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Vinod Mishra
Devesh Dixit
कोमल (दोहे) कोमल हिय को जानिये, ईश्वर का वरदान। कहती है सद्भावना, उस सा नहीं महान।। बालक सम व्यवहार हो, नहीं कपट के पास। कोमल वाणी भी रहे, जगह बनाता खास।। वे ही उसको चाहते, जिनके ह्रदय समान। कोमलता का राज हो, जाने सकल जहान।। कोमल जिसका आचरण, मिले उसे सम्मान। ईश्वर का वह लाड़ला, उसका रखते ध्यान।। जिसने पाया ईश को, उसे मिला वरदान। कोमलता के साथ ही, उसे मिली पहचान।। ............................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #कोमल #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi कोमल (दोहे) कोमल हिय को जानिये, ईश्वर का वरदान। कहती है सद्भावना, उस सा नहीं महान।। बालक सम
#कोमल #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi कोमल (दोहे) कोमल हिय को जानिये, ईश्वर का वरदान। कहती है सद्भावना, उस सा नहीं महान।। बालक सम #Poetry #sandiprohila
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चाय और तुम सुबह सुबह की पहली गरम चाय से तुम उतरती हो दिल में मेरे प्यार से ये प्यार और भी अधिक बढ़ जाएगा जब आओगी तुम पास अपने आप से जब चाय और तुम हो मेरे साथ में तुम्हारा कोमल हाथ हो मेरे हाथ में चाय का नशा और भी बढ़ जाएगा जब पिलाओगी तुम अपने हाथ से मैं घायल हूँ तुम्हारी इस मुस्कान से और तुम्हारे चाय पीने के अंदाज़ से ये पल भी और रंगीन बन जाएगा जब निहारोगी तुम मुझे बड़े प्यार से जब से जुड़ी हो तुम मेरी जिन्दगी से तो कैसी गिला है मुझे इस जिन्दगी से जिन्दगी का सफर भी सरल हो जाएगा जब बिताओगी तुम जिन्दगी मुस्कान से ........................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #चाय_और_तुम #nojotohindi #nojotohindipoetry चाय और तुम सुबह सुबह की पहली गरम चाय से, तुम उतरती हो दिल में मेरे प्यार से। ये प्यार और भी अ
#चाय_और_तुम #nojotohindi #nojotohindipoetry चाय और तुम सुबह सुबह की पहली गरम चाय से, तुम उतरती हो दिल में मेरे प्यार से। ये प्यार और भी अ #Poetry #sandiprohila
read moreShivkumar बेजुबान शायर
White फूल से उसकी खुशबू को यु ना मांगो वो तो खुद घर के आँगन को यु महकाता हैं । ऐसे कोमल भाव को देख कर मेरा मन ना जाने क्यों ? बहुत ही घबराता हैं। आखिर क्यों ? अपने को गवा कर वो सबके घर में खुशियाँ को यु लुटाता है । उसकी ये छवि, मैंने हर जीव के अंदर मे भी पाई इस बात को में, भले ही देर से समझ पाई । उस फूल का बलिदान भी एक ज्ञान हैं । इस बात से हम सब क्यों अभी भी अनजान हैं ? उसकी जान लेने में, हम एक पल नहीं गवाते उसकी लाश पर गुज़र कर, हम अपनी ही महफिले को सजाते है । ©Shivkumar #flowers #Flower फूल से उसकी #खुशबू को यु ना मांगो वो तो खुद घर के #आँगन को यु महकाता हैं । ऐसे #कोमल भाव को देख कर
AARPANN JAIIN
White फूलों की महक से सजी यह बगिया हर रंग में सिमटी है प्रकृति की सरगम हर कली में छुपी है मुस्कान की चंचलता जीवन में भरती है रंगों का पथ फूलों की खिलखिलाहट है मन को भाती हर सुगंध में बसी है खुशियों की मिठास प्रेम का संदेश देते हैं ये नन्हे फूल दिल को छू जाती है इनकी कोमल प्यास ©AARPANN JAIIN #flowers #Life #Life_experience #Love #Nature फूलों की महक से सजी यह बगिया हर रंग में सिमटी है प्रकृति की सरगम हर कली में छुपी है मुस्कान
