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Shilpa
Bharat Bandiwadekar
Kamlesh Gupta Nirala
ग्रंथ हो या साहित्य सुधारात्मक प्रक्रिया के अनुसार अद्यतन होता ही रहता है साथ ही उनसे जुड़ी बातों पर आलोचनाओं का होना स्वभाविक है,आलोचना सुधार की हीं एक प्रक्रिया है । आलोचना तथ्यों के आधार पर तर्क संगत होनी चाहिए। कोई भी साहित्यिक ग्रंथ ना तो शाश्वत हैं और ना हीं अंतिम सत्य उनपर शोध एवं संसोधन होना चाहिए। ©Kamlesh Gupta Nirala ग्रंथ हो या साहित्य सुधारात्मक प्रक्रिया के अनुसार अद्यतन होता ही रहता है साथ ही उनसे जुड़ी बातों पर आलोचनाओं का होना स्वभाविक है,आलोचना स
Komal Pardeshi
Sangeeta Kalbhor
उन्हाच्या झळा.. उन्हाच्या झळा या लागता नकोच करु त्रागा त्रागा इतके सुंदर आयुष्य असता का समजतोस रे अभागा श्वास जोवरी चालू तुझा तू तुझा रे रखवाला अविचार करुनिया नको रे घालू आयुष्यावर घाला चालून बघ दोन पावले गती येईल चालण्याला अनाहत नाद तुझ्याच अंतरी तुला येईल रे भेटण्याला ध्यानमग्न होता होता शंखनाद ही येईल ऐकू ओमकार जो करील जाप कोणापुढे ना देणार झुकू शाश्वत आहे अमर आत्मा आरोग्य हा तयाचा मार्ग खरा कशास धुंडाळितो इतस्ततः अंतरात तुझाच शोध घे ना जरा..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #Hope उन्हाच्या झळा या लागता नकोच करु त्रागा त्रागा इतके सुंदर आयुष्य असता का समजतोस रे अभागा श्वास जोवरी चालू तुझा तू तुझा रे रखवाला अविचा
Devesh Dixit
शब्द (दोहे) शब्द मिलें जब भी मुझे, करता यही विचार। क्या बखान अब मैं करूँ, पूरे हों उद्गार।। जोड़-जोड़ कर शब्द को, देता मैं आयाम। राज हृदय में वह करे, हो मेरा भी नाम।। जन जन तक पहुँचे कभी, ये मेरे अरमान। पुस्तक का मैं रूप दूँ, शब्दों में उत्थान।। शब्दों की माया बड़ी, ये सबको अनुमान। कुछ इससे हैं सीखते, पाते भी सम्मान।। गलत तरीके से करें, शब्दों का उपयोग। होता भी नुकसान है, कब समझेंगे लोग।। झगड़ों का कारण यही, अब समझो नादान। शब्दों का यह जाल है, कहते सभी सुजान।। शब्दों से जो खेलते, उनको ही है बोध। उचित चयन उसका करें, करते देखो शोध।। ....................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #शब्द #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi शब्द (दोहे) शब्द मिलें जब भी मुझे, करता यही विचार। क्या बखान अब मैं करूँ, पूरे हों उद्गार।।
Nisheeth pandey
किताब न गरीबी देखती न अमीरी न ऊंच देखती न नीच जो करें श्रद्धा उसकी बदल देती तकदीर है किताब के पन्नो की फड़फड़ाहट लग जाये जिसके चेहरों को उसका चेहरा सूर्य सा तेजवान हो जाये .... ईश्वर, शैतान, प्रकृति , इंसान ,किसान, कलाकार, विज्ञान ,शोध , चोर हो या हत्यारा सब को रखती अपनी कोख में किया न किसी से द्वेष ..... किताब की फड़फड़ाहट दर्शन कराती है ,सबकी जीवन लीला । किताब में ही वेद है, रामायण है , गीता है किताब में ही गुरुवाणी , कुरान और बाइबल किताब में ही युद्ध रणनीति विज्ञान का तर्क गणित की पद्धति कला का सौंदर्य या मायाजाल गुरुवों का गुरु किताब में ही सत्य का ज्ञान ,असत्य की परख धर्म भी यहां , अधर्म भी यहीं यही कानून ,यही संविधान यही प्रकाश , इसके बिन सब अंधकार .... सबका मार्ग दर्शक श्री कृष्ण सा किताब ही अमृतपान ...... पूरी जीवन लग जाती है किताब के आगोश में अंकित शब्द होने में क्या है ये किताब जो भी हो बस पवित्र है ये किताब बस पवित्र है ये किताब .......✍ 🤔निशीथ🤔 ©Nisheeth pandey #kitaab किताब न गरीबी देखती न अमीरी न ऊंच देखती न नीच जो करें श्रद्धा