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शान-ए-शब

दंगों की आग 🔥........ #Quotes

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और उसी आग में 🔥,

 चंद नेताओं की रोटियाँ पक रही थी.......

©शान-ए-शब दंगों की आग 🔥........

Anuj Ray

दंगों की आग में शहर जल रहा था #पौराणिककथा

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दंगों की आग में शहर जल रहा था ,
 और नफरतों का ज्वालामुखी आग उगल रहा था।
 
सियासत  दान चिताओं पर आपनी रोटियां
 सेक रहे थे , और उन्माद का बिगुल बज रहा था।

उन्हें इससे क्या मतलब , किसकी जान गई 
किसका हाथ पैर कटा , किस की दुनिया उजड़ गई।

नन्हीं सी जान बलि चल गई आतताइयो की, आंखों 
के सामने किसी का घर तो किसी का भाग जल रहा था।

©Anuj Ray दंगों की आग में शहर जल रहा था

Ankit singh mau

स्कूल के बच्चों द्वारा हिंदू-मुस्लिम दंगों की हकीकत सच्चाई #Https://youtu.be/3beiglmVnXI

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स्कूल के बच्चों द्वारा हिंदू-मुस्लिम दंगों की हकीकत सच्चाई
#https://youtu.be/3beiglmVnXI

Ashraf Fani【असर】

भूख मिटती नहीं,और प्यास बढ़ी जाती है दंगों की साजिशें कुछ ख़ास गढ़ी जाती है == Bhookh mitati nahi, aur pyas badhi jati hai Dango ki sajishen ku #शायरी

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भूख मिटती नहीं,और प्यास बढ़ी जाती है
दंगों की साजिशें कुछ ख़ास गढ़ी जाती है
==
Bhookh mitati nahi, aur pyas badhi jati hai
Dango ki sajishen kuchh khas gadhi jati hai

©Asar【असर】 भूख मिटती नहीं,और प्यास बढ़ी जाती है
दंगों की साजिशें कुछ ख़ास गढ़ी जाती है
==
Bhookh mitati nahi, aur pyas badhi jati hai
Dango ki sajishen ku

Bolte Panne

दंगों की आंच में रोमांस ।। बोलते पन्ने ।। कविता विनोद श्रीवास्तव दंगों के हालात में एक इंसान के तौर पर आपेक्षित संवेदनशीलता जब न दिखे तो ए

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A NEW DAWN

नफ़रत लिखूं या लिखूं प्यार...? कल्पना लिखूं या मनुष्य व्यवहार...? जहां चिकित्सकों पर चल रहीं लाठियां और महामारी का आगमन बना है त्योहार।। जह

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अभूतपूर्व मानसिकता नफ़रत लिखूं या लिखूं प्यार...?
कल्पना लिखूं या मनुष्य व्यवहार...?
जहां चिकित्सकों पर चल रहीं लाठियां
और महामारी का आगमन बना है त्योहार।।

जह

Rabiya Nizam

नफ़रत लिखूं या लिखूं प्यार...? कल्पना लिखूं या मनुष्य व्यवहार...? जहां चिकित्सकों पर चल रहीं लाठियां और महामारी का आगमन बना है त्योहार।। जह

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अभूतपूर्व मानसिकता नफ़रत लिखूं या लिखूं प्यार...?
कल्पना लिखूं या मनुष्य व्यवहार...?
जहां चिकित्सकों पर चल रहीं लाठियां
और महामारी का आगमन बना है त्योहार।।

जह

सुषमा तिवारी

कितने आजाद? बड़ी बड़ी लंबी लड़ाईयों बड़ी-बड़ी कुर्बानियों के बाद देखा था पूर्वजों ने जिसका सपना वह आजादी मिल ही गई आजादी भला कहां होती है #poem #lightindark #writersunplugged #wu

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कितने आजाद? 


इन कामयाबीयों के बीच में 
अभी कुछ पाना बाकी भी है 
कन्या को देवी मानने वाले देश में 
औरत को सम्मान दिलाना बाकी ही है 
जनसंख्या पर नियंत्रण, 
भ्रष्टाचार से छूट 
वहीं धर्म प्रांत और जात-पात का भेद 
मिटाना अभी बाकी ही है 
हां भूलना मत 
आजादी पाना आसान नहीं था 
आजादी पाना आसान नहीं है 
और आजादी पाना फिर आसान नहीं होगा 
मुश्किलों से मिली हुई आजादी
 इससे मुश्किल है उसे बचाए रखना 
आगे राह में आएंगी और कई मुश्किलें 
मगर हर किमत पर देश का ताज 
उसके सर पर सजाए रखना


(full poem in caption)

©सुषमा तिवारी कितने आजाद?

बड़ी बड़ी लंबी लड़ाईयों 
बड़ी-बड़ी कुर्बानियों के बाद
देखा था पूर्वजों ने जिसका सपना 
वह आजादी मिल ही गई आजादी भला कहां होती है

Chintoo Choubey

दंगों के बाद की बात

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आंखों में समंदर सा मंजर है,
सीना भारी है, कंठ पर अंकुश है,
और ना खड़े रहने की हालत है,
आंख पे चश्मा भी अब भारी है
दुख की गुंजाइश ही क्या?
अब इससे बुरा और होगा क्या? दंगों के बाद की बात

vaishnavi Mala

दंगों मे जल रहा शहर #कविता

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नफरत की आग ने
दिलो मे चिंगारी सुलगा दी
इंसानियत को भूल कर
हैवानियत को जगा दी
दंगे फसात करवा रहे
मानवता के दुश्मन
दंगों की आग मे जल रहा शहर
मोहब्बत का पता आज कोई ना जाने
फोटो पे फोटो खिंचते हैँ सेल्फी के दीवाने
एक हाथ भी ना आगे मदद के बढ़ाते
बस फोटो अपलोड कर लाइक पे लाइक करते
कमैंट्स कर अफ़सोस जताये
और दंगों का मसाला news बनाये
इतने बदर्द ना बनो ज़माना
मानवता की ना बलि चढ़ाओ
दंगों को होने से रोको
मानवता का पाठ पढ़ाओ
वैष्णवी माला
05/12/22

©vaishnavi Mala दंगों मे जल रहा शहर
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