व्हत का नाही घरात ।

पीएमजी सांगे,सीएमजी सांगे,राहा सारे घरात
ठेवा स्वताले सुरक्षित ,सांग व्हत का नाही घरात ।

घेणं नाही देन नाही, तू कायले घराबाहेर पडतं 
बिनकामान चकरा मारत,सांग व्हत का नाही घरात ।

नको फिरू रे बाहेर ,नका घराबाहेर राहू हिंडत 
एखादा बसणं रट्टा जोरात,सांग व्हत का नाही घरात । संमदे ओरडू हाये सांगत,रहा म्हणे रे बा घरात।
नि तू बाहेर हिंडत, सांग व्हत का नाही घरात ।

मरनाले भे जरा,कायले जीव धोक्यात घालत ।
आला कोरोना द

Divyanshu Pathak

बे-सुरों की रामलीला -------------------------- किरदारों की खाल ओढ़कर खरदूषण संवाद करें। रामायण की टाल ठोक ये भाणायन का नाद करें। पढ़े-लिखे उ #yqbaba #yqdidi #yqhindi #cinemagraph #पाठकपुराण #भाणलीला

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बे-सुरों की रामलीला
--------------------------
किरदारों की खाल ओढ़कर खरदूषण संवाद करें।
रामायण की टाल ठोक ये भाणायन का नाद करें।

पढ़े-लिखे उल्लू के पट्ठे ये चमन चूकिए टॉप्पर हैं!
रट्टा ठट्ठा भट्टा सीखे हैं  और टोप्पे जैसे बात करें।

फ़र्क नहीं पड़ता रत्तीभर टिटपुँजिया नक्कारों से!
राम नाम लिया नहीं जाता इन जैसे मक्कारों से ।

राम राम है  राम राम ही राम राम जग जाहिर है!
खल कामी  छल ग्राही के यह भावों से बाहिर है।

समझे हैं  इक बात पुरानी  तुमको नहीं बतऊँगा!
नैतिकता के पैमाने पर  ना क़द को ढलकाऊँगा।

बात बात पर  बात बने  बनती बात बिगड़ जाए!
चलो सलीका कोई फ़िरसे अच्छा सा इज़ाद करें।  बे-सुरों की रामलीला
--------------------------
किरदारों की खाल ओढ़कर खरदूषण संवाद करें।
रामायण की टाल ठोक ये भाणायन का नाद करें।

पढ़े-लिखे उ

sandy

प्रेमाचा जांगडगुत्ता गं.. जीव झाला हा खलबत्ता गं..... उखळात खुपसले तोंड प्रिये.. मुसळाचा तुंबळ रट्टा गं.....! तू लाजाळू परी कोमल गं.. मी नि #poem #nojotophoto

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 प्रेमाचा जांगडगुत्ता गं.. जीव झाला हा खलबत्ता गं.....
उखळात खुपसले तोंड प्रिये.. मुसळाचा तुंबळ रट्टा गं.....!

तू लाजाळू परी कोमल गं.. मी नि

Divyanshu Pathak

सुप्रभातम साथियो....🙏😊🙏🍵🍵 वैश्वीकरण के इस दौर की दौड़ में हम शामिल तो हुए लेकिन अभी तक दौड़ना शुरू नहीं किया है। जहाँ दुनिया अपनी पूरी ताक़त से #yqbaba #yqdidi #yqhindi #पाठकपुराण

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प्रकृति और परमात्मा की हर एक कृति स्त्री, पुरुष, पशु, वनस्पति, नाग, सागर, पर्वत, कंकर, नदी, की उपासना करने वाले लोगों में जब हिंसा,घरेलू हिंसा, उत्पीड़न, शोषण, बलात्कार, दहेज़ हत्या, लूट, भ्रष्टाचार जैसी विसंगतियों को देखता हूँ तो बस यही सोच कर रह जाता हूँ कि--- 

शिक्षा के नाम पर रटाए गए अध्याय विरलों को छोड़ कर अधिकतर ने पढ़ाई लिखाई को पैसा कमाने या पेट भरने तक सीमित रखा। भूँख बढ़ी और भ्रष्टाचार पनपने लगा। सुप्रभातम साथियो....🙏😊🙏🍵🍵
वैश्वीकरण के इस दौर की दौड़ में हम शामिल तो हुए लेकिन अभी तक दौड़ना शुरू नहीं किया है।
जहाँ दुनिया अपनी पूरी ताक़त से

Abhimanyu Kamlesh Rana

"इश्क हुआ उस मौसम से" पनाह मेरे जिस्म में लेती वफा उस से निभाती शराब मुझे इश्क हुआ उस मौसम से ज़माना जिसे कहता खराब जागता हूँ #कविता #freebird

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"इश्क हुआ उस मौसम से"

पनाह मेरे जिस्म में लेती
वफा उस से निभाती शराब
मुझे इश्क हुआ उस मौसम से
ज़माना जिसे कहता खराब

जागता हूँ
तो दिल देवालय में सिर्फ उसे आने की है इजाजत
मेरी नींद में आरक्षण पाते
उसके ख्वाब

समझने के बजाय
काश रट्टा मारा होता
चुनावी वादों की तरह
कब का भूल गया होता
सच्च कहते हैं बड़े
कुछ भी अच्छा नहीं बेहिसाब

मैं मोहब्बत में किसान हो गया
मेरे हिस्से आया इज्तिराब* 
आढती के सूट पर देख कमखाब* 
मुनाफे का अंदाज़ा लगा लें जनाब

रुका रहा
मैं निजी बस सा रुका रहा
उसकी खातिर
वो सरकारी में
निकल गया शातिर

अब ना महताब* भाता मुझे 
ना मीठा लगता राब*
मुझे इश्क हुआ उस मौसम से
ज़माना जिसे कहता खराब ।।।।
 -   अभिमन्यु कमलेश राणा 

