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Agarwal'sArtical
" मूर्खों से वाद-विवाद करने से तात्पर्य हैं , अपना समय नष्ट करना " ©Agarwal'sArtical #DarkCity #समय#वाद-विवाद @Agarwal's Artical
silent pen
|| वाद - विवाद || दो - चार कहानी किस्से क्या लिखे, खुद को कवि समझ लिए? बल्ब ने दो दिन रौशनी क्या दी, तुम उसे रवि समझ लिए? " दो - दो रस्सी जोड़ के पुल बन गया, थोड़ा- थोड़ा ही जोड़ के तो कुल बन गया " थोड़ा-थोड़ा ही जोड़ो, मग़र सही तो जोड़ो, जहां राह में मोड़ दिखे वहाँ ख़ुद को भी मोड़ो " मुड़ क्यों जाएं हम रास्ता बना लेंगे, कितनी बार भी गिरें, हर बार ख़ुद को उठा लेंगे " मुड़ेगा जब तू तो लगेगा दम ख़म, पैसा होगा उस वक़्त तेरे पास बहुत कम " पैसे की चिंता तू क्यों खाक करता है, यहाँ सब चले जाते, बस राख रहता है " राख भी हो तो पानी मे मिल बर्तन चमका दूँगा, आज नही, पर कभी तो ख़ुद को कवि कहला दूँगा " तू कवि क्यों ख़ुद को कहलाता है, यहाँ तो सब बस मन बहलाता है " _silent_pen वाद - विवाद Ghazal #collab #corona #meme #shayri #sher #nazm #ghazal
Ek villain
कोई नेता कहता है हिजाब नहीं तो किताब नहीं कोई नेता संविधान की दुहाई देकर कहता है अगर महिला बिकिनी जींस आदि पहने इसमें हर्ज क्या है कोई नेता मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति करते हुए इसे मुस्लिम समाज जी का धार्मिक भावनाओं पर आघात मानता है अगर नहीं हो सकता आखिरकार स्कूलों के नियमों को अचानक से छात्रों के लिए एक सोची समझी साजिश जानी पड़ती है कम से कम नेताओं को अपनी दलगत राजनीति के तहत स्कूली बच्चों को अपना राजनीतिक हथियार नहीं बनाना चाहिए बच्चों की पढ़ाई जबरदस्त जरूरी है बच्चे किसी भी देश का उज्जवल भविष्य होते हैं फिर एक राजनीतिक देश में का माहौल बने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की साख को बांट लेंगे या हमारे नेता तालिबानी शिक्षा नीतियों का समर्थन करते हैं क्या महज बुर्का कर्नाटक चुनाव मैं 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी है इसमें सुप्रीम कोर्ट का फैसला निर्णय होगा ©Ek villain #हिजाब पर अनावश्यक विवाद #hugday
Ek villain
कर्नाटका हिजाब विवाद पूरे देश में फैल गया है मामला कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचा पहले एकल जज पीठ ने सुनवाई की किंतु मामला संवेदनशील समझकर न्यायमूर्ति कृष्ण पक्ष ने बड़ी पीठ का मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थाएं ने स्वयं की अध्यक्षता में दक्षता और पुलिस एवं मुस्लिम सहित तीन सदस्य वाली पीठ गठित कर दी वह सुनाई चल रही थी कि मामला सुप्रीम कोर्ट ले जाएंगे सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल हस्तक्षेप से इनकार कर दिया हालांकि हाईकोर्ट के आदेश होते हैं यही मामला सुप्रीम कोर्ट में जरूरी सुन सुना जाएगा मुस्लिम लड़कियों की ओर से इस आधार पर याचिका दाखिल की गई है कि हिजाब पहनना उनका धर्म संगत मूलभूत अधिकार है और उसे रोकना संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के अंतर्गत रात उनके अधिकारों का हनन है हिजाब शब्द का स्पष्ट उल्लेख तो धर्म ग्रंथ कुरान शरीफ में नहीं है किंतु उसके सूर्य नूर की आयात 30 31 में दाता की महिलाओं नजर नीचे करके चले और अपना सिर एम शर्मा गांव को ढक कर रखें प्राचीन में जो सर के बालों को ढकते हुए तक आधा चेंज करने वाले एक वस्त्र है कर्नाटक में कर्नाटक शिक्षा अभियान लागू है जिसकी धारा 133 में प्रधान के सभी विद्यालय अपनी शिक्षा संस्था के लिए एक ड्रेस कोड लागू करेंगे ©Ek villain #हिजाब पर बेवजह का विवाद #illuminate
