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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
लेखक ओझा
भीड़ कट रहे है लम्हे भत्तों की दरकार में और न जाने कब सुनेंगे दुखड़ा हजूर ए आलम खड़ा तो मैं भी हूं कब से दरबार में! ©लेखक ओझा सियासी सपने... #Quote #Quotes #Shayari #Life #Life_experience #Nojoto #nojotohindi #Dhokha #Broken #ummid
Anil Ray
कमबख्त रिलेशन अब नौकरी हो गये बेहतरीन ऑफर मिला तो बदल गये। बेहद ज़ालिम वह नसीबे-कलम वाला कैसे भाग्य में सुख लिखना भूल गये। यें धन-दौलत कभी साथ नही जायेगा पैसा-ए-जिंदगी..अहमियत भूल गये। जिंदगी ग़रीब है एक सस्ता सौदा करें अब मौत दो! तेरी साँसों से थक गये। ©Anil Ray 🌸 इंसानियत मरी है महज़ इंसा जिंदा यहाँ 🌸 अरे रोटी! शायद अब आप भी अमीर हो गयी है तुमको को भी अब गरीब मुँह से बदबू आती है। मैं भागता रहता तु
Manjeet Sharma 'Meera'
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी घर घर मे आग लगी है ,महँगाई ख़ुशियाँ जलाती है रन विरंगे सपनो का जीवन सियासी होलिका में स्वाह होता जाता है स्वार्थो में जन जन का आनन्द मर गया भार और बोझ,हर त्योहार लगता है मन की सब आजादी मर गयी नाते रिश्ते छिटके जाते है तन्हा तन्हा परिवार हो गये उमंगों और उत्साह ढूढे नही मिलते है सत्ता ने सब हदे मिटाने दी रँग मिजाजी,जीवन पर अब भारी पड़ती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Colors सियासी होली में सब स्वाह हुआ जाता है #nojotohindi
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी अफसाने सियासी हावी हो रहे है तोड़ कर न्याय अपराधी हो रहे है टूट रहे पैमाने न्याय के फैसले पलटने के अन्याय हो रहे है तेल लेने गये सबूत गवाह मीडिया और बुल्डोजर दलील देकर तबाह कानून कर रहे है दबाबो में है माननीय सियासी लोग अपहरण लोकतंत्र का कर रहे है नही रहा भय मर्यादाओं का लूटतंत्र जैसा माहौल पैदा कर रहे है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #justice अफसाने सियासी हावी हो रहे है #nojotohindi
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
ये तकदीर बनते बनते बिगड़ गई है,इसपे लिखते लिखते तहरीर बिगड़ गई है//१ वो कमजर्फ अपनी बात से मूकर गई है, ऐसा लगता है,जिंदगी से बिफर गई है//२ शमा ने तो अब तक हरेक बेजा बातो को सहन ही किया है,फिर क्यू ये तुम्हारी तकरीर बिगड़ गई है//३ ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Fallये तकदीर बनते बनते बिगड़ गई है,इसपे लिखते लिखते *तहरीर बिगड़ गई है//१*व्याख्या वो*कमजर्फ अपनी बात से*मूकर गई है,ऐसा लगता है,जिंदगी से
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी मोम बन हम धागों की संगत में रहे निखारा सूता परवरिश करते रहे आया कोई बहका गया पहले तड़पे फिर पिघले फिर चिंगारी पूरे घर को लगा गया कौमो की एकता को कौन खाक में मिला गया गिन गिन कर रंग साम्प्रदायिक का देकर अमन चैन देश का जला गया समता सद्धभावो की छाव को सियासी दाँव पेच खा गया प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Fire समता सद्धभावो की छाव को,सियासी दाँव पेच खा गया #nojotohindi