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Vedantika

एक अनोखी प्रेम कहानी दुनिया ने ना जानी है हृदय में प्रेम लिए भटकती एक मीरा दीवानी हैं विरहन की अग्नि में जलती बीत गई ज़िन्दगानी हैं सात दिनों

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अभिव्यक्ति-१६
(सात दिन का अनोखा प्रेम)


एक अनोखी प्रेम कहानी दुनिया ने ना जानी है
हृदय में प्रेम लिए भटकती एक मीरा दीवानी हैं
विरहन की अग्नि में जलती बीत गई ज़िन्दगानी हैं
सात दिनों के सात रंग में रंगी हुई इसकी प्रेम कहानी है

पूर्ण होगी अनुशीर्षक में


 एक अनोखी प्रेम कहानी दुनिया ने ना जानी है
हृदय में प्रेम लिए भटकती एक मीरा दीवानी हैं
विरहन की अग्नि में जलती बीत गई ज़िन्दगानी हैं
सात दिनों

Nitu Singh जज़्बातदिलके

#विश्वकवितादिवस पर एक कविता पेश है। आप सभी को ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं 🙏🏻🙏🏻 #मेरी_नज़्म_अधूरी_है जब से देखा तुमको मैंने । पलकें झपकाना #Poetry #शायरी #shayeri #Shorts #नीतू #जज़्बात_दिल_के #singhnitu

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सुसि ग़ाफ़िल

कोहरे की सफेदी में लिपटा बिस्तर बार-बार आती हुई स्मृतियां ढेर सारे सिरहाने रखे जज्बात

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कोहरे की 
सफेदी में लिपटा बिस्तर

ढेर सारे 
सिरहाने रखे जज्बात कोहरे की 
सफेदी में लिपटा बिस्तर

बार-बार 
आती हुई स्मृतियां

ढेर सारे 
सिरहाने रखे जज्बात

Sarita Shreyasi

निमेषकों के नीर धार से, मनुज ने कितने अर्घ्य सींचे, प्रस्तर पूजित निष्ठुर देवों के, कितनी बार हैं पलक पसीजे। साहस ने कभी मुट्ठियाँ भींची, क #yqbaba #yqdidi #प्रभु #जाग #yqmuse

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पाषाणों में रहते-रहते,
प्रभु, क्या तुम भी पाषाण हो गए!

मेरी पुस्तक " जाग रे मन" से निमेषकों के नीर धार से,
मनुज ने कितने अर्घ्य सींचे,
प्रस्तर पूजित निष्ठुर देवों के,
कितनी बार हैं पलक पसीजे।

साहस ने कभी मुट्ठियाँ भींची,
क

Sarita Shreyasi

मूक ही कहती रही, अविरल बहती रही, कब तुम मेरी सुन पाए? कितनी बार तुम्हारे पलक पसीजे, जब भी मैंने नीर बहाये। खंडित कर श्रद्धा विश्वास, आस्था अ #yqdidi

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मूक ही कहती रही,अविरल बहती रही,
कब तुम मेरी सुन पाए?
कितनी बार तुम्हारे पलक पसीजे,
जब भी मैंने नीर बहाये।

                                  खंडित कर श्रद्धा विश्वास,
                                  आस्था असीम,सारी आस,
                                  प्रभु, मौन तुम देखते रहे,
                                  एक नियति तुम बदल न पाए।
 मूक ही कहती रही,
अविरल बहती रही,
कब तुम मेरी सुन पाए?
कितनी बार तुम्हारे पलक पसीजे,
जब भी मैंने नीर बहाये।
खंडित कर श्रद्धा विश्वास,
आस्था अ

Sarita Shreyasi

निमेषकों के नीर-धार से, मनुज ने कितने अर्घ्य सींचे, प्रस्तर पूजित निष्ठुर देवों के, कितनी बार हैं पलक पसीजे। साहस ने कभी मुठ्ठियाँ भींची, कभ #hindipoetry #yqdidi

