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Shankar Kamble
शापित यक्ष... शामलवर्णी अस्तर ओढून गूढ नभाचे तेज लोपले झरोक्यातूनी डोकावत का अनोळखी मी बिंब गोपले.. उगां वाटते वठल्या झाडां कधी तरी येईल पालवी आस मनीची सुकते तेंव्हा वसंत जेंव्हा गरळ कालवी.. कैक फुलांचे कैक ताटवे स्वैर मुखाने दिशा चुंबिती कोश पांघरूण खुळा भ्रमर तो राग वीराणी सर गुंफिती.. विलुप्त झाल्या खुणा गहिऱ्या मागमूस ना मातीला आत कोंदला गंध कस्तुरी कळ युगाची छातीला.. चमचमणारे मंद काजवे भार पेलती नक्षत्रांचा शापित यक्ष पैलतीरी मी श्राप भोगतो आठवांचा.. ©Shankar Kamble #Blossom #शाप #एकाकी #कवी #मराठीकविता #शापित #सुमन #काव्य
Richa Dhar
(मैं शापित नदी)✍️✍️✍️ """""""""""""""""""""""""""'"' मैं अविरल नदी सी बह रही थी कब शापित हुई पता भी न चला, मैं मौज में रहने वाली थी मैं पानी से कब रेत हो गयी पता भी न चला, मैं प्रेम से भरी लहरा कर चलती थी कब थम गयी पता भी न चला, है कोई जो इस शाप का अभिमान तोड़ दे मुझमें अभी भी नमीं है किसी को पता भी न चला, कोई आकर सहला दे,उंगलियों से कुरेद दे मुझे मैं कब सिमट गई मुझे पता भी न चला। ©Richa Dhar #LetMeDrowm मैं शापित नदी
Rakesh Kumar Das
इस जन्म में ऐसे काम मत करो कि अंतिम समय में 4 लोग कहे कि इसका जीवन इतना शापित है। कितना दुःख कष्ट सह रहा है बेचारा । ©Rakesh Kumar Das #शापित जीवन
aditi the writer
चाँदनी रात बादलों की छाया, घने जंगल में एक भेड़िया थी पाया। अजनबी ये जगह, अजनबी ये हाथ, जाना न था इसे किस तरफ़ ले जाया। एक बार में भूल गई अपना रूप, बन गई ज़मीर की रहस्यमय सूँप। शापित हो गई खुद को भेड़िया के रूप में, जीने का नया सफ़र, नया अद्भुत सौंप। जंगल की चीखें, धारा की बहारें, खो गई रचना रंगीन बहुत भारें। पर भेड़िया ने आशा नहीं हारी, पूरा करना था कर्तव्य, उठाना अपना पहाड़। उसने रची जंगल में एक कहानी, जिसने सबको दिया उदाहरणी। कि जीवन के रूप बदल जाते हैं, पर अपने आप से होना नहीं हारे। शापित भेड़िया की कहानी सीखाती है, आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ती है। कि जीवन के रास्ते में जब भी हों बाधाएं, विश्वास और सामर्थ्य की लहरें बुलंद करती हैं। चाँदनी रात बादलों की छाया, अब नहीं है यह जंगल भेड़िया का वासा। ©aditi jain #GarajteBaadal #शापित भेड़िया Rajat Bhardwaj जादूगर Chouhan Saab AK Haryanvi
Vedantika
गौरी पंत ‘शिवानी’ के उपन्यास ‘विषकन्या’ पर आधारित कविता (पढ़े अनुशीर्षक में) एक चिंतन उसके मन मे चल रहा था जैसे खुद का साया उसे छल रहा था अपने अंदर हर पल अब वो झांक रही थीं अपनी व्यथा-कथा उसको बांच रही थीं उसके भीत
Manmohan Dheer
अगर तुम शापित हो तो बस इस अर्थ में कि कभी न जान पाओगे तुम क्या और कहाँ हो— % & शापित
"सीमा"अमन सिंह
शापित हूं तुम्हारे प्रेम में, विरह में जलता, दहकता पलाश हूँ, सूख कर बिखर जाता हूँ.. फिर भी, तुम्हारे प्रेम का रंग नहीं छूटता.. ©"सीमा"अमन सिंह शापित हूं तुम्हारे प्रेम में, विरह में जलता, दहकता पलाश हूँ, सूख कर बिखर जाता हूँ.. फिर भी, तुम्हारे प्रेम का रंग नहीं छूटता.. #banarasi
RAHUL VERMA
हमारी पृथ्वी पे जितना भी सोना है वो 4 खरब साल पहले उल्कापिंड की बारिश की वजह से है। इसकी पैदाइश ही तबाही से हुई है,इसी वजह से सोना इतना शापित है। सोने की अंगूठी से जितने घर बसे नहीं उससे ज्यादा घर सोने की वजह से तबाह हो गए। किसी दूसरे धातु ने इतनी तबाही नहीं मचाई ना ही इतना दुख दिया,क्योंकि सारी दुनिया ख़ाक हो सकती है पर यह सोना चमकता रहेगा। सोना इक अभिशाप। 💍🌋🔥☄️☢️☣️ #स्वर्णिमइतिहासtwj #शापित_धरा #goldendarkness #yqaestheticthoughts #लालच_झूठ_विश्वासघात
vishwadeepak
इतना न उछल ऐ नादां, आज तेरी बारी है, दिखा ले, जितना दिखाना है तुझे, जलवा अपना, बारी जब मेरी आएगी, तेरी रूह तक, शापित करेगी मुझे, तुम देख लेना, इतना न उछल ऐ नादां, आज तेरी बारी है.... ©Deepak Chaurasia #नादां #इतना न उछल ऐ नादां, आज तेरी बारी है, दिखा ले, जितना दिखाना है तुझे, जलवा अपना, बारी जब मेरी आएगी, तेरी रूह तक,
B Pawar
"यह वृतांत काल्पनिक है, कथा है मानव जाति के विनाश की, उस महाप्रलय की जिसका कारण भी वे ही थे, जो परमाणु विस्फोटों , विकिरणों , जैविक-अजैविक विषाक्त विस्फोटकों का प्रतिकार था।" “धरती पर प्रलय के सहस्रों काल पश्चात जब शून्य से कोई परग्रही जीव धरती पर जीवन तलाशने आये तब धरा के सूक्ष्म कणों द्वारा परग्रही जीवों को यह कथा बतायी गई।“ 03/11/2017 🌐www.whosmi.wordpress.com यहां नीचे पूरा पढ़े 👇 सुनो परग्रहीयो !.. सुनो ! है धरा के सूक्ष्म कण हम पर्यावरण में बहते है हम पृथ्वी पर बसने से पहले कुछ बातें तुम्हें बत