#flowers #Life #Life_experience Love #Nature फूलों की महक से सजी यह बगिया हर रंग में सिमटी है प्रकृति की सरगम हर कली में छुपी है मुस्कान #nikita
read moreDevesh Dixit
श्रद्धा (दोहे) हिस्सों में अब बट रहीं, कितनी श्रृद्धा आज। आफताब घेरे इन्हें, बन कर के वो बाज।। घटनाओं का सिलसिला, बढ़ता है दिन रात। कहती हैं श्रद्धा सभी, समझो अब जज्बात।। धोखा दूँ माँ बाप को, श्रद्धा करे न पाप। आफताब जैसे मिलें, तब होता संताप।। हो श्रद्धा मन में बहुत, खुश होते भगवान। संकट करते दूर हैं, हों पूरे अरमान।। श्रद्धा जिसमें भी रहे, हो उसका उद्धार। पाप कर्म से दूर हो, बना रहे उद्गार।। श्रद्धा से कोमल बने, मन के अपने भाव। दूजों की पीड़ा दिखे, उभरे उर के घाव।। ........................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #श्रद्धा #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry श्रद्धा (दोहे) हिस्सों में अब बट रहीं, कितनी श्रृद्धा आज। आफताब घेरे इन्हें, बन कर के वो ब
#श्रद्धा #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry श्रद्धा (दोहे) हिस्सों में अब बट रहीं, कितनी श्रृद्धा आज। आफताब घेरे इन्हें, बन कर के वो ब #Poetry #sandiprohila
read moreAshuAkela
White खट्टी मीठी यादों की पगडंडी पर, चाहत कितनी अच्छी लगती है छोड़ काटें फूलों को देखो तो, चाहत कितनी कोमल सुंदर लगती है झूठी सच्ची बातें होती थी जबतक, चाहत कितनी अच्छी लगती है ©AshuAkela #Road #Highlights #story #MirzapurSeason2 #Poetry #Chahat खट्टी मीठी यादों की पगडंडी पर, चाहत कितनी अच्छी लगती है छोड़ काटें फूलों को देख
#Road #Highlights #story #MirzapurSeason2 Poetry #Chahat खट्टी मीठी यादों की पगडंडी पर, चाहत कितनी अच्छी लगती है छोड़ काटें फूलों को देख #कविता
read moreSangeeta Kalbhor
नकोच काही चिंता अन् नकोच काही गुंता नको नकोच रे देवा माणसाची अशी कुंठा दिलेस ह्रदय कोमल भावही कोमल असू दे नयनातील रम्य दृष्टी तुझ्या नजरेने दिसू दे देऊ दे हाक अंतःर्आत्म्याला ओ मात्र तू दे आलेच काही अशुद्ध मनात दूर वाहून तू ने दे चपराक अशी झापड उघडावी आळसाची बहरावी अशी मती नवीनवेली पाने पळसाची आचमन करुन भावनांचे भाव मनी झिरपू दे जे जे चांगले ,उदात्त खिरापत तयांची वरपू दे आज आत्ता आणि आत्ताच जगणे ध्यानी घेऊ दे ओंजळ भरभरून सुखाची दुःखालाही कवटाळू दे नकोच रे काही काही चिंता नकोच कसला गुंता भिडायला येऊ दे माणसाला माणुसकी न सोडता..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #fisherman नकोच काही चिंता अन् नकोच काही गुंता नको नकोच रे देवा माणसाची अशी कुंठा दिलेस ह्रदय कोमल भावही कोमल असू दे नयनातील रम्य दृष्टी त
#fisherman नकोच काही चिंता अन् नकोच काही गुंता नको नकोच रे देवा माणसाची अशी कुंठा दिलेस ह्रदय कोमल भावही कोमल असू दे नयनातील रम्य दृष्टी त #शायरी
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