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निमेषकों के नीर-धार से,
मनुज ने कितने अर्घ्य सींचे,
प्रस्तर पूजित निष्ठुर देवों के,
कितनी बार हैं पलक पसीजे।
                                   साहस ने कभी मुठ्ठियाँ भींची,
                                   कभी भय से ये पलकें मिंची,
                                   बार-बार स्खलित हुआ धैर्य,
                                   आशा की खंडित रश्मियाँ भींगी।
किये पे अपने मनुज पछता ले,
चाहे अविरल नीर बहा ले,
नहीं कभी कालचक्र रूकेगा,
नहीं कभी नियति पिघलेगी।
                                     यदि जीवन ने काव्य रचे हैं,
                                     तो मृत्यु महाकाव्य रचेगी,
                                     जन्म दे कर तुम भूले हो,
                                     कैसे यह सृष्टि भूलेगी।
सृजन और संहार चक्र में,
किस विधि विधान में खोये हो?
प्रलय का ताण्डव चल रहा,
किस अटूट ध्यान में खोये हो?
                                      मानव निर्मित मंदिरों में ,
                                      चिरनिद्रा में कैसे सो गए?
                                      पाषाणों में रहते रहते,
                                      प्रभु! क्या तुम भी पाषाण हो गए? निमेषकों के नीर-धार से,
मनुज ने कितने अर्घ्य सींचे,
प्रस्तर पूजित निष्ठुर देवों के,
कितनी बार हैं पलक पसीजे।
साहस ने कभी मुठ्ठियाँ भींची,
कभ

Sarita Shreyasi

मैं तुमसे कुछ नहीं पूछती, इसलिए नहीं कि, पूछने को कोई प्रश्न शेष नहीं, असमंजस में तुम्हें, अनुत्तरित करना नहीं चाहती, तुम्हारे मौन या खंडित #husband #yqdidi #prashn

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मैं तुमसे कुछ नहीं पूछती,
इसलिए नहीं कि,
पूछने को कोई
प्रश्न शेष नहीं,
                                 असमंजस में,
                                 तुम्हें अनुत्तरित 
                                 करना नहीं चाहती,
तुम्हारे मौन या,
खंडित सत्य से,
स्वयं को और रिक्त
करना नहीं चाहती।
                                  न प्रतीत,न प्रमाण,
                                  कुछ भी प्रतिकूल,
                                  स्वीकारना नहीं चाहती,
संबंध,समर्पण,
और निष्ठा पर,
कोई प्रश्न-चिह्न 
लगाना नहीं चाहती । मैं तुमसे कुछ नहीं पूछती,
इसलिए नहीं कि,
पूछने को कोई प्रश्न शेष नहीं,
असमंजस में तुम्हें,
अनुत्तरित करना नहीं चाहती,
तुम्हारे मौन या खंडित

Mayank Sharma

बनारस की धरती पर हमारे पहले अनुभव की व्याख्या ❣️ नैन तेरे दर्शन की प्यासी लाख पुकारा मिली तब काशी मिला नहीं वो ज्ञान यहाँ ढूंढे जिसे हर #yqbaba #yqdidi #yqdada #Ganga #yqhindi #yopowrimo #Malang

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काशी फ़िर से आना पड़ेगा

(कविता अनुशीर्षक में)  बनारस की धरती पर हमारे पहले अनुभव की व्याख्या ❣️

नैन तेरे दर्शन की प्यासी 
लाख पुकारा मिली तब काशी 
मिला नहीं वो ज्ञान यहाँ 
ढूंढे जिसे हर

Ashok Mangal

"तुम्हारे प्रेम के पश्चात शेष रह गई मात्र मेरी विरह पीड़ाएं हां वही वेदना जिसे, तुम छोड़ गए हो मेरी स्मृतियों में, हां बहुत पीड़ा होती है #YourQuoteAndMine #pyarkaehsaas #paglu_ki_pagli #imisha #ishqmepagal #collabwithpagli

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विरह से 
प्रेम ख़ास,
विलक्षण 
तो होता ही, 
विरह में प्रेम की 
असल समृद्धि है । 
 "तुम्हारे प्रेम के पश्चात 
शेष रह गई मात्र मेरी विरह पीड़ाएं 
हां वही वेदना जिसे,
तुम छोड़ गए हो मेरी स्मृतियों में,

हां बहुत पीड़ा होती है

प्रेम और मैं

"और खंडित वस्तुओं को एकाएक नज़रों से ओझल कर दिया जाता है" 🥀

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         "और खंडित वस्तुओं को एकाएक नज़रों से ओझल कर दिया जाता है"  🥀
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