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Bambhu Kumar (बम्भू)
Bhupendra Rawat
कोई नहीं जानता कब बंद हो जाएगी कौन सी मिलें,किनकी होगी छँटनी, किनकी कटेगी तनख्वाह, कोरोना के डर से,सब रह गए थे घर पर एक दो दिन मच गया था हंगामा जब रेडियो, टेलीविजन, जनसंचार के सारे माध्यमों ने ज़िन्दगी में पहली बार जनता की सुरक्षा का पूरा भार अपने कंधों पर उठाया था ऐसे समय में जब सरकारों ने कर दिया था एलान बंद का लेकिन कुछ सिरफिरे मिल ही जाते है जो मंडराते रहते है हर जगह और लगा देते है दोष सरकारों पर भूपेंद्र रावत 5।08।2020 कोई नहीं जानता कब बंद हो जाएगी कौन सी मिलें,किनकी होगी छँटनी, किनकी कटेगी तनख्वाह, कोरोना के डर से,सब रह गए थे घर पर एक दो दिन मच गया था
Divyanshu Pathak
हम जीवन में लाखों कार्य करते हैं। यह भी मानते हैं कि अपनी मर्जी से कर रहे हैं। क्या हम “मर्जी” को पैदा कर सकते हैं कभी नहीं। मर्जी तो मन में अपने आप पैदा होती है। जिस मर्जी को मन स्वीकार कर लेता है, वह मेरी मर्जी हो जाती है। मैं उस मर्जी को पूरा करने का माध्यम बन जाता हूं। मेरा जीवन तो मर्जी पैदा करने वाला चलाता है। कृष्ण कितने सहज भाव से कह गए-कर्ता भाव मत रखो। निमित्त बन जाओ। सब कुछ मुझे अर्पण कर दो। गहराई से देखेंगे तो पता चल जाएगा कि हम कर्ता बन ही नहीं सकते। चाहें तो स्वीकार कर लें अथवा नकार दें। बीच के क्षेत्र को मध्य कहते हैं। जहां दूरी दिखाई पडे, तो उसे पाटने के लिए माध्यम की आवश्यकता पडती है। वह साधन भी हो सकता है, व्यक्ति भी, अथव
Krish Vj
चिंतन:_ "भारतीय परम्परा" सबसे जोड़ा रिश्ता हमने, चाहे माटी हो या मनुज हो परंपराओं ने सृजन किया हैं यहि "आदर्श" जीवन हो आधार यहीं, व्यवहार यहीं है, यही है जीवन हमारा है परंपराओं से बिछड़ कर, नरक मय जीवन हमारा हैं #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #भारतीय_परंपरा #kkpc18 #विशेषप्रतियोगिता #अल्फाज_ए_कृष्णा भारत विविधताओं में एकता वाला देश हैं । अनेक भाषाए
Vedantika
इंसान लघुकथा आज शहर में दहशत का माहौल है। सब तरफ अफर-तफरी मची हुई है। दुकानें जलाई जा रही हैं,बसे फूंकी जा रही है।औरते और बच्चे घर में डर से थर-थर काँपते हुए दुबक गये है। Day:9 आज शहर में दहशत का माहौल है। सब तरफ अफर-तफरी मची हुई है।दुकानें जलाई जा रही हैं,बसे फूंकी जा रही है। औरते और बच्चे घर में डर से थर-थर
Nitesh Prajapati
माँ की ममता के प्रेम का बहाव बहे, शिशु की रग रग में लहू बनकर, अपना लहू कम करके, देती है एक सहारा शिशु के शरीर का जीवन वृक्ष बढ़ाने का। "." लेखन आयोजन :-: લેખન આયોજન "." अब से Gujarati WriterS की तरफ से ४ चार विषय_चित्र प्रस्तुत किए जायेंगे । हिंदी आलेखन के लिए २ गुजराती ल
Nitesh Prajapati
સત્યની જ્યોત, સનાતન ધર્મ માં, પ્રગટશે અખંડ. -Nitesh Prajapati "." लेखन आयोजन :-: લેખન આયોજન "." अब से Gujarati WriterS की तरफ से ४ चार विषय_चित्र प्रस्तुत किए जायेंगे । हिंदी आलेखन के लिए २ गुजराती ल
Nitesh Prajapati
रात का सन्नाटा और दिल की कशमकश, छुपे है कितने गहरे अल्फाज़ एक ज़ख्म बनकर, यह राज की बात और मेरी ये तन्हाई, दफ्न है तो सिर्फ मेरे ज़हन में। - Nitesh Prajapati "." लेखन आयोजन :-: લેખન આયોજન "." अब से Gujarati WriterS की तरफ से ४ चार विषय_चित्र प्रस्तुत किए जायेंगे । हिंदी आलेखन के लिए २ गुजराती ल
Nitesh Prajapati
तेरा यूं पलट कर देखना, जैसे मेरे दिल की धड़कन बढ़ाना, तेरी नजरों का यू तीरे चलाना, जैसे मेरे दिल के टुकड़े टुकड़े करना। "." लेखन आयोजन :-: લેખન આયોજન "." अब से Gujarati WriterS की तरफ से ४ चार विषय_चित्र प्रस्तुत किए जायेंगे । हिंदी आलेखन के लिए २ गुजराती ल
Nitesh Prajapati
माथे की लकीरें न मिटाए कोई, जो भी तेरी लकीरों में लिखा है लेख, वह मिला अपार जिंदगी में, जो भी लेख मुकद्दर में ना लिखा, वह मिलकर भी छीना है इस कुदरत ने। "." लेखन आयोजन :-: લેખન આયોજન "." अब से Gujarati WriterS की तरफ से ४ चार विषय_चित्र प्रस्तुत किए जायेंगे । हिंदी आलेखन के लिए २ गुजराती ल