#हिजाब पर बेवजह का विवाद #illuminate #Society
read more@swarachit.official
" JNU विवाद पर स्वरचित पंक्तियाँ " #RDV19
" JNU विवाद पर स्वरचित पंक्तियाँ " #RDV19
read moreEk villain
रामचरितमानस को लेकर देश में इन दिनों जो चर्चा गर्म है उनका कोई मतलब नहीं है देश के कुछ नेता केवल अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए इस तरह के मुद्दे खड़े कर देश को भ्रमित करने की नाकाम कोशिश करते हैं ऐसे नेताओं से देश की जनता को पूछना चाहिए आखिर वह जिस समुदाय की बात करते हैं उनके लिए आखिर उन्हें अब तक क्या किया है देश के विकास से चलते हैं विवादों से नहीं इसका हम सभी को ध्यान रखना चाहिए ©Ek villain #justice विवाद पर नहीं विकास पर ध्यान दीजिए
Nishigandha Kakade
विषय : वाद अनाठाई अर्थहीन सारे, कानी कसे शिरले वारे, फिरुनी पुन्हा अंतर्मनात, मी कधी डोकावलेच नाही, मी पुन्हा वाद का घातला?? मला कधी समजलेच नाही! हुशार मी माझे मीपण, बुध्दी सहज,फिरली कशी?? दोष काय,कुणाचा नक्की?? खात्री कधी झालीच नाही, मी पुन्हा वाद का घातला?? मला कधी समजलेच नाही! हिरवळ लेली नाती माझी, जपून ठेवलेली ,मनात ताजी, सुरुंग लावून मीच माझा, उधळली कधी ?कळलेच नाही ! मी पुन्हा वाद का घातला ?? मला कधी समजलेच नाही! शुल्लक सारे,शुल्लक मीही, माहीत असता सगळे सत्वर, कठोर बोलने माझे सारे, माणसं माझी दूर झाली, हा अपराध कसा कळला नाही? मी पुन्हा वाद का घातला?? मला कधी समजलेच नाही!! समजूतदार आहे मीपण , समजुतीने घ्यावे तुम्हीपण, इच्छा असता ही एकच! समोरच्यास का हे कळले नाही? मनातला राग का विझला नाही, मी पुन्हा वाद का घातला ?? मला कधी समजलेच नाही! सारे सारे आपले होते , तुझे माझे काही नव्हते, घर माझच सुंदर आहे, मन ही माझे देते ग्वाही, मी पुन्हा वाद का घातला ?? मला कधी समजलेच नाही! ©Nishigandha Kakade #वाद
बुद्धराज गवळी
स्वतःशीच मी भांडतो... आयुष्याचा लेखाजोखा जगासमोर मी मांडतो माझाच आरोप माझ्यावर स्वतःशीच मी भांडतो.... मृगजळाचे भास सारे सरणावर हि मी एकटा नात्यांच्या ह्या धुक्यात माझा जीव मी कोंडतो.... माणसाचा विटाळ इथे माणसाला किंमत नाही दगडावर करून अभिषेक रक्त मी सांडतो.... जागोजागी सापळे वासना लालसा सौंदर्याची मक्कारी अन स्वार्थाच्या फुग्याला इथे मी गंडतो...... वेडा म्हणतात मला नको शहण्याचे शहर हे मुसफिर आहे कवितेत माझ्या मी हिंडतो..... बुद्धराज अर्जुनराव गवळी ( राजन ) ८९२८८५२४७६ ०३/०१०/२०१९ वाद
वाद
read moremalay_28
हो आँख भी नम और चेहरे पर नमक इस ज़िन्दगी में स्वाद होना चाहिए हर वक़्त मीठा बोल कर चलता नहीं बस कोई वाद विवाद होना चाहिए . ©malay_28 #विवाद
अर्पिता
भूलाने वाली बातें याद हैं इसलिए जीवन में विवाद हैं.. ©अर्पिता #विवाद