Find the Latest Status about सायको स्पेलिंग from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, सायको स्पेलिंग.
Rashmi Hule
महिनाभरापूर्वी आलेल्या नवीन शेजार्यांनी बंद दरवाजावर बाहेर बोर्ड लावला... "Do not ditrb" ...❌ मी दार वाजवले आणी बोललो स्पेलिंग चुकलंय... "Disturb" चे.🙄🙄 त्यांनी शेकहँड केला.म्हणाले "थँक्यू" आम्ही होम क्वारंटाईन आहोत म्हणून बोर्ड लावला आहे. 😢😢 एक महिना पहले नये आये हुये पडोसी ने दरवाजे पर बोर्ड लगाया था. मैने दरवाजा खटखटाया और कहा disturb का स्पेलिंग गलत लिखा है. उसने हाथ मिला के
yogesh atmaram ambawale
बायको बायको ग बायकोतू हैरान होती काय को, चिल्लाता हू अधून मधून समज ना मुझको सायको. माझ्यापेक्षा जास्त तू संभाळती है आई को. बायको ग बायको तू हैरान होती काय को, जो भी है तकलीफ तू सांग जरा मुझको. लवकर उठून सकाळी स्कूल मे छोडती है बच्चो को. बायको ग बायको तू हैरान होती काय को, बच्चो को सोडून परत आती घर को जेवण बनाके फीर जाती है काम को. बायको ग बायको तू हैरान होती काय को, काम से आती फीर पढाती बच्चो को लक्ष नाही पोरांवर तू चिल्लाती है मुझको. बायको रे बायको तू हैरान होती कायको, आता मै बोलता हू तू समज ले बायको, समजलो मी जिम्मेदारी तू टेन्शन लेती कायको. #बायको#पत्नी#yqdidi#yqtaai#yqmarathi#मराठी_कविता#myquotes बायको बायको ग बायको तू हैरान होती काय को, चिल्लाता हू अधून मधून समज ना मुझको सायको
yogesh atmaram ambawale
बायको बायको ग बायको,तू हैरान होती काय को, चिल्लाता हू अधून मधून,समज ना मुझको सायको. माझ्यापेक्षा जास्त तू संभाळती है आई को. बायको ग बायको,तू हैरान होती काय को, जो भी है तकलीफ तू सांग जरा मुझको. लवकर उठून सकाळी स्कूल मे छोडती है बच्चो को. बायको ग बायको,तू हैरान होती काय को, बच्चो को सोडून परत आती घर को जेवण बनाके फीर जाती है काम को. बायको ग बायको,तू हैरान होती काय को, काम से आती फीर पढाती बच्चो को, लक्ष नाही पोरांवर तू चिल्लाती है मुझको. आता मै बोलता हू तू समज ले बायको, समजलो मी जिम्मेदारी तू टेन्शन लेती कायको. एक कविता बायको साठी #collabratingwithyqtaai #withcollabratingyourquoteandmine #बायको #yqtaai #yqdidi #मराठीकविता #marathiwriter बायको बाय
sandy
#बायको जी तुमच्यासाठी जन्म घेते ,ती बायको असते... जी स्वतःच सर्वस्व अर्पण करते ,ती बायको असते... जी आईबाप सोडून तुमच्याशी सात जन्म जोडली जा
yogesh atmaram ambawale
बायको ग बायको,तू हैरान होती काय को, चिल्लाता हू अधून मधून,समज ना मुझको सायको. माझ्यापेक्षा जास्त तू संभाळती है आई को. बायको ग बायको,तू हैरान होती काय को, जो भी है तकलीफ तू सांग जरा मुझको. लवकर उठून सकाळी स्कूल मे छोडती है बच्चो को. बायको ग बायको,तू हैरान होती काय को, बच्चो को सोडून परत आती घर को जेवण बनाके फीर जाती है काम को. बायको ग बायको,तू हैरान होती काय को, काम से आती फीर पढाती बच्चो को, लक्ष नाही पोरांवर तू चिल्लाती है मुझको. आता मै बोलता हू तू समज ले बायको, समजलो मी जिम्मेदारी तू टेन्शन लेती कायको. सुप्रभात मित्र आणि मैत्रिणीनों कसे आहात? मजेतचं असाल हो ना? आजचा विषय आहे विनोदी कविता... चला तर मग चारोळी किंवा कविता करा. #विनोदीकविता हा
Divyanshu Pathak
जब स्वच्छ भारत अभियान की पताका ले उड़े खरदूषण ! "दमा राजधानी" में तब्दील दिल्ली का और बढ़ गया प्रदूषण ! जो महक गुलाबी शर्दी की आहट सी होने वाली थी महज़ ख़याली ख़्वाब बन गए अब खून सभी लागे चूषण ! गर्द उडी और धुंआ उठा आँखों में अगन लगा बैठी ! दिल वालों के दिल के साथ फेंफडों में भी फील हो गई है धड़कन ! 😀😀😂😂🍫🌲🌼☕☕🙏 "शाम है धुआं धुंआ" सुबह
Mayank Sharma
तब कि मैं ये बात सुनाऊँ A B C D सीखने के ज़ज्बात बताऊँ छोटे छोटे बच्चे हम, बड़े दिल से सीखते थे बात तब कि है जब हम पेन्सिल से लिखते थे.. पूरी कविता नीचे नासमझी से भरे पड़े खेल खेल में लड़ पड़े बचपन में सब होते बच्चे दिल से सच्चे, अकल के कच्चे तब कि मैं ये बात सुनाऊँ
Kulbhushan Arora
सुधा दी, ये सबने अपने अपने पापा को पत्र लिख कर भावुक कर दिया, आपको तो पता है जब में अतिभावुक होता हूं, आपकी गोद में सर रख कर, सुधा दी खो जाता हूं... अन्तर्मन लोक आदरणीय सुधा दी, मन तो सुधी कर के बोलने को था, सबके सामने कहना अच्छा नहीं ना। लो शाम की डाक में आपके नालायक भैया की चिट्ठी आई है। कमाल हो ना
Vishal Vaid
बंसी सब सुर त्यागे है, एक ही सुर में बाजे है हाल न पूछो मोहन का, सब कुछ राधे राधे है ज़ुबैर अली ताबिश ये हवा कैसे उड़ा ले गई आँचल मेरा यूँ सताने की तो आदत मिरे घनश्याम की थी परवीन शाकिर जिस की हर शाख़ पे राधाएँ मचलती होंगी देखना कृष्ण उसी पेड़ के नीचे होंगे बेकल उत्साही कहे जाती है ऊधौ से ये रो रो कर के हर गोपी बता अब कब सताएँगे मुझे मिरे किशन आख़िर अदनान हामिद रौशनी ऐसी अजब थी रंग-भूमी की 'नसीम' हो गए किरदार मुदग़म कृष्ण भी राधा लगा इफ्तिखार नसीम न किसी गीत से रग़बत न शग़फ़ नग़्मों से सिर्फ़ मीरा के भजन सुनता है कान्हा दिल का लकी फारूकी हसरत कल GITANJALI ने एक बेहतरीन लेख पोस्ट किया था, उसको पढ़ते हुए मन में कई विचार आए, कई शेर याद आएं । तो सोचा आज कुछ सांझा करता हूं आप सब से।