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shyam ji prajapati
इस दिल को समझना किसी को आता नही है, मेरे भीतर कैसी उथल पुथल है, किसी को समझाऊं तो समझाऊं कैसे। कभी तो खुश हो जाता है, दिल किसी की छोटी बात पर, कभी लग जाती है चोट, किसी को बताऊं तो बताऊं कैसे ।। मेरा हमदर्द लोग बताते हैं, खुद को इस कदर, मगर दर्द में कितना हुँ, ये उनको समझना नही आता। मर सा जाता हूँ कभी कभी, इस बनावटी दुनिया को देख कर, मैं भी एक इंसान ही हुँ, किसी को बताऊं तो बताऊं कैसे।। खुशियों की तलाश में बस भटकता ही आया हूँ हमेशा, कितना दर्द है दिल मे, समझाऊं तो समझाऊं कैसे । थोड़ा समझ बैठता हुँ किसी को अपना, आखिर दिल ही तो , इसको भी तकलीफ होती है, किसी को दिखाऊँ तो दिखाऊँ कैसे।। इस दिल को समझना किसी को आता नही है... ©shyam ji prajapati इस दिल को समझना किसी को आता नही है, मेरे भीतर कैसी उथल पुथल है, किसी को समझाऊं तो समझाऊं कैसे। कभी तो खुश हो जाता है, दिल किसी की छोटी बात प
pinki
मेरे बारे मै मुझे दुसरो से पता चलता है मेरी ताकत का खतरों से पता चलता है विकास आजकल दिखाई नही देता समाचारो और खबरों से पता चलता है समंदर भीतर घटित सारी उथल पुथल का किनारों पर खेलती लहरों से पता चलता है रस्सियों ने अंत तक धैर्य नही खोया होगा निशान लिए हुए पथरो से पता चलता है जीवन कम में भी व्यतीत हो सकता है मिटटी के बने हुए घरों से पता चलता है ©pinki समंदर भीतर घटित सारी उथल पुथल का किनारों पर खेलती लहरों से पता चलता है
Praveen Storyteller
Sona Uniyal
Bharti Vibhuti
Divya Joshi
आस की देहरी पर विश्वास का एक दीपक जलाया है, बैरी हवाएं हमेशा की तरह फिर चल पड़ी हैं मुझे अंधेरों की ओर धकेलने! कह दो इनसे बस बहुत हुआ, एक जन्म में सारी परीक्षाएं न ले! नहीं बची हिम्मत, न इच्छा अब तपकर कुंदन बनने की! मैं अय ही बनी रहूँ बस, अब यही श्रेयस्कर है। जब जब जो जो माँगा न, तब तब वो सब मिला है! पर हर बार इस तरह मिला कि उसे मांगने का अफसोस, मलाल घर कर गया चित्त में! क्योंकि वो मांगी मुरादें हर बार इस अजीब तरीके से पूरी हुई जिसके मिलने या पूरी होने पर ख़ुशी से ज्यादा तकलीफ़ मिली। इस बार कुछ वक्त माँगा था। कुछ खाली वक्त जो मेरे अंदर की खाली दरारों को भर सके जो जिम्मेदारियां खुद पर ओढ़े हुए थी, उनसे कुछ समय के लिए विराम माँगा था। जिससे आत्मचिंतन कर सकूं। नए रास्ते तलाश सकूं और सफलता के जिस मुकाम पर मैंने संघर्षों के बाद पहला कदम रखा था, उसकी अनगिनत सीढ़ियों को फतह करने के लिए बनाई अपनी रणनीति पर चल सकूँ। वह विराम, वह वक्त अब मिला। मगर इस तरह मिलेगा कभी कल्पना भी नहीं की थी। अब पुरानी जिम्मेदारियां कम हुई हैं, नई बढ़ी हैं, ढेर सारा खाली वक्त है लेकिन, चिंतन करने वाले हिस्से को चिंताओं ने घेर लिया है। इस मिले वक्त के साथ एक झंझावात, एक तूफान उपहार में मिला। जिसने पूरे जीवन मे उथल पुथल मचा दी है। अब बचा वक्त मेरे लिए नहीं सोचता। इस तूफान से निकलने के रास्ते खोजता है। और रास्ता बेहद कठिन है लंबा है। वो खाली वक्त जिंदगी की ढलती शाम में ही मिलेगा शायद उन्हीं अनगिनत जिम्मेदारियों के साथ जिनसे अभी कुछ वक्त के लिए विराम मिला है। मन के मोती 18 अप्रैल 202 ©Divya Joshi मझधार में आस की देहरी पर विश्वास का एक दीपक जलाया है, बैरी हवाएं हमेशा की तरह फिर चल पड़ी हैं मुझे अंधेरों की ओर धकेलने! कह दो इनसे बस बहुत
