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Ravinder Sharma
Ravinder Sharma
मोहब्बत भी जिसके आगे फीकी पड़ जाए वो बहन कभी भाई के हाथों की डोर तो कभी माथे का टीका बन जाये ।। ©Ravinder Sharma ❤️ भाई दूज की हार्दिक शुभकामनाएं ❤️ #bhaidooj #mohabbat #bhaibehn #brothersisterlove #cleanhimalayas #MereKhayaal #NovemberCreator
Pankaj Singh Chawla
(Read in Caption) तेरे नाम का श्रृंगार मैं किए जा रहीं हूँ, मिली हूँ जबसे तुम्हें संवरे जा रहीं हूँ, बस गए हो तुम तो मेरे रोम रोम में, सुबह शाम तेरा नाम लिए
Rajat Agarwal (Melting Philosophy)
सोलह श्रृंगार सा तुझमे समा जाऊँ। - Read caption सोलह श्रृंगार सा तुझमे समा जाऊँ। तेरा श्रृंगार बन जाऊँ ....! तेरे माथे का टीका बन जाऊँ या तेरी माँग भर जाऊँ । तेरी आंखों का सुरमा बन जाऊँ य
Anuj Jain
आँचल से परचम न बना सकी औरत मजाज़ रोती है आज भी अपनी किस्मत को औरत जात नौजवान खातून से / मजाज़ लखनवी हिजाबे फतना परवर अब उठा लेती तो अच्छा था। खुद अपने हुस्न को परदा बना लेती तो अच्छा था तेरी नीची नजर खुद तेरी
Anita Saini
सजधज के देखो गौरी आज बनी है दुल्हन हुए अरमान पूरे खिल गई दिल की कली रे गुलाबी जोड़े में लग रही जैसे बगिया खिली रे पिया मिलन को छोड़ चली बाबुल की गली रे माथे का टीका चमकता रहे तेरी जोड़ी बनी रे हरवा, झुमके, खिल रहे उनके कँगन और कलीरे बड़ी हसरत देख रही तुझे सब सखी सहेलियाँ कौन होगी खुशनसीब जिसपे झड़ेंगी तेरी कलीरे रश्क़ करता होगा ख़ुद, ख़ुदा भी तुझे बनाकर रूप ऐसा सुहाना लग रहा जैसे हो कोई परी रे आ लगा दूँ तुझे काला टीका कहीं नज़र न लग जाए हुस्न की मल्लिका ख़िदमत में क्या पेश करूँ नजीरें तुमको देखा तो समझ आया, कैसे बदलती हैं तकदीरें अपने पर भरोसा हो तो बदलती है क़िस्मत की लकीरें सजधज के देखो गौरी आज बनी है दुल्हन हुए अरमान पूरे खिल गई दिल की कली रे गुलाबी जोड़े में लग रही जैसे बगिया खिली रे पिया मिलन को छोड़ चली बाबुल
Ajay Singh
मेरे घर का अभिशाप** मेरी ख्वाहिशों को पूरा करने में वो इतना झुक गया है सारी ज़मीन बेच डाली और खुद बिक गया है मैं उसकी नज़रो में खुद को बेहतर न बना पाया शायद उसे म
Vivek
अपने घर की खिड़की पे बैठकर सिर्फ़ यही सोचती है मैं उसके बगैर क्या कर रहा होऊंगा उसके गुलाबी गालों पे और माथे पे भी चलो काजल का टीका लगा देता हूँ...!!! ©Vivek #काजल का टीका
Gurdeep Kanheri
कोरोना मारी कभी इधर कभी उधर दौड़-भाग का टीका वो बेचारी भाग्य कीकर रही थी पल-पल मर रही थी बार-बार वहाँ से हटाई जा रही थी टीका नहीं लगा,संक्रमित बताई जा रही थी वह विधवा राशन लेने आई थी सड़ी गेहूँ, जो नेता ने भिजवाई थी मगर वहाँ भी सफेदपोश खड़े थे हड़प जाने को सब,यूं अड़े थे गुहार लगाती बार -बार कर रही चीख -पुकार मगर अंधे-बहरे गिद्ध अपना स्वार्थ कर रहे सिद्ध किसी ने पूछा-क्या चाहती हो? टीका लगवा लो,क्यों सबको मारती हो? बेटा, मैं गयी थी टीका लगवाने मगर लाइन से सब लगे मुझे हटाने सबसे की प्रार्थना, सबको ही मनाया किसी को भी मुझ पर तरस नहीं आया थक-हार कर लौट गयी घर भूख- से बच्चे मरे,तड़प कर संवेदनाओं का ज्वार उमड़ा फिर भावनाओं का बुखार चढ़ा फिर सब हमदर्दी दिखाने लगे अपनी बेदर्दी छुपाने लगे मगर संतान- विरह में तड़प माँ के प्राण ,यम गए हड़प समाज का बस यही चेहरा है जेब में पैसा है तो तेरा है,मेरा है। ©Gurdeep कोरोना का टीका #Stars
Shailesh Aggarwal
वो काला टीका, जो"मां" हमे हर रोज लगाती है वो दुआ है उसकी, जो हर बुरी नजर से बचाती है ©Shailesh Aggarwal मां का काला टीका