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Shankar kamble
आसावला जीव।ओसंडला भाव। अंतरीचा ठाव।सावळ्या तू।।१।। कातर मनाला।आठवं क्षणाला। काकडा ओवला।देहरूपी।।२।। मनं ओढावते।दर्शनांते आस। जीवां रात्रंदिस।ध्यास तूझा।।३।। तोडीयले बंध।पाश मायारुपी। अंतरी स्वरूपी।तूच सदा।।४।। काय करू सांग।चित्त उसवले। पाहतो वाटुले।पंढरीची।।५।। अंतरी उमाळा।तोची घननीळा। सांगू लडिवाळा।गूज मनीं।।६।। नाद प्रसवला।परब्रह्म देहीं। मनाचियां डोही।नाद रंगे।।७।। देहादेही एक।भाव समरूप। पापांचे कळप।सुटती बां।।८।। मागणें न दुजें।आतां उरे काही। मनीं वसे ठायी।पांडुरंगे।।९।। श्री. शंकर नागनाथ कांबळे ©Shankar kamble #वारी #विठ्ठल #पंढरपूर #माऊली #वारी_जांऊ #पांडुरंग #विठ्ठल_रखुमाई #सावळा
पूनम शशिकला देवीदासराव कुलकर्णी
ओढ तूला भेटण्याची आहे मनात खोलवर, काय देऊ तूला विठू मी माझा फाटका पदर.. दिलंस मला तू सोन्यासारख ते रान, रानात पिकते धन अन फुलते माझ्या कारभाऱ्याच मन... तू पुरवशी आमच्या दोन लेकरासी घास, मनात असते नेहमी तूला भेटण्याची आस.. दिस मोजत मोजत येईल सुखाची ती लाट, तूझ्या भेटीसाठी माझं अख्ख कुटूंब चालत वारीची वाट.. ©पूनम शशिकला देवीदासराव कुलकर्णी #prayer #पंढरीचीवारी #मराठी #marathikavita #marathi #martahipoem मित्रांनो दरवर्षी लाखो वारकरी चालत पंढरीला जातात..महाराष्ट्राची संस्कृ
#prayer #पंढरीचीवारी #मराठी #MarathiKavita #marathi #martahipoem मित्रांनो दरवर्षी लाखो वारकरी चालत पंढरीला जातात..महाराष्ट्राची संस्कृ
read moreSanjay Tiwari
सूखी धरणी ,तरु ,शैल विशाल ,शुष्क प्रसून ,विहग तरसे हैं घनघोर पयोद ,कठोर हृदय ,दामिनी संग वारिधि में बरसे है #वारिधि
Eklakh Ansari
ख़जाने में तुम्हारे क्या नहीं मौजूद या वारिस - अज़ीज़ वारसी देहलवी #EklakhAnsari
read moreराजेंद्रभोसले
जरी नवाविधा भक्तीची केली बोळवण परी नाही उमजे वारकऱ्याचे अंतर्मन कासाविस होई विठू दर्शनास मन चालुनिया जरी आले पायास व्रण अंतरी उमटे सदा श्रीहरीचे उच्चार संसारी आचरू श्रीरामाचे विचार नच सापडे राउळी मज पंढरीनाथ दिंडीच्या सोहळीया भेटी जगन्नाथ राहू कसा पामर तुज दर्शना विन साहू कसा चाकर चरण रज विन कवी राजेंद्रकुमार भोसले ९३२५५८४८४५ #वारकऱ्यंचेमनोगत#truth
Anshu writer
यूँ बरस रही बारिशों की बूँदें जिंदगी के गमों को महसूस कर रही थी कोई रास्ता मिल रहा हो महोब्बत का हाथ बढाने को दिल दर्द के दरिया में डूबने लगा था कोई करीब आ रहा था मेरे इस महोब्बत को निभाने को बहुत मजबूर था दर्द का दरिया इन बारिशों का साथ निभाने को बरसती वारिशे
बरसती वारिशे
read moreVijay Kumar उपनाम-"साखी"
वार्षिकोत्सव की आई पावन वेला गाओ रे सब गीत सुंदर अलबेला खुशियों का लगा देखो आज मेला सबके मन को भा रहा ये अम्ब्रेला बच्चों की मनभावन प्रस्तुतियां, सबका ही हर्षा रही आज जियां, वार्षिकोत्सव से हमे आज मिला, खुशियों का एक अनमोल थैला, सब लोगो के चेहरे आज खिले है भामाशाहों से स्कूल भी खिले है मिले कहीं संसाधन स्कूल को, साथ प्रतिभाओं को ईनाम मिले है सबके चेहरे आज के प्रोग्राम में, वार्षिकोत्सव से बड़े घुलमिलें है वार्षिकोत्सव से पुराने चेहरे भी, देखने को बड़ी मात्रा में मिले है वार्षिकोत्सव की आई पावन वेला सबके लिये लाई खुशियों का मेला अगले वर्ष फिर मिलेंगे,समापन के ये शब्द सुनकर सबका मन हिला है, पर इससे यह संदेश जरूर मिला है, सरकारी स्कूलें संस्कारों की विला है लोगो की ये गलत सोच है,साखी, प्राइवेट स्कूल से,सरकारी पिछड़ा है एकबार हमारे स्कूल तो आकर देखे, ये कौनसा सितारों से कम जिला है दिल से विजय वार्षिकोत्सव
वार्षिकोत्सव #कविता
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