Find the Latest Status about बजन घटायें from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, बजन घटायें.
Dalip Kumar Deep
Shayer tera ©Dalip Kumar Deep 😊☁️ कभी तेरे शहर में भी उठी होंगी घटायें☁️☁️
Dharminder Dhiman
बात में बजन कितना हैं, सिर्फ़, दिमाग के तराजु से ही तोला जा सकता है.! बात में बजन कितना हैं, सिर्फ़,
Suchita Pandey
आज चांद अपनी घटायें फैलाए हुए है, चांद की ओर देखते ही मुझे लगा मानो वो मुझे अपनी बाहों में समाए हुए हैं। मेरे दिल ने कहा.. तू वही चांद है जो चाहत है मेरी, जिसे देखने का एक भी मौका गवाना न चाहूं मैं.. तुझे दूर से चाहना मंजूर है मुझे, पर तुझे खोना मेरी चाहत नहीं।। #चाँद #चाहत #मेरेएहसास #मेरेख्याल #love #suchitapandey #सुचितापाण्डेय #yqquotes आज चांद अपनी घटायें फैलाए हुए है, चांद की ओर देखते ही मु
AJAY VERMA
कल मुझे राहा में चांद मेरा मिला दुधिया दूधिया ये बदन हो गया थोड़ा मैंने कहा थोड़ा उसने कहा हल्का हल्का सा दोनों का मन हो गया फिर अचानक ही ठंडी हवाएं चलती जो पानी बरसने का संकेत था कितनी बारिश हुई कुछ पाता ना चला इतना तन का ये झुलसा हुआ रेत था कौन वर्षा था और कौन भीगा बहुत पियासे अध्रो का बस आचमन हो गए मुदातो से जो कालिया खिली ही नहीं पांखुरी खुल अब मुस्कराने लगी देखकर बबुलो के घर रोना दे नगफनिया मेहेदी रचाने लगी शख भी झुक गई सांस भी रुक गई इतना मदहोश मेरा चमन हो गया बात ही बात में सांझ होने लगी रातरानी की कुछ टेहनिया हिल गई हाथ जैसे ही बढ़ाया मैंने इस शहर की सब बतिया जल गई ढेर से सपने है नींद आती नहीं मेरी पलकों पे कितना बजन हो गया कल मुझे राहा में चांद मेरा मिला दुधिया दूधिया ये बदन हो गया थोड़ा मैंने कहा थोड़ा उसने कहा हल्का हल्का सा दोनों का मन हो गया फिर अचानक ही ठ
यशवंत कुमार
आयी जो खिड़की में तु शाम को खिड़की में तु आयी जो नज़र! हो गई चंद लम्हों में सबको ही ख़बर!! तुझे देख कर हवाएँ चलने लगीं! तेरे केशुओं में बैठ वो मचलने लगीं!! मानो शांत समुद्र में उठने लगी उर्मियाँ! छाने लगी घटायें भी इसी दरमियाँ!! नज़रें मेरी थीं भौंचक ये देखकर! तु अपने ही धुन में खड़ी बेख़बर!! मेघ भी अचानक ही गरजने लगे! तेरे दीदार को वो चमकने लगे!! Read Full Poem in Caption.. आयी खिड़की में तु शाम को खिड़की में तु आयी जो नज़र! हो गई चंद लम्हों में सबको ही ख़बर!! तुझे देख कर हवाएँ चलने लगीं! तेरे केशुओं में ब
AK__Alfaaz..
सुनो माँ, आप उस, पवित्र तुलसी जैसी हो, जो घर के आँगन को, अपनी निश्छल पवित्रता से, पवित्र कर देती हैं, माँ, आपका भोर भये उठकर, उस पावन तुलसी को, अर्घ्य अर्पण करना, आपकी मृदु शालीनता, परिलक्षित करता है, माँ, सुनो माँ, आप उस, पवित्र तुलसी जैसी हो, जो घर के आँगन को, अपनी निश्छल पवित्रता से, पवित्र कर देती हैं, माँ, आपका भोर भये उठकर,
#mai_bekhabar
(पूरी कविता अनुशीर्शक् मे ज़रूर पढ़े 🙏) — % & //वो चार दिन// अबके सावन.. जब तुमसे दूर हुए कैसे बताए...कितने मजबूर हुए एक सावन मेरे अंदर ही बरसा तेरे मिलन को रोम रोम तरसा
Rahul ( अवध )
आशाओं की लहरे चमक रही है, घटायें देखो बरस रही है। न् जाने क्या उन्माद सूरज पर छा रहा है, किरणे विश्वास की बरसा रहा है। न जाने कौन सी ऋतू आ रही है, सृजन के बीज बोते जा रही है। जरा सुनो सन्देश क्या वो ला रही है, करो हर कल्पना साकार बतला रही है। अँधेरा था जो वो ढल रहा अब, ज्योति उन्नित की जगमगा रही है। दिशा हर विजय गीत गा रही है, विजयपथ सुनोजित किये जा रही है। करो कोशिशों का प्रहार अब तुम, करो खुद की जय जय कर अब तुम ~अवध आशाओं की लहरे चमक रही है, घटायें देखो बरस रही है। न् जाने क्या उन्माद सूरज पर छा रहा है, किरणे विश्वास की बरसा रहा है। न जाने कौन सी ऋतू आ
दि कु पां
नव सृजन हेतु खुद के सौंदर्य, खुबसूरती की आहुति तक दे देती है नारी.. पुजनीय इसलिए ही है नारी.. प्राकृतिक रूप से हर माने में पुरुष से श्रेष्ठ.. प्यारे_पुरुष क्या तुम्हें याद है कि शादी की शुरुआत में लड़की की शरीर कितना सुंदर... चिकना... और मोहक था !!! वो अभी भी वही सुंदर महिला हैं जि
Prerit Modi सफ़र
शहर जल रहा था धुआँ-धुआँ लोग मचल रहे थे संभल-संभल तपिश बड़ रही थी रफ्ता-रफ्ता लोग मर रहे थे पिघल-पिघल अब्र से जागी आस रहम-रहम घटायें छा गयी घनी-घनी फिर बिजली कड़की कड़क-कड़क बादलों का टूटा सब्र-सब्र बरसा पानी हर आंगन-आंगन जलता शहर बचा-बचा फिर आयी बहार गली-गली फूल खिलें कली-कली शहर जल रहा था धुआँ-धुआँ लोग मचल रहे थे संभल-संभल तपिश बड़ रही थी रफ्ता-रफ्ता लोग मर रहे थे पिघल-पिघल अब्र से जागी आस रहम-रहम घटायें छा गयी घन