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Shayar.ix
हर घड़ी चश्म-ए-ख़रीदार में रहने के लिए, कुछ हुनर चाहिए बाज़ार में रहने के लिए, अब तो बदनामी से शोहरत का वो रिश्ता है कि लोग नंगे हो जाते हैं अख़बार में रहने के लिए, शकील आज़मी . ©Shayar_nir.ix हर घड़ी चश्म-ए-ख़रीदार में रहने के लिए कुछ हुनर चाहिए बाज़ार में रहने के लिए अब तो बदनामी से शोहरत का वो रिश्ता है कि लोग नंगे हो जाते हैं
Vedantika
ख़रीददार-ए-जिंस को मोल चाहिए ज़िंदगी मेरी, कीमत में उसने मुझको चंद साँसें बख़्श दी है। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "जिंस" "jins" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है चीज़, सामान, वर्ग, लिंग, जाति एवं अंग्र
Kamaal Husain
हैरत में-हूँ इमान का बाजार देख के बिकते हुए लोग'और ख़रीदार देख के मैं एक कलमकार हूँ रोता है मेरा दिल रोटी के लिए भूंख को लाचार देख के संतरंज से भी गहरी है नेताओ चालें अफ़सोस है इस दौर का अख़बार देख के क्या होगा इससे ज्यादा जुल्म सोचता हूँ मैं जनता की जिदंगी को यूँ दुस्वार देख के सोंचा है कई बार कि सच झूठ की जंग हो पर डर रहा हूँ ज़हन के बिमार देख के #yqdidi#bhaiJan#हैरत#इमान#बाजार हैरान हूँ इमान का बाजार देख के बिकते हुए लोग'और ख़रीदार देख के मैं एक कलमकार हूँ रोता है म
Shiv Narayan Saxena
बादल भी शिकार हुए बस्तियों की पेशेवर मोहब्बत के बरसे मगर पहुँचे समुन्दर बचकर मतलबी ख़रीदारों से. ©Shiv Narayan Saxena #City मतलबी ख़रीदारों से . . . . . Anshu Pandey @_सुहाना सफर_@ (R.J 09) vimlesh Gautam Mr RN SINGH Kamlesh Kandpal ,,,,,,,,, मीत,,,,,,,,,`
Dr Upama Singh
मानव ने बाँट लिया स्वयं को जिंस के आधार पर क्या हासिल हुआ एक दूजे के दिलों से यूँ जुदा होकर ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "जिंस" "jins" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है चीज़, सामान, वर्ग, लिंग, जाति एवं अंग्र
VATSA
बढ़ चला धुँध का घेरा है दिखता क्या तेरा मेरा है ज़रा देख के बताना मुझे कहाँ उजाला है कहाँ अँधेरा है बंद कर विकास की ये दुकान रुक ज़रा सोच ले इंसान यहाँ बस बेचने वाली टोली है ख़रीदारी भी बनती भोली है पंछियों ने नाता तोड़ दिया हवाएँ भी उस ओर हो ली है प्रकृति खड़ी है लहू लुहान रुक ज़रा सोच ले इंसान जले जंगल तो आंसू आए कर्मठ नहीं सब जिज्ञासु आए वही जो बात बहुत करते हैं अंधेरों में बग़ीचे कटवाए ठूँस रखा है बस अभिमान रुक ज़रा सोच ले इंसान इन शहरों ने निगला गाँव को खेतों को पेड़ों की छाओ को मैं शाम से उनको ढूँढता हूँ पूछा कितने नेताओं को सुनने वालों में कोई है किसान? रुक ज़रा सोच ले इंसान #किसान #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #yqbaba #hindipoetry #hindipoem बढ़ चला धुँध का घेरा है दिखता क्या तेरा मेरा है ज़रा देख के बताना
Dr Jayanti Pandey
इस बार बचा लो प्रभु, हमको माफी दे दो आप हमने दोबारा फिर पाल लिया आस्तीन का सांप आंसुओं का कैसा दौर है ,वक्त ही बड़ा कठोर है हर तरफ चीख है पुकार है, निराशा की बयार है गिद्धों से पत्रकार हैं,लाशों के ढ़ेर के तलबगार हैं पाताल से भी नीचे गिरे हुए,बिके हैं इनके चरित्र, आक्सीजन नहीं ख़रीदा, बस हर दस मिनट पर टीवी पर शक्ल दिखाते गिरगिट सिरमौर विचित्र कहां तक बच पाएंगे इनकी कारस्तानियों से आप मुफ्त खोरी के चक्कर में,चुनें हैं आस्तीन के सांप खूब कमाया दंगा,अराजकता,अब घुट रही है सांस इस बार बचा लो प्रभु, हमको क्षमा कर देना आप दिल्ली के मालिकों ने दिल्ली की सांस फुला दी और हर दस मिनट पर विज्ञापन में अपना बेशर्म प्रचार बेहयाई की अनन्त सीमा तक कर रहे हैं।पांच वर्षों
Shayar E Badnaam
प्यार को खरीद ले इतनी किसी की औकात नहीं, इसे वो ही खरीदे जिसकी कोई जात नहीं.... ख़रीदार (Buyer) Translation: Hate is sold for two cents in my village, and none’s the wiser buyer of love. #YourQuoteAndMine Collaborating
कवि राहुल पाल 🔵
मुझे अब किसी शख्श पर रहा ऐतबार नही ©कवि राहुल पाल मुझे अब किसी शख़्स पर रहा ऐतबार नही , सज़ा वो भी दे रहे जिनका मैं गुनहगार नही ।। अंगुलियां उठाते रहे लोग मेरी सदाक़त पर , उसके सिवा दिल किसी का