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MमtA Maया

21/04/24 मुझे खुशियाँ रास नहीं आती #Quotes

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Internet Jockey

#eidmubarak जिस गुरु ने तुम्हें भगवान से मिलवाया उससे ये कहना की तुमने किया ही क्या है, ये बात तो ईश्वर को भी रास नही आयेगी

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दीपा साहू "प्रकृति"

#Emotional #Prakriti_ #deepliner love कई शहर रास ही नहीं आते, पर वहाँ ठहरना मज़बूरी बन जाती है। ज़िन्दगी बहुत आज़माती है। लोग कई मिलते हैं, #Poetry

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Sethi Ji

💞💞 मोहब्बत का विश्वास 💞💞 💞💞 ज़िन्दगी का एहसास 💞💞 बस एक शिकयत हैं तुझसे ज़िन्दगी तू कभी " आशिक़ो " को रास नहीं आयी।। इतनी मोहब्बत करता हूँ त

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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#Lifelike मुश्किल होता है,किसी दानिशमंद औरत से इश्क करना। क्योंकि उसको नहीं आता रास जि_हुजूरी और चापलूसी करना। मुत्तस्सिर नही होती वोह कभी भ #shamawritesBebaak

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@Shnaya sah

मुझे खुशियाँ रास नहीं आती...#Preying #viral#trendng #Life

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Ak.writer_2.0

जितने पास तुम्हारे थे, उतना पास किसी के नहीं आये, बस बातों का ही तो रिश्ता था हमारा, पर आपको वो भी रास ना आया.! #alone #SAD #sad_feeling m #miss_u #Broken💔Heart

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||स्वयं लेखन||

ये मनुष्य की फितरत है शिशिर में आवश्यकता के समय उसे प्रज्वलित अग्नि में भी सुकून लगता है, यूं तो ग्रीष्म में यही अग्नि उसे रास नहीं आती। L #thought #विचार #Life_experience

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ये मनुष्य की फितरत है शिशिर में आवश्यकता 
के समय उसे प्रज्वलित अग्नि में भी सुकून लगता है,

यूं तो ग्रीष्म में यही अग्नि उसे रास नहीं आती।

©||स्वयं लेखन|| ये मनुष्य की फितरत है शिशिर में आवश्यकता के समय उसे प्रज्वलित अग्नि में भी सुकून लगता है,

यूं तो ग्रीष्म में यही अग्नि उसे रास नहीं आती।
#L

मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

#मेरे मिजाज ए किरदार को .…...... तन्हाई रास आती हैं...... मुझे पसन्द है.............. लोगो से फासले रखना ...

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Rabindra Kumar Ram

*** ग़ज़ल *** *** तसब्बुर *** " हम याद जऱा तुम्हें करेंगे , तेरी बात जऱा खुद से करेंगे , मुख्तलिफ मसले फिर क्या किया जाये , हम खुद में तु #आईने #ख्यालों #शायरी #गुफ्तगू #दस्तूर #हयाते #अख्तियार

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*** ग़ज़ल *** 
*** तसब्बुर ***

" हम याद जऱा तुम्हें करेंगे ,
तेरी बात जऱा खुद से करेंगे , 
मुख्तलिफ मसले फिर क्या किया जाये ,
हम खुद में तुम्हें खोजते फिरेंगे ,
रास आये हयाते-ए-हिज्र 
फिर वो बात कहां मुलाक़ात कहा ,
सवालात जो करु फिर वो बात कहां ,
मिलना हैं की बिछड़ना हैं वो ,
मुख्तलिफ सवगात हैं ,
मिल की बिछड़ना ना परे ,
ऐसे में हमारी गुफ्तगू कहा ,
सब आईने के दस्तूर पुछते हैं ,
अभी तुम से मेरा मिलना हुआ कहा ,
कोई रुख करु तो फिर कोई बात हैं ,
बुझते जज्बातों के वो दौर कहा ,
यु खोना भी तूझे खोना है ,
फिर तुझसे मैं ग़ैर इरादातन फिर मिला कहां , 
कोई बात आज भी आईने के दस्तूर लिये‌ बैठा हैं ,
मिलते तो पुछते तुम से कौन शक्ल अख्तियार किए बैठे हो ,
जो तसब्बुर के ख्यालों से तुम हु-ब-हू कहीं नहीं मिलते ."

                         --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** 
*** तसब्बुर ***

" हम याद जऱा तुम्हें करेंगे ,
तेरी बात जऱा खुद से करेंगे , 
मुख्तलिफ मसले फिर क्या किया जाये ,
हम खुद में तु
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