Ashutosh Mishra
वो शाम भी कुछ अजीब सी थी, दिल में उथल-पुथल मची हुई थी। सता रही थी गहरी पीडा मन को। जैसे जल बिन मछली तड़पे जीवन को। हृदय था दुविधाओं से भरा हुआ,,,,,,, क्या होगा,,,,,, क्या होगा अंजाम मेरे इक लौते दिल का। होते ही शाम दिल की धड़कनें बढ़ने लगी, आया उसका संदेशा,,,,,,, कहलवाया, आज मैं बहुत व्यस्त हूं,कल शाम की चाय पीने मेरे घर,, जरूर आना ☕☕🎉🎉 अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #woshaam वो शाम भी कुछ अजीब सी थी, दिल में उथल-पुथल मची हुई थी। सता रही थी गहरी पीड़ा मन को, जल बिन मछली तड़पे जैसे जीवन को। #npjototrendin
Nisheeth pandey
कविता- परछाई..... सूरज के उदय ,चांद की चांदनी तक हमसफ़र मिल गया मुझे ,मिल गई मेरी परछाई । बचपन कहता ! जवानी भी दिखाती आई ? कोई डराया ! कोई दिखाया देख तेरी परछाई उतर आई ....। बचपन के खेल-खिलौने, वो संगी-साथी बिछड़ गए भाई पर आज तक संग संग पाये , लगता है हम एक दूजे के लिये बने हैं ऐ परछाई .....। उम्र गुज़र रहीं , अपने पराये नज़रों में बसते गए बिछड़ते भी गए न जाने क्यूं तू करीब ही है कल भी आज भी शायद कल भी रहें..... । रंग बदला, रूप बदला हर शैली बदली, नियति से की इस जीवन की लड़ाई खुशियां हो या दुःख कुझ पलों के बाद छोड़ा साथ सभी ने, सबने जैसे मुझसे मेहमान गिरी निभाई ....। उथल पुथल भी होती रहीं जीवन-गाथा में, जब न सूरज था न चांद की चांदनी अपने पराये हो गए थे बेवफ़ा उस काली स्याह अंधेरे वक्त में साथ-साथ चलने वाली परछाई भी औरों की तरह हो जाती है बेवफ़ा .….…। #निशीथ ©Nisheeth pandey #Parchhai कविता- परछाई..... सूरज के उदय ,चांद की चांदनी तक हमसफ़र मिल गया मुझे ,मिल गई मेरी परछाई । बचपन कहता ! जवानी भी दिखाती आई ? कोई
Nisheeth pandey
शीर्षक-घड़ी की टिक टिक 🤔🤔🤔🤔 समय केवल घड़ी तक ही सीमित नहीं रह जाती/रह पाती। घड़ी की टिक टिक के साथ समय भिन्न भिन्न प्रकार के भाव का बीजारोपण करती है ।। तर्क से कुतर्क तक, प्रेम से घृणा तक । समय हर प्रकार के भाव का पेड़ बनाती जीवन के अंतिम छन तक।। सौंदर्य से कामवासना तक, अध्यात्म से सन्यास तक। व्यवहार से व्यभिचार तक, ज्ञान से विज्ञान तक ।। समय एक बहुत सशक्त हथियार है। समय की मार तीर तलवार से भी अधिक अचूक है ।। समय इतिहास बनाती है। लेखनी समय की लिखी इतिहास छुपा ले अगर ।। इतिहास की लेखनी मोहताज अगर कीमत की जाए तो , ऊथल पुथल मचाती है सृस्टि के धरा पर।। समय विषैला भी है। समय औषधि सा सकूँ भी है ।। समय गृहस्त का छत बनाना सिखाती है। समय सन्यास का वन भी ले जाती है ।। समय हंसाती है, गुदगुदाती भी है। समय डराती है, रातों की नींदें उड़ाती भी है ।। समय के वार बड़े कोमल, बड़े तीखे भी हो सकते हैं। समय सौम्यता है तो तीव्रता अंगार भी है ।। समय होंठों पे लाली लाती है, दिल की धड़कन धड़काती है । तो समय दिल की धड़कनें भी रोक जाती है ।। बहुत बड़ी जादूगरनी है घड़ी की टिक टिक । भांति भांति के नज़रबन्द का भ्रम पैदा करती है ।। घड़ी की टिक टिक प्रकृति का