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Kamal Kant
मैं अब कसमें झूटी खाने लगा हूँ तुम्हारे रंग हो अपनाने लगा हूँ जिससे भी मिलता हूँ गले लगता हूँ बेवफ़ाई की रस्में निभाने लगा हूँ मैंने भी बना ली है एक सहेली ख़ास उसको सारी बातें बतलाने लगा हूँ एक लड़की कर बैठी है इश्क़ मुझसे उसे छोड़ने की तैयारी में लगा हूँ मगर इस दिल का क्या करूँ मानता नहीं अब इसको भी बुरा बनाने में लगा हूँ ©Kamal Kant #walkalone #Shayari #Shayar #gazal #Feeling #thought #alone sad poetry
The Unstoppablethoughts
White मै ख़ुद कहता हूँ मैं ने ही समझा नहीं तूने समझा हैं तो मैं भी कुसूरवार नहीं चेहरा कभी आँखों से ओझल ना हुआ कहता हैं तू मिरा अब वो तलबगार नहीं खुमार-ए-इश्क़ में ख़ुदा दिखा ना-इंसा जिसके लबों पर मिरा वो अब नाम नहीं मिरे छत का क़मर अब फीका-सा लगे ग़र लफ्ज़ो में उसके वो जज़्बात नहीं फ़ना हो गया आशिक़ मोहब्बत में कुमार सुना हैं शायरों के बस की वो बात नहीं — Kumar✍️ ©The Unstoppable thoughts #Thinking #Nojoto #nojotowriters #nojotohindi #poem #Poetry #gazal #sadpoetry
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White दिल-ए-कश्मकश बड़ी बताऊ कैसे जो समझे, ना-समझें मनाऊ कैसे ? टूटता हैं बिखरता हैं फिर संवरता हैं ये दिल उसी का हैं समझाऊं कैसे ? दिल-ए-जहां ज़िंदा हैं ग़र वो मिरा हैं मिरि नज़र के ख़्वाब उसे दिखाऊ कैसे ? बरसों बिता दिया जिसके इंतज़ार में रोज़ तोड़ता हैं दिल मेरा बताऊ कैसे ? पत्थर-दिल हूँ कहता हैं वही सनम मेरा मेरे मौला तू ही बता यकीं दिलाऊ कैसे ? एक अरसे बाद मिला हैं यार "कुमार" फ़क़ीर को मिरे ख़ुदा से मिलाऊ कैसे ? — Kumar✍️ ©The Unstoppable thoughts #Sad_Status, #alone #gazal #Poetry #Nojoto #nojotohindi #nojotourdu #nojotowriters
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read moreSZUBAIR KHAN KHAN
White 221 212 2 221 2122 थी आरज़ू कभी कू -ए- यार के निदा की इस शहर जादे के सर-खुश यार के मक़ा की अब जो है वो नहीं अब तो तर्क रहते होंगे बा -खूब जानते हैं वो यार के समा की ख्वाहिश कभी नहीं कि मंसूब की अता हो कुछ तो खबर रही होगी यार के वफ़ा की पूछा बहाल -ए- खिल का हाले नालां का भी मारोज़ -ए- बयां क्या है यार के नज़ा की निस्बत उन्हें ना थी जो हम शौक़ रखते उनका वो ख्वाब नज़रो में ना थे यार के निहा की क्या है "जुबैर"दो पल का शौक़-ए-नज़ारा ये बात उनको कहना ये यार के सज़ा की लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN gazal
gazal
read moreJashvant
White दिन कट रहे हैं कश्मकश-ए-रोज़गार में दम घुट रहा है साया-ए-अब्र-ए-बहार में आती है अपने जिस्म के जलने की बू मुझे लुटते हैं निकहतों के सुबू जब बहार में गुज़रा उधर से जब कोई झोंका तो चौंक कर दिल ने कहा ये आ गए हम किस दयार में मैं एक पल के रंज-ए-फ़रावाँ में खो गया मुरझा गए ज़माने मिरे इंतिज़ार में है कुंज-ए-आफ़ियत तुझे पा कर पता चला क्या हमहमे थे गर्द-ए-सर-ए-रह-गुज़ार में ©Jashvant #Gazal# urdu poetry
