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uvsays

कोशिश करो, घबराओ मत, गलतियों के पायदान पर अस्तित्व का निर्माण होता है; पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए !🎉💞🧘 #KeepTrying #mistakesarelessons r #Thoughts #Instagram #Hindi #parchai #uvsays #vedsatwa #repitition_not_allowed

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mute video

Alok Vishwakarma "आर्ष"

"बीज की कहानी" "The Story of A Seed" बीजारोपण की पुनरावृत्ति की एक अनुपम कृति.. काव्यात्मक नाद से परिपूर्ण.. Speechless Hence.. Much Love. #naturelover #lovequotes #yqbaba #yqdidi #CycleOfLife #lifenotes #vrindasays #alokstates

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धरती में रोपे बीज, बीज के भीतर सोये हम ।
हम करते नाद सुनो जलकण,
जलकण करता धारण क्षण-क्षण ।।
क्षण-क्षण में बीत गया एक वर्ष, वर्ष में बीज बने पौधे ।
पौधे में खिली हुई कोंपल, कोंपल के अंदर पलता फल ।।
फल टूटा आया मेरे हाथ, हाथ से कहता दिल की बात ।
बात सुनकर मैं लिखता काव्य, काव्य शब्दों से बहता रस ।।
रस पी कर मनुवृन्दा मन मस्त, मस्त हो छेड़ सुरों का राग ।
राग से बहता प्रेम पराग, पराग हो जैसे कोई फूल ।।
फूल बनते खुशियों का मूल, मूल जड़ चेतन के ईश्वर ।
ईश्वर भरते प्रकृति में प्राण, प्राण बीजारोपण सन्धान ।। "बीज की कहानी"
"The Story of A Seed"

बीजारोपण की पुनरावृत्ति की एक अनुपम कृति..
काव्यात्मक नाद से परिपूर्ण..

Speechless Hence..
Much Love.

Poet Shivam Singh Sisodiya

https://youtu.be/TtbQbfI4Ozc किन्हीं बीते हुए क्षणों जो प्रिय व्यक्ति से पुनर्मिलन या विछोह की पुनरावृत्ति की मार्मिक अनुभूति करवाते हैं, #UGIA

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https://youtu.be/TtbQbfI4Ozc


किन्हीं बीते हुए क्षणों जो प्रिय व्यक्ति से पुनर्मिलन या विछोह की पुनरावृत्ति की मार्मिक अनुभूति करवाते हैं,

Mahfuz nisar

लिखते समय हम हमारे नहीं रहते, कुछ ऐसा होता है कि सामने एक आदमी तो कभी औरत बैठ कर ठीक बगल से मेरे कान में फुसफुसाते हैं और मैं पूरा ध्यान टाइ #Hindidiwas

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लिखते समय हम हमारे नहीं रहते,
कुछ ऐसा होता है कि कोई आदमी तो कभी कोई औरत बैठ कर ठीक बगल से मेरे कान में फुसफुसाते हैं और मैं पूरा ध्यान टाइप करने पर केंद्रित कर देता हूँ,लेकिन अचानक से वो उठ कर चले जाते हैं और मैं ऐतराज़ नहीं करता,
आगे कभी लिखने का सोच कर टाइप राइटर को गिलाफ से ढँक कर छोड़ देता हूँ,
फिर यही प्रक्रिया ख़ुद ही कुछ सेकंड,कभी कुछ मिनट तो कभी कुछ घंटे,दिन,महीने तो कभी सालों बाद अपनी पुनरावृत्ति करती है।

©mahfuz nisar

©Mahfuz nisar लिखते समय हम हमारे नहीं रहते,
कुछ ऐसा होता है कि सामने एक आदमी तो कभी औरत बैठ कर ठीक बगल से मेरे कान में फुसफुसाते हैं और मैं पूरा ध्यान टाइ

Sunita D Prasad

#वर्तमान के अतिरिक्त.... जीवन पर अनेक दर्शनशास्त्र तब कम पड़ जाते हैं जब अतीत के विकल्प के अभाव में #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo

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#वर्तमान के अतिरिक्त....

जीवन पर
अनेक दर्शनशास्त्र
तब कम पड़ जाते हैं
जब अतीत के 
विकल्प के अभाव में
वर्तमान में बढ़ती रिक्तता से
स्मृतियों की आमद
बढ़ जाती है।
.
.
मोक्ष 
देह और आत्मा से अधिक
इन्हीं स्मृतियों से 
छूटने का प्रयास रहा।
विशेषतः
जिनकी पुनरावृत्ति से
पीड़ा बार-बार
मँझकर
उभर आती हो।
.
.
गत 
गुजरकर भी 
कहीं नहीं जाता
आगत  ढाँढ़स बँधाता तो है 
पर इस सत्य के साथ
.
.
कि
.
.
'वर्तमान के अतिरिक्त
कोई विकल्प नहीं..!!'
--सुनीता डी प्रसाद💐💐







 
#वर्तमान के अतिरिक्त....

