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Aavran
इक रेगिस्तान सा शहर, फिर भी नहीं कोई डर, हूं हर थपेड़े सम्हालता, तन्हा ही सही, ऐ सितम, आस हूं मैं किसी के लिये, आबाद हूं अपनों के लिये, तू न सता, नहीं ऐसी गुजारिश, आजमा मुझे, आंधी बनकर, कोई है, जो आयेगा बनके बारिश।। ©Aavran #akela #aavran #life #Love #nojohindi #nojo #nojoenglish #Fight इक रेगिस्तान सा शहर, फिर भी नहीं कोई डर, हूं हर थपेड़े सम्हालता, तन्हा ह
Rakesh frnds4ever
जब जिंदगी के थपेड़े लगते हैं तो ना बलशाली, मजबूत शरीर काम आता है ना अच्छा स्वास्थ्य यहां तक कि आपकी ईमानदारी ,अच्छाइयां, भी बेईमानी हो जाती हैं आपको भोलापन लोगों को बुरा लगने लगता है और खुद के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाला काम करने लगता है आपका साफ दिल लोगों, अपनों ,दुनिया वालों की गंदगी में धूमिल हो कहीं गुम सा होने लगता है ओर जो कुछ हिस्सा दृश्यगत होता है वो अनायास ही पता नहीं क्यों सबको मलिन व कुटिल लगने लगता है,,... और आप किसी बुत की तरह खामोशी और अंधकार में कहीं छुपते छुपाते ,, बचते बचाते,, अदृश्य जगह में गुम होते चले जाते हैं,,,.... ©Rakesh frnds4ever #berang जब #जिंदगी के #थपेड़े लगते हैं तो ना बलशाली, मजबूत शरीर काम आता है ना अच्छा स्वास्थ्य यहां तक कि आपकी #ईमानदारी ,अच्छाइयां, भी
Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
Rajiv R Srivastava
तुम ढूँढो, मंदिर में, मस्जिद में ‘रासि’; मेरे लिये तो माँ-बाप ही मेरी खुदा है। दुनिया...!!! मेरी राह जुदा है॥ ✍🏻@raj_sri पूरी रचना कैप्शन में पढ़ें..! सुप्रभात। दुनिया हमारे रास्ते तय नहीं कर सकती। हम अपनी राह ख़ुद बनाते हैं। #मेरीराह #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote D
Rimpi chaube
एक चंचल-सी चिड़िया देखी,चोंच में भरकर तिनका लाती! बिना रुके बस उड़ते देखी,अपने बच्चों के लिए घर बनाती! ना धूप की मार ना बारिश का डर,वो नित देखी मैंने स्वपन सजाती!! नित भोर भए उड़ जाती देखी,दिनचर्या में ना बदलाव लाती! हर मौसम के थपेड़े सहकर,हमको वो जीना सिखलाती! सुबह मधुर अपनी चहचाहट से,सूरज का स्वागत गीत गाती! हालात चाहे जैसे भी हो,घबराना नही हमें सिखाती!! ©Rimpi chaube #चिड़िया एक चंचल-सी चिड़िया देखी,चोंच में भरकर तिनका लाती! बिना रुके बस उड़ते देखी,अपने बच्चों के लिए घर बनाती! ना धूप की मार ना बारिश का
Shree
नदी के दो किनारों के जैसे कहाॅं किसी को मालूम था कि.. सबकी प्यास बुझाने वाली नदी बीच से जो गुजरेगी, किनारों को अलग-थलग कर देगी उसकी धारा, (अनुशीर्षक में पढ़ें) ***हमदोनों*** 'नदी के दो किनारों' के जैसे कहाॅं किसी को मालूम था कि... सबकी प्यास बुझाने वाली नदी बीच से जो गुजरेगी, किनारों को अलग-थलग
Abeer Saifi
ये रास्ते पे पानी क्यूँ है, नाला फूटा मालूम पड़ता है। चप्पल बगल में दबा ली जाती है, पाँव धोए जा सकते हैं किंतु चप्पल का चमड़ा फूल जाएगा । . . Full story👇👇👇👇 वह चला आ रहा था जेठ की तपती दुपहरी में बीड़ी सुलगाते , देह पर एक बदरंग नीली कमीज़, और मटमैली धोती पर चमकदार चमड़े की नई चप्पल । मानो लू के
Abeer Saifi
ये रास्ते पे पानी क्यूँ है, नाला फूटा मालूम पड़ता है। चप्पल बगल में दबा ली जाती है, पाँव धोए जा सकते हैं किंतु चप्पल का चमड़ा फूल जाएगा । . . Full story👇👇👇👇 वह चला आ रहा था जेठ की तपती दुपहरी में बीड़ी सुलगाते , देह पर एक बदरंग नीली कमीज़, और मटमैली धोती पर चमकदार चमड़े की नई चप्पल । मानो लू के
Poonam Suyal
(अनुशीर्षक में पढ़ें)— % & काग़ज़ की कश्ती मैं काग़ज़ की कश्ती चाहे मेरी नहीं कोई हस्ती फ़िर भी बहे जा रही हूँ नहीं कभी मैं रुकती सब समझते हैं कमज़ोर मुझे
Poonam Suyal
भरोसा है मुझे (अनुशीर्षक में पढ़ें)— % & भरोसा है मुझे चाहे है जहां में मेरे घना अंधेरा दिल में मेर मैंने जला रखा है, विश्वास का अद्भुत दिया चाहे ज़िंदगी ने हराया है मुझे बार-ब