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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
जालिम हमें हरगिज तन्हा ना समझना,हमारी हिफाजत करने वाला वो रहमान है अभी//१ आज भी उस यकता की इबादत में खड़े जिन्नो ,बशर,हूरों,मलाईक के वो कयाम है अभी//२ मां ने बचपन में मुझे जो कराई थी हिफ्ज, मुकद्दस कुरानी आयते वो मुकम्मल याद है अभी//३ मैं मां की पेशानी के बोसे की लज़्ज़त उसे क्या बताऊँ,जो इस उम्दा नेमत से अनजान है अभी//४ फिजूल है तेरा खालिक के बाबत सोचना,के खालिके कायनात का ज़ालिम पर जलाल है अभी//५ अब मोहब्बत की तरफ़ लौट आओ,के तुम्हारी नफरत को मिटाने वाला वो मेहरबान है अभी//६ "शमा" पर कहरे तशदूद की सोचना भी मत,तेरी हुकूमत को पलट देने वाला वो सुलतान है अभी//६ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #aaina जालिम हमें हरगिज तन्हा ना समझना,हमारी हिफाजत करने वाला वो रहमान है अभी//१ आज भी उस यकता की इबादत में खड़े जिन्नो,बशर, हूरों,मलाईक के
Nisha Singh
दिल की क़िताब में, तेरी ही आयतें हैं...!! कुछ खट्टी सी, कुछ मिट्ठी सी....!! कुछ धुंधली सी, कुछ साफ़ सी....!! इश्क अधूरा सा, शिकायतें पूरी सी...!! जब तू पास नहीं था, तब भी मुझ में था....!! अब तू पास है, पर मेरे साथ नहीं....!! मेरी ख्वाईशें बारिश की, उस बूंद की तरह हैं...!! हथेली तो भिग जाती हैं, हाथ खाली ही रह जाता है ....!! भीड़ कहने को होती है, दिल तन्हा रह जाता है....!! दिल की क़िताब में, तेरी ही आयतें हैं....!! *निशा सिंह* ©Nisha Singh #तेरी आयतें #
singer narendra charan jaisalmer
आयतें नहीं पढ़ी मैंने बस तुमको पढ़ लिया, दिल की हर चौपाई में बस तुमको गढ़ लिया.! यूँ तो नगीनें कम नहीं थे गुलिस्तां में साहब, हमनें दिल-ए-तख्त में कोहिनूर जढ़ लिया..!! आयतें नहीं पढ़ी मैंने बस तुमको पढ़ लिया, दिल की हर चौपाई में बस तुमको गढ़ लिया...! ! !
Shree
ख़ामोश हैं लब कि आज तुमको सुना नही, आरज़ू ने हमारी कल ख्वाब रात बुना नही, लफ्ज़ मेरे साथ मेरे आज कुछ रुठे-रुठे से, कि आयतें भी बे-आवाज़ ही बैठ पढ़ते रहे, सजदें महबूब की गलियों में खामोशियों के, मलंग वायदों की यादों में यूं ही जीते रहे...! ढुंढती है बेकरारी में आंखें ख़ुमार में डूबे-डूबे, कर देंगी बेशुमार दौलत निसार सब शोहरतें, सनम, तुम्हारे करीब जन्नत की सी फिजा होगी, सोच-सोच मचले, शब-ए-वस्ल क्या हंसी होगी! दीदार की तलब, अहा! लगता जल्द ही पूरी होगी, आखिर ये दूरी की बेचैनी थोड़ी तो उधर भी होगी! First attempt of a kind🤗 ख़ामोश हैं लब कि आज तुमको सुना नही, आरज़ू ने हमारी कल ख्वाब रात बुना नही, लफ्ज़ मेरे साथ मेरे आज कुछ रुठे-रुठे स
pk Arun Kumare Daware
गालिब साहेब ने अरु को यूं हे की फरमाया, नब्ज यू किसी को बया नही करते। तुम को कितनी बार समझाओ तेरी हसरत नही है अब। वो किसी ओर में लगी हे, फुरसत नहीं हे आज। तू थोड़ा ओर गिर,गिर के काफिर तू गिर, पता तो चले, कोन अपना हे कोन पराया। वो भूल के लगा बैठी, आज कल शहर की दुकान में , कंचो के बाजार मे अरू वो भी तेरी आयते पढ़ेगी। कल तक पहचाने से इंकार करती थीं। थोड़ा और सफल तो हो जा। ©pk Arun Kumare Daware गालिब साहेब ने अरु को यूं हे की फरमाया, नब्ज यू किसी को बया नही करते। तुम को कितनी बार समझाओ तेरी हसरत नही है अब। वो किसी ओर में लगी हे, फुर
Deepak Kanoujia
ख़ामोशी इबतदा है फकीरी की, सूफीनामे की! फकीरी इन्तहा है इश्क़ की, रब से राब्ते की|| मेरे खामोश लबों का शोर हो तुम मुझ फ़कीर से पढ़ी जाने वाली आयतें हो तुम... #deepakkanoujia #pradhunik #modishtro सूफीनामे = Saintliness
अल्पेश सोलकर
बाप म्हणतो... तुम्हाला सगळे आयते मिळते आहे... मातीत राबला असता.. की कळले असते... आव आणूच नको, पडेल तेव्हा करेन शेती नांगर धरला असता.. की कळले असते... बाप म्हणतो... तुम्हाला सगळे आयते मिळते आहे... मातीत राबला असता.. की कळले असते... आव आणूच नको, पडेल तेव्हा करेन शेती नांगर धरला असता.. की कळ
अशेष_शून्य
©..... कुछ हिस्से, किस्से कुछ ख़्वाब, कुछ ख्वाहिशें ; कुछ किश्तें , कुछ रिश्ते अधूरे रहें तो बेहतर है।। कुछ हसरतें , इबादतें कुछ इनायतें , कुछ आयत
Namit Raturi
"धर्म ना होता तो क्या होता" "धर्म ना होता तो क्या होता" कहीं मस्जिद ना होती,कहीं मंदिर ना होता, माथे पे तिलक ना होता,टोपी से ओढा सिर ना होता, सोचता हूँ धर्म ना होता