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संगीत कुमार

#HappyRoseDay धरती है इतिहासों की धर्म ,ज्ञान के भंडारों की विद्वानों की महानायक की वीरों और बलवानों की भाषा की संस्कृति की अधिकारियों की क #कविता

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धरती है इतिहासों की
धर्म ,ज्ञान के भंडारों  की
विद्वानों की महानायक की
वीरों और बलवानों की
भाषा की संस्कृति की
अधिकारियों की कर्मवीरों की
बिहार है पहचानों की
ऋषियो की भगवानों की
धर्म और विचारों की
धरती है बलिदानो की
बिहार तो है सबके सम्मान की

©संगीत कुमार #HappyRoseDay धरती है इतिहासों की
धर्म ,ज्ञान के भंडारों  की
विद्वानों की महानायक की
वीरों और बलवानों की
भाषा की संस्कृति की
अधिकारियों की क

Pratik Patil Patu

जिंदगी के शैतान और भगवान क्रोध, लोभ और जलन यही है हमारे जिंदगी के कुछ शैतान. हमारी जिंदगी में जितनी भी बुरी चीजें होती है, वह सब इन तीन #Bhagwan #yqbaba #yqhindi #yqlove #shetan #qdidi

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क्रोध का दानव जब, भी आता है
रिश्ते तहस-नहस, कर देता है
यह जिस पर भी हबी होता है
उसकी जिंदगी बिगाड़ देता है

लोभ का राक्षस, जब भी आता है
खुशियां खा जाता है
यह बहुत मायावी  है
जन्नत को भी, जहन्नुम बना देता है

जलन की आग जब, दिल में जलती है
अंदर से रुलाती है, बाहर से जलाती है
पूरी जिंदगी
जलती ही, चली जाती है

प्यार जब भी आता है, क्रोध को हटाता है
रिश्तो के घाव, पल में मिटाता है
यह बहुत मायावी है
जहा भी होता है, जन्नत बना देता है

त्याग जब भी आता है, लोभ को हटाता है
जलन को मिटाकर, प्यार को लाता है
यह बहुत मायावी है
दानव को भी, मानव बना देता है  जिंदगी के  शैतान और  भगवान

क्रोध, लोभ और जलन यही है हमारे जिंदगी के कुछ शैतान.
हमारी जिंदगी में जितनी भी बुरी चीजें होती है, वह सब इन तीन

Manoj dev

ना दीवाली होती, और ना पठाखे बजते ना ईद की अलामत, ना बकरे शहीद होते  .......काश कोई धर्म ना होता  .......काश कोई मजहब ना होता

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Manoj dev

ना दीवाली होती, और ना पठाखे बजते ना ईद की अलामत, ना बकरे शहीद होते  .......काश कोई धर्म ना होता  .......काश कोई मजहब ना होता #OpenPoetry

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#OpenPoetry ना दीवाली होती, और ना पठाखे बजते

ना ईद की अलामत, ना बकरे शहीद होते 


.......काश कोई धर्म ना होता 

.......काश कोई मजहब ना होता



ना अर्ध देते , ना स्नान होता 

ना मुर्दे बहाए जाते, ना विसर्जन होता 

जब भी प्यास लगती , नदिओं का पानी पीते

पेड़ों की छाव होती , नदिओं का गर्जन होता 


ना भगवानों की लीला होती, ना अवतारों का नाटक होता 

ना देशों की सीमा होती , ना दिलों का फाटक होता 


.......काश कोई धर्म ना होता 

.......काश कोई मजहब ना होता ना दीवाली होती, और ना पठाखे बजते

ना ईद की अलामत, ना बकरे शहीद होते 


.......काश कोई धर्म ना होता 

.......काश कोई मजहब ना होता

Dr.UMESH ARSHAAN

ना मस्जिद आजान देती, ना मंदिर के घंटे बजते ना अल्ला का शोर होता, ना राम नाम भजते ना हराम होती, रातों की नींद अपनी मुर्गा हमें जगाता, सुबह #poem

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ना मस्जिद आजान देती, ना मंदिर के घंटे बजतेना अल्ला का शोर होता, ना राम नाम भजते

