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sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
एक-एक आस का जब तलक क़तल न हो... मिसरे तो लड़ेंगे जब तक ग़ज़ल न हो..। तल्ख़ी-ए-हालात ने सब रौंद दिया है... हम चाहते थे कि, हम में ज़रा बदल न हो..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 तल्ख़ी-ए-हालात
तल्ख़ी-ए-हालात
read moreUmrain Ahmed (Akhtar)
उड़ेगी ज़माने में जब हमारी तल्ख़ियों की ख़बर "अख़्तर" गुज़ारिश है की तुम हर नाफ़हम को मुझे अपना बता देना udegi zamane me jab hamari tal-khiyon ki khabar "Akhtar" guzarish hai ki tum har na-faham mujhe apna bata dena तल्ख़ी = कड़वाहट , रुख़ापन नाफ़हम = मूर्ख , अज्ञानी #yqbaba #yqdidi #sad #friendship #yqquotes #happiness #forever #yqdada
तल्ख़ी = कड़वाहट , रुख़ापन नाफ़हम = मूर्ख , अज्ञानी #yqbaba #yqdidi #SAD #Friendship #yqquotes #Happiness #forever #yqdada
read morekritika
तल्ख़ी-ए-हालात{talqi-e-halat}_स्वभाव की उग्रता,kadwahat brokenstrongsoul❣️ longdistance💞 #कविता
read morekumaarkikalamse
कुछ करना है तो सर - ए - बज़्म में किया जाए अकेले में तल्ख़ी-ए-दौराँ बयान करना जायज नहीं! सर - ए - बज़्म = भरी महफ़िल में तल्ख़ी-ए-दौराँ = Bitterness of time वक्त की कड़वाहट #kumaarsthought #yqdidi #yqhindi #yqhindishayari #yqur
सर - ए - बज़्म = भरी महफ़िल में तल्ख़ी-ए-दौराँ = Bitterness of time वक्त की कड़वाहट #Kumaarsthought #yqdidi #yqhindi #yqhindishayari yqur #समय #yqurdu #yqquotes
read moreSM HADI
अजीब तल्ख़ी आज के मुआशिरे मे हैं क़ातिल आज़ाद, बेगुनाह कटघरे में है मैं तन्ज़ भी करूँगा तहज़ीब के साथ मेरी शायरी इक अदब के दायरे मे है ~अब्दुल हादी अजीब तल्ख़ी आज के मुआशिरे मे हैं क़ातिल आज़ाद, बेगुनाह कटघरे में है मैं तन्ज़ भी करूँगा तहज़ीब के साथ मेरी शायरी इक अदब के दायरे मे है ~
अजीब तल्ख़ी आज के मुआशिरे मे हैं क़ातिल आज़ाद, बेगुनाह कटघरे में है मैं तन्ज़ भी करूँगा तहज़ीब के साथ मेरी शायरी इक अदब के दायरे मे है ~
read morekhadimali lalani
किसी की तल्ख़ी, किसी की शिकायत किसी का रह्मों-करम, और किसी की इनायत किसी से बेरुख़ी, और बेसुध किसी की धुन में ... ख़ुद के लिए कभी एक पल नहीं
किसी की तल्ख़ी, किसी की शिकायत किसी का रह्मों-करम, और किसी की इनायत किसी से बेरुख़ी, और बेसुध किसी की धुन में ... ख़ुद के लिए कभी एक पल नहीं #शायरी #nojotophoto #merishayri #shsyrikskhajana
read moresaurabh
मेरे लफ्जों के शोर से न हो परेशां तू * * * कफन हटाना तो देखना साथी तुमको मेरी खामोशी भी नजर आएगी मैं सच बोलता हूँ , तो मेरी जुबां वाजिब है तुम्हे जहर नजर आएगी पर परेशां ना हो इस कदर इतना मुमकिन है कोई रात हो मेरी जिसकी कोई ना सहर आएगी
मैं सच बोलता हूँ , तो मेरी जुबां वाजिब है तुम्हे जहर नजर आएगी पर परेशां ना हो इस कदर इतना मुमकिन है कोई रात हो मेरी जिसकी कोई ना सहर आएगी
read moreSaif Raza Khan
अदब से आई थी वो मेरी ज़िंदगी में हुई आग़ाज़े गुफ्तगू बहुत सादगी में| आज़ाद ख़याल है वो परिन्दों की तरह मुझको लगा था उसकी परवाज़गी में| सिल्सिला
अदब से आई थी वो मेरी ज़िंदगी में हुई आग़ाज़े गुफ्तगू बहुत सादगी में| आज़ाद ख़याल है वो परिन्दों की तरह मुझको लगा था उसकी परवाज़गी में| सिल्सिला #Shayari #nojotophoto
read moreshamawritesBebaak_शमीम अख्तर
बारहा उनकी हासिद इनायत ने कुछ जख्म दे डाले, और कुछ तल्ख़ी-ए-हालात ने जख्म दे डाले//१ समझे थे अब रिश्तों की किश्तें अदा हो गई,क्या खबर थी,मुझे एहसास ए जज़्बात ने जख्म देडाले//२ चश्म अश्कबार होते रहे,और दिल भी आहें भरता रहा, मुझको ऐसे उल्फ्ते रवायत ने जख्म दे डाले//३ मुझे भुला बैठे है,जो मुदत्तों से,वो जरूर याद करेंगे, ऐसे वसवसा_ए_ ख़यालात ने जख्म दे डाले//४ गर वो होके पशेमा ये करे दावा के हम तेरे ही तो है के मुझे फिर उनके ऐसे मामलात ने जख्म दे डाले//५ अब तल्ख हासिदे_इनायत को दरगुजर करूं के न करूं "शमा"को ऐसे कश्मकशे सवालात ने जख्म दे डाले//६ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #atthetop *बारहा उनकी *हासिद*इनायत ने कुछ जख्म दे डाले,और कुछ*तल्ख़ी- ए-हालात ने जख्म दे डाले//१ *प्राय*ईर्ष्या *कृपा *कटुता समझे थे अब रिश
#atthetop *बारहा उनकी *हासिद*इनायत ने कुछ जख्म दे डाले,और कुछ*तल्ख़ी- ए-हालात ने जख्म दे डाले//१ *प्राय*ईर्ष्या *कृपा *कटुता समझे थे अब रिश #Live #Trending #writersofindia #nojotohindi #NojotoFilms #poetrycorner #shamawritesBebaak
read morePawan Sharma (p.k)
नशा मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समाँ बदल न जाए न झुकाओ तुम निगाहें कहीं रात ढल न जाए मिरे अश्क भी हैं इस में ये शराब उबल न जाए मिरा जाम छूने वाले तिरा हाथ जल न जाए अभी रात कुछ है बाक़ी न उठा नक़ाब साक़ी तिरा रिंद गिरते गिरते कहीं फिर सँभल न जाए मिरी ज़िंदगी के मालिक मिरे दिल पे हाथ रखना तिरे आने की ख़ुशी में मिरा दम निकल न जाए मुझे फूँकने से पहले मिरा दिल निकाल लेना ये किसी की है अमानत मिरे साथ जल न जाए मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समाँ बदल न जाए न झुकाओ तुम निगाहें कहीं रात ढल न जाए मिरे अश्क भी हैं इस में ये शराब उबल न जाए मिरा जाम छूने
मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समाँ बदल न जाए न झुकाओ तुम निगाहें कहीं रात ढल न जाए मिरे अश्क भी हैं इस में ये शराब उबल न जाए मिरा जाम छूने
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