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Usha bhadula
खर्चे बढते जा रहे,तनिक रखो तुम ध्यान। खर्चा फिजूल कम करो,नहीं घटेगी शान।। नहीं घटेगी शान,तनिक सब कहना मानो। बजट रहेगा हाथ,जरा तुम यह तो जानो।। कहूँ ज्ञान की बात,नहीं फिर होगें चर्चे। स्वयं जरूरत देख,तभी कम होगें खर्चे।। ©Usha bhadula #hibiscussabdariffa कुंडलियाँ
Usha bhadula
नारी भी समझे नहीं,दुष्टों की यह चाल। फंसी फिर क्यों प्यार में,देख बुरा यह हाल।। देख बुरा यह हाल, अक्ल क्यूँ जाती मारी। भूल सभ्य संस्कार,दिखावा पड़ता भारी।। पढी लिखी तू नार,करे क्यूँ इनसे यारी। सबल बनी तू आज, नहीं वह अबला नारी।। ©Usha bhadula #loversday कुंडलियाँ
Usha bhadula
बंसत रंगी दिखते बाग हैं,हरे भरे हैं खेत। सरसों भी है झूमती,मनभावन यह चैत।। मनभावन यह चैत, ह्रदय आनंद समाया। चहक रहे खग साथ, मास यह बंसत भाया।। प्रकृति सलौना रूप,गूंजते हैं नित भृंगी। दुल्हन सी तैयार, छटा ये अनुपम रंगी।। ©Usha bhadula #myhappiness कुंडलियाँ
Usha bhadula
कुंडलियाँ कैसा ये माहौल है,नहीं किसी को शर्म। जेबें अपनी है भरे,समझ इसी को धर्म।। समझ इसी को धर्म,जुल्म वह करते जाते। सुनें नहीं वह एक, हुक्म वह खूब चलाते।। लूट भरे बाजार,गरीबों का वह पैसा। वर्दी धारी मौन, आचरण ये है कैसा।। ©Usha bhadula #beautifulhouse कुंडलियाँ
Usha bhadula
कुंडलियाँ माता सीता सीता देखे वाट है, आऍं कब श्रीराम। बहुत दिवस होने चले, जाना अपने धाम।। जाना अपने धाम,आशीष सबका पाऊँ। राम लखन के साथ, अयोध्या वापस जाऊँ।। जपत राम का नाम,इसी में दिन है बीता। शगुन देखके आज,प्रफुल्लित माता सीता।। ©Usha bhadula #Path कुंडलियाँ
Usha bhadula
Shree Ram कुंडलियाँ आये प्रभु श्रीराम हैं,लिए सिया को साथ। मिलकर सब स्वागत करें, दर्शन दें रघुनाथ।। दर्शन दें रघुनाथ ,विजय रावण पर पाए। तोडे मद लंकेश , विभीषण गले लगाये।। दिया विभीषण राज्य, स्वयं अभिषेक कराये। बैठे पुष्पक यान ,अवध फिर रघुवर आये।। ©Usha bhadula #shreeram कुंडलियाँ
Poetry with Avdhesh Kanojia
मधवामृतम (कुंडलियाँ छंद) ---------------------- नीलकमल सम श्याम तन, अरु कजरारे नैन। जाकी बंसी मधुर स्वर, आनि चुरावै चैन।। आनि चुरावै चैन, हृदय मनु परमानंदा। शुभ्र तेजोमय जस, पूरनमासी सों चँदा।। सुमिरि नाम गोपाल, रे मनु नसावहिं कलिमल। चरण कमल चित लाय, भजत मन छवि नीलकमल।। #कृष्णमेरे #कृष्ण #krishna #krishnalove #poetry #poem #love मधवामृतम (कुंडलियाँ छंद) ---------------------- नीलकमल सम श्याम तन, अरु कजरार
tripti agnihotri
Poetry with Avdhesh Kanojia
मधवामृतम (कुंडलियाँ छंद) ---------------------- नीलकमल सम श्याम तन, अरु कजरारे नैन। जाकी बंसी मधुर स्वर, आनि चुरावै चैन।। आनि चुरावै चैन, हृदय मनु परमानंदा। शुभ्र तेजोमय जस, पूरनमासी सों चँदा।। सुमिरि नाम गोपाल, रे मनु नसावहिं कलिमल। चरण कमल चित लाय, भजत मन छवि नीलकमल।। ✍️अवधेश कनौजिया© #Krishna #कृष्ण #कविता #Poetry #छंद मधवामृतम (कुंडलियाँ छंद) ---------------------- नीलकमल सम श्याम तन, अरु कजरारे नैन। जाकी बंसी मधुर स्