1)इज्तिराब* - व्याकुलता, बेचैनी 
2) कमखाब* - सिल्क या रेशम के कपड़े पर किया जाने वाला सोने-चाँदी के तारों या कलाबत्तू से बेलबूटाकारी का काम। इसे ज़री का काम भी कहते हैं।
3)महताब* - चांद
4)राब* - खांड "इश्क हुआ उस मौसम से"

पनाह मेरे जिस्म में लेती
वफा उस से निभाती शराब
मुझे इश्क हुआ उस मौसम से
ज़माना जिसे कहता खराब

जागता हूँ

BIKASH RANJAN

याद आता हे वह गलियां , चौबारे जहाँ बने थे दोस्ती हजारे वह सुबह शुरू होता था पानी भरे चाय की कप से खतम होते थे रात की बाकी रहा नींद में। कित #pal #yaadein #collegelife #कॉलेजडायरी

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याद आते हैं वह पल 2। 


इम्तिहान याद आता हे वह गलियां , चौबारे
जहाँ बने थे दोस्ती हजारे
वह सुबह शुरू होता था पानी भरे चाय की कप से
खतम होते थे रात की बाकी रहा नींद में। 
कित

BIKASH RANJAN

याद आता हे वह गलियां , चौबारे जहाँ बने थे दोस्ती हजारे वह सुबह शुरू होता था पानी भरे चाय की कप से खतम होते थे रात की बाकी रहा नींद में। कित #pal #yaadein #collegelife #कॉलेजडायरी

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याद आते हैं वह पल 2। 


इम्तिहान याद आता हे वह गलियां , चौबारे
जहाँ बने थे दोस्ती हजारे
वह सुबह शुरू होता था पानी भरे चाय की कप से
खतम होते थे रात की बाकी रहा नींद में। 
कित

Varun Kumar

My Love for Maa. My 100th post. My Happy Birthday Post. #100thpost 100 #Century ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ माँ न सिर्फ एक शब्द, एक यह अनुव #maa #yqbaba #PARENTS #RESPECTWOMEN #Spreadsmiles #VividVarun

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माँ
न सिर्फ एक शब्द, एक यह अनुवाद है,
न लिख के बता सकू, ऐसा ये एहसास है,
मैं जब भी दर्द में, आह की सिसकी भरता हूँ,
माँ(मैं आ) में हूँ का रट्टा ही तो रटता हूँ,
और मीलों दूर मेरी माँ को सब महसूस हो जाता है,
और उनकी एक दुआ से जीवन महफूज़ हो जाता है।

माँ
जन्म तूने मझे, बड़ा दर्द सह दिया है,
खुशी के लिए मेरी, तूने हर दु:ख का आंसू पिया है,
बचपन से ही मैं, बहुत शरारत करता था,
तेरे हाथ से दो निवाले खाकर ही, मेरा पेट भरता था,
गीले पे खुद सोकर, तूने मझे सूखे पे सुलाया है,
कुछ अच्छा कर्म किया होगा, तभी तो मैंने,
तुझे माँ स्वरूप पाया है।

माँ
सूरज की सेक से पहले, तू उठा करती है,
झाडू, पोछा, टिफ्फन, पानी की बोतल तक भरती है,
पूरा दिन काम तू कर, फिर भी कभी नही थकती है,
रात को 11बजे, मेरे आने तक तू जगती है,
कैसे जाऊ मैं मंदिर, जब देवी तुझमें बस्ती है,
तू है मेरे साथ जो माँ, तभी तो मेरी हस्ती है।

माँ
न मैं नंदलाल, न ही श्रवण कुमार हूँ,
न ही राम नाम सा दीपक, न कोई राजकुमार हूँ,
तू नही तो क्या है जग में, सब सूना और बेजान है,
तुझसे ही है जीवन मेरा, तुझमें ही तो प्राण है,
तेरी हर मुस्कान से माँ, मेरी तरक़्क़ी एक कदम चढ़ती है,
हर सुबह तेरे पाओं छूकर ही, मेरी ज़िंदगी आगे बढ़ती है। My Love for Maa. My 100th post. My Happy Birthday Post.

#100thPost #100 #Century
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
माँ
न सिर्फ एक शब्द, एक यह अनुव

Simant Sharma

रोज़ सुबह खिलें चेहरों से स्कूल जाना याद है स्कूल पहुँच कर दोस्तों से गप्पे लड़ाना याद है याद है वो क्लास बंक कर के बाहर चले जाना वो बचपन की #yqdidi #yqhindipoetry #cinemagraph #बचपन_के_वो_दिन #अनकहेअल्फ़ाज़ #yqhindisahitya #स्कूलकीयादें #स्कूलकेदिन

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स्कूल के वो दिन याद हैं

मुझे याद हैं वो सारे लम्हें, दिन और साल आज भी
और फिर कभी ना लौट आने वाला ज़माना याद हैं!!

( पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़िए ) 
 

 रोज़ सुबह खिलें चेहरों से स्कूल जाना याद है
स्कूल पहुँच कर दोस्तों से गप्पे लड़ाना याद है
याद है वो क्लास बंक कर के बाहर चले जाना
वो बचपन की

Sanket Bharti

ये कहानी है विद्यार्थी की या ये कह लो किसी प्रार्थी की विद्यार्थी की प्रजाति बड़ी अजीब है और ये भी विलुप्ति के करीब है इन पर होता दुनियाभर

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student's life


read full poem in caption ये कहानी है विद्यार्थी की
या ये कह लो किसी प्रार्थी की
विद्यार्थी की प्रजाति बड़ी अजीब है 
और ये भी विलुप्ति के करीब है
इन पर होता दुनियाभर
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