ना हराम होती, रातों की नींद अपनीमुर्गा हमें जगाता, सुबह के पांच बजते
ना दीवाली होती, और ना पठाखे बजतेना ईद की अलामत, ना बकरे शहीद होते
तू भी इन्सान होता, मैं भी इन्सान होता,काश कोई धर्म ना होता काश कोई मजहब ना होता ना अर्ध देते , ना स्नान होता ना मुर्दे बहाए जाते, ना विसर्जन होता
जब भी प्यास लगती , नदिओं का पानी पीतेपेड़ों की छाव होती , नदिओं का गर्जन होता
ना भगवानों की लीला होती, ना अवतारों का नाटक होता
ना देशों की सीमा होती , ना दिलों का फाटक होता
तू भी इन्सान होता, मैं भी इन्सान होता, काश कोई धर्म ना होता काश कोई मजहब ना होता
कोई मस्जिद ना होती, कोई मंदिर ना होता कोई दलित ना होता, कोई काफ़िर ना होता
कोई बेबस ना होता, कोई बेघर ना होता किसी के दर्द से कोई, बेखबर ना होता
ना ही गीता होती , और ना कुरान होता ना ही अल्ला होता, ना भगवान होता
तुझको जो जख्म होता, मेरा दिल तड़पता. ना मैं हिन्दू होता, ना तू मुसलमान होता

तू भी इन्सान होता, मैं भी इन्सान होता।

–हरिवंशराय बच्चन ना मस्जिद आजान देती, ना मंदिर के घंटे बजते

ना अल्ला का शोर होता, ना राम नाम भजते

ना हराम होती, रातों की नींद अपनी
मुर्गा हमें जगाता, सुबह

Neeraj Badgotya

जो भगवान से बढ़कर है, वो मेरी मां है.! मैं भगवानों को नही मेरे मां बापू को पूजता हूं.! #HappyMothersDay

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Priya Sharma

🌺 पथर की मूरत को भगवान मान कर पहले घर लाते हैं, पूजा करते हैं फिर अपने भगवानों का यह लोग आप ही अपमान करते हैं। ऊपर से खुद को कट्टर हिन्दू भी #hinduism #nogoto #nojotovideo #ganesha #ganeshji

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Jyotish Jha

#NehaDhupia #fakefeminism #drjyotishwrites नारी को सत सत बार प्रणाम 🙏🙏🙏 जब तक पर्दे में है तब तक ही ये नारी है मत समझो नारी को अबला ये झाँसी #YourQuoteAndMine #नारीवाद #हकीकतनारीकी

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नारीवाद के बहाने जाने कितने जिंदगी बर्बाद किये
इस इंसानों ने तो भगवानों के भी व्यापर किये
नफ़रत की दुनिया को छोड़ के 
क्यों न हम साथ चलें #nehadhupia #fakefeminism #drjyotishwrites
नारी को सत सत बार प्रणाम 🙏🙏🙏
जब तक पर्दे में है तब तक ही ये नारी है
मत समझो नारी को अबला ये झाँसी

Rakesh frnds4ever

#उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनि #जीवन #मनुष्य #दुनिया #ज़िन्दगी #ज़िन्दगी #रिश्तों #धरती #AdhureVakya

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उलझन इस बात की है कि   हमें .......उलझन किस बात की है
अपनों से दूरी की 
या फिर किसी मज़बूरी की
खुद की नाकामी की 
या किसी परेशानी की
दुनिया के झमेले की या  मन के अकेले की
पैसों की तंगी की 
या जीवन कि बेढंगी की
रिश्तों में कटाक्ष की 
या फिर किसी बकवास की
दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की
अपनी व्यर्थता की 
या ज़िन्दगी की विवशता की
खुद के भोलेपन की 
या फिर लोगो की चालाकी की
अपनी खुद की खुशी की 
या दूसरों की चिंता की
खुद की संतुष्टि की
 या फिर दूसरों से ईर्ष्या की
खुद की भलाई की
 या फिर दूसरों की बुराई की
धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की
मनुष्य की कष्टता की
 या धरती मां की नष्टता की
मानव की मानवता की 
या फिर इसकी हैवानियत की
बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की
प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,,
विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की
बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की
,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों
 या उनके समस्याओं या समाधानों 
या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,,
की हम किस बात की उलझन है..==...........

rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,,
हमें ......
उलझन किस बात की है
अपनों से दूरी की 
या फिर किसी #मज़बूरी की
खुद की नाकामी की 
या किसी परेशानी की
#दुनि

आलोक कुमार

आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त

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बस यूँ ही चलते-चलते .........
जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त
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