#gazal# urdu poetry
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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset કેવી છે મારી અવદશા ! સમજાય તો સારું સખી, વાતો હવે ના ખાનગી ચર્ચાય તો સારું સખી. તારા નયનના જામ પી લીધાં મહોબતમાં અમે, મદહોશ દિલ મારું હવે સચવાય તો સારું સખી. ભાષા નયનથી પ્રેમની મોઘમ કરો છો કાં સનમ? આંખોના ઈશારા મને પરખાય તો સારું સખી. આ પ્રેમમાં ના ચૈન દિનમાં છે ના રાતે શાંતિ છે! હાલત અમારી પણ તને દેખાય તો સારું સખી. હું પણ કરું સ્વીકાર, દિલની વાત, જો અવસર મળે, તું એક ક્ષણ માટે જરા હરખાય તો સારું સખી. આંખો ટકી છે એક તારી રાહ પર દિલબર હજી, મળવાને માટે "નીલ" તે વલખાય તો સારું સખી. - નિલમકુમાર બુધ્ધભટ્ટી "નીલ" ©neel #SunSet love poetry for her #gazal #gujarati #Love #Life
neel
Unsplash એમ કીસ્સા કૈક અણધાર્યા બને છે. સાદ પણ ક્યારેક ભણકારા બને છે, સાવ ખાલી છે ગગન મારી નજરમાં, તે છતાં વિજળીના ચમકારા બને છે. વાદળો ગાજી રહ્યા યાદોના એની, આંખ છલકાશે હવે વર્તારા બને છે. સાવ પોતીકું સમજશો ત્યાં જ જોજો, અંતમાં સગપણ તે નોંધારા બને છે. એમ શીતળતા વસંતી ક્યાં મળે છે? ખીલતા ફૂલો જ્યાં અંગારા બને છે. રાહ કોઈ ક્યાંક જોતું પણ હશે શું? કોણ અંગત, ખાસ ને પ્યારા બને છે! નીલ એના મૌનનું પરિચય શું આપે? જ્યાં સમય જોઈને સૌ સારા બને છે. નિલમકુમાર બુધ્ધભટ્ટી ©neel #camping #poetry #gazal #gujarati #life
laxman dawani
White 1222 1222 1222 1222 सितम सहकर भी तेरे तुमको अपना प्यार लिखता हूँ डुबो कर खून में अपनी कलम में यार लिखता हूँ तुम्हारे दर्द से आबाद रहता है मेरा ये दिल कभी दिल का सुकूँ तो दिल कभी लाचार लिखता हूँ फसेंगी ना कभी कश्ती जमाने के तुफानो में तुम्हे जीवन की कश्ती का में खेवनहार लिखता हूँ वही दिल है वही धड़कन मुहब्बत भी वही अपनी में अपनी धड़कनों का तुम को पहरेदार लिखता हूँ तिरी यादें सहारा है मिरी इस ज़िन्दगी का अब बिना तेरे में अपनी ज़िन्दगी दुश्वार लिखता हूँ करूँ किस पे यकीं यारा मिला जो दर्द तुमसे है मुहब्बत में इसे अपनी में अब भी हार लिखता हूँ ( लक्ष्मण दावानी ) 1/12/2016 ©laxman dawani #hindi_diwas #Love #Life #romance #Poetry #gazal #experience #poem #Poet #Knowledge
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221 2121 1221 212 दुश्वारियां ये दिल कि तमन्ना बदल न दे इंसान हूँ मेरा ये नजरिया बदल न दे अपना खुदा यूँ मान लिया तुझे दिल ने अब मत कर सितम यूँ इसपे वो खुदा बदल न दे कर धोखे जितने चाहे मगर बात याद रख खुदा कहीं तेरा यूँ वो मोहरा बदल न दे ज़ुल्मो सितम ये चलते नहीं देर तक कभी कर ना गुमान अब तू वो रिश्ता बदल न दे छुपा ले लाख झूठ तू परदे के पीछे अब दुआ कही किसी की वो मुद्दा बदल न दे ( लक्ष्मण दावानी ) 30/11/2016 ©laxman dawani #Ambitions #Love #Life #romance #Poetry #gazal #experience #poem #Poet #Knowledge
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