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श्रीकृष्ण की मृत्यु का रहस्य, कौन था उन्हें मारने वाला बहेलिया... ©Video Hub श्रीकृष्ण की मृत्यु का रहस्य, कौन था उन्हें मारने वाला बहेलिया
Abid
Bach rahe the hum us sayyaad se, Jo maanta nahi tha kisi ki fariyaad se. Veeraan dil me ab jaake umang jaagi thi, Dil Roshan tha mera Dil bar ki yaad se. #आजकाशब्द✍️ स✍️ 👇 #Qalam_E_Khas✍️ #सय्याद (Hunter) (शिकारी, बहेलिया) #ख़ूब_लिखिय
AK__Alfaaz..
खंजर तराशता रहा कल सय्याद सारी रात.., उसे क्या पता कत्ल तो यादों ने ही कर दिया.., #जरा_सा_इश्क़_में **सय्याद--शिकारी, बहेलिया #yqdidi #yqbaba #yqhindi #yqquotes #bestyqhindiquotes #yqthoughts #yq
ashutosh anjan
अतिथि सत्कार (लघु कथा के रूप में अनुशीर्षक 👇में) अतिथि सत्कार सेवा भारतीय संस्कृति का परम कल्याणकारी व्रत है। शास्त्रों में वर्णित है। मातृ देवो भव ! पितृ देवो भव ! अतिथि देवो भव ! आचार्य द
ashish gupta
जब उसके रूह को तेरे रूह ने छू लिया जब मेरी रूह ने उसके रूह को छू लिया तब किस कारण से दूर बैठा है बेलिया अब तो चूम ले प्यार से हथेलियां जब तेरे लब ने उसके लब को छू लिया जब उसके लब ने तेरे लब को छू लिया तो किस कारण से दिल टूटा बहेलिया आज कल पूछती है उसकी सहेलियां जब तेरे तन को उसके तन ने छू लिया जब उसके तन को तेरे तन ने छू लिया तो किस कारण सूनी पड़ी रहे हथेलियां आज कल पूछती रहती है चेलिया ©ashish gupta जब उसके रूह को तेरे रूह ने छू लिया जब मेरी रूह ने उसके रूह को छू लिया तब किस कारण से दूर बैठा है बेलिया अब तो चूम ले प्यार से हथेलियां जब
SURAJ आफताबी
दिवास्वप्न मेरे करते हैं मुझसे अठखेलियाँ वो ही भरते उड़ान जिनके शिकार पर बहेलिया ! अब उर उद्यान में कौनसा बीज अंकुरण का पाठ फिर पढ़ायेगा जो मूर्छित होकर लेट गये उलझाकर सावन के सम्मुख अनंत पहेलियाँ ! No caption..🙏 बहेलिया- शिकारी उर- हृदय #love #life #mohabbat #shayari #poetry #yqdidi #yqbaba #surajaaftabi
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
जीवन नैया डूबती , छुपे कहाँ मल्लाह । भव से कैसे पार हो , दिखलाओ अब राह ।। आज दिखाओ आप ही , जीने की अब राह । आओ बनके आप ही , अब मेरे मल्लाह ।। आज जुलाहे ने बुना , देखा वस्त्र अनेक । दे दे एक फकीर को , काम यही है नेक ।। माली तो हैं राम जी , जग तो यह है फूल । खिलता उनकी ही शरण , जाते क्यों है भूल ।। नैन झरोखा खोलकर , देखो कृपानिधान । दासी आयी द्वार पर , करने को सम्मान ।। उड़े कबूतर आज भी , ले दानों की चाह । बैठा दूर बहेलिया , देख रहा था राह ।। फूली सरसो खेत हो , दिखे दिशा चहुँ ओर । डाली-डाली खिल रही , देख किरण की भोर ।। शीत काल में कम हुआ , दिनकर का भी काम । आना-जाना देर से , होता बस विश्राम ।। खिले शबनमी फूल है , देखो आज अनेक । हाथों में आये नही , जो चाहो तुम एक ।। ०८/१२/२०२२ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #Missing जीवन नैया डूबती , छुपे कहाँ मल्लाह । भव से कैसे पार हो , दे दिखलाओ अब राह ।। आज दिखाओ आप ही , जीने की अब राह । आओ बनके आप ही , अब
haneefshikohabadi | ~हनीफ़ शिकोहाबादी
#आजकाशब्द👉#सय्याद #Challenge #आजकाशब्द✍️ #क़लम_ए_ख़ास✍️ 👇 #Qalam_E_Khas✍️ #सय्याद (
haneefshikohabadi | ~हनीफ़ शिकोहाबादी
#आजकाशब्द✍️ 👇 #सय्याद (#Hunter) शिकारी, बहेलिया #क़लम_ए_ख़ास✍️