जीवन पर
अनेक दर्शनशास्त्र
तब कम पड़ जाते हैं
जब अतीत के 
विकल्प के अभाव में

Mahfuz nisar

लिखते समय हम हमारे नहीं रहते, कुछ ऐसा होता है कि सामने एक आदमी तो कभी औरत बैठ कर ठीक बगल से मेरे कर में फुसफुसाते हैं और मैं पूरा ध्यान टाइप #story

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लिखते समय हम हमारे नहीं रहते,
कुछ ऐसा होता है कि सामने एक आदमी तो कभी औरत बैठ कर ठीक बगल से मेरे कर में फुसफुसाते हैं और मैं पूरा ध्यान टाइप करने पर केंद्रित कर देता हूँ,फिर कभी भी अचानक वो उठ कर चले भी जाते हैं और मैं ऐतराज़ नहीं करता और आगे कभी लिखने का सोच कर,अपनी टाइप राइटर को गिलाफ से ढँक कर छोड़ देता हूँ, और फिर यही प्रक्रिया ख़ुद ही कुछ सेकंड,कभी कुछ मिनट तो कभी कुछ घंटे,दिन,महीने,बाद अपनी पुनरावृत्ति करती है। 
✍महफूज़ लिखते समय हम हमारे नहीं रहते,
कुछ ऐसा होता है कि सामने एक आदमी तो कभी औरत बैठ कर ठीक बगल से मेरे कर में फुसफुसाते हैं और मैं पूरा ध्यान टाइप

Dr Upama Singh

कर्म फल की पुनरावृत्ति सृष्टि का नियम है। हम जैसा बोते हैं वैसा ही फ़सल काटते हैं। मांँ पिता की त्याग को अनदेखा कर बेघर करना कर्म फल की पुनर #yqdidi #YourQuoteAndMine #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #ख़यालोंकीउथलपुथल #KKसवालजवाब #KKसवालजवाब50

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     कर्म फल की पुनरावृत्ति सृष्टि का नियम है। हम जैसा बोते हैं वैसा ही फ़सल काटते हैं। मांँ पिता की त्याग को अनदेखा कर बेघर करना कर्म फल की पुनर

Gopal Lal Bunker

#glal #hindipoetry #HindiPoem #hindikavita #hindipoet #yqdidi पुनरावृति पुनरावृति कीजिए तुम पढ़ते समय प्रश्न-उत्तरों की,

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पुनरावृति
***
पुनरावृति कीजिए
तुम पढ़ते समय
प्रश्न-उत्तरों की,
विचार-मंथन की,
कमजोर पहलुओं को
दूर करने के प्रयासों की,
और उन सुदृढ़ पहलुओं के
सुदृढ़ प्रयासों की,
जो तुम्हें सक्षम बना रहे हैं,
जो तुम्हें तपा रहे हैं
सोना बनाकर कुंदन बनने के लिए,

 ( Please read full in the caption )

~ Gopal 'Sahil'













 #glal #hindipoetry #hindipoem #hindikavita #hindipoet #yqdidi


पुनरावृति

पुनरावृति कीजिए
तुम पढ़ते समय
प्रश्न-उत्तरों की,

Devkaran Gandas

#प्रकृति_से_सीखो_जीवन प्रकृति की धानी चुनर को  ओढ़ धरा यूं खिली हुई है #कविता

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मेरी कविता 
" प्रकृति से सीखो जीवन "
👇👇 #प्रकृति_से_सीखो_जीवन



प्रकृति की धानी चुनर को 

ओढ़ धरा यूं खिली हुई है

Sudha Tripathi

आधुनिक स्वार्थी सोच मानो पढ़कर बिखरे हुए से अखबार की तरह उपेक्षित, असहाय बुढ़ापा फिर क्यूँकर कर हो? जो मान सम्मान भावनाओं का महत्व न समझे

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आधुनिक स्वार्थी सोच मानो पढ़कर बिखरे हुए से अखबार की तरह उपेक्षित,असहाय बुढ़ापा फिर क्यूँकर कर हो? जो मान सम्मान भावनाओं का महत्व न समझे, उस जीवन में 
कृतज्ञता फिर क्यूँकर हो?
 
विशिष्ट से बोझ बनने तक का सफर तय करते चले, ऐसी उपयोगितावादी निष्ठुर सोच के लिए
आत्मीयता फिर क्यूँकर हो? 
काश उन झुर्रियों में खुद को देखे कोई शायद "ओल्ड एज होम" की 
आवश्यकता फिर क्यूँकर हो
यदि भावनात्मक संरक्षण ना हो तो कड़ी में पिरोने वाले हाथों के प्रति, मात्र 
औपचारिकता फिर क्योंकर हो? 
तब लेखिनी कहती है.. 
बेबस-ए-निगाह की संजीदगी को अपनाते चलें, 
गर ना हो बुजुर्गता का सम्मान, निजसम्मान की अधिकारिता फिर क्यूँकर हो.. 
बे-गैरत नजरों के ख़िलाफ़ वृद्धता आत्मनिर्भर हो विवशता फिर क्यूँकर हो?
यदि प्रत्येक जीवन की संध्या सुनिश्चित है  और कालचक्र की पुनरावृत्ति स्मरण रहे
तब बेबसों का वृद्धों का तिरस्कार फिर क्योंकर हो? 

प्रकृति का सनातन-सत्य,सहज स्वीकार करते चलें, 
जीर्णक्षीर्ण,अशक्त भले ही हो काया, आत्मबल की अक्षमता फिर क्योंकर हो......

©Sudha Tripathi आधुनिक स्वार्थी सोच मानो पढ़कर बिखरे हुए से अखबार की तरह उपेक्षित, असहाय  बुढ़ापा फिर क्यूँकर कर हो?
 
जो मान सम्मान भावनाओं का महत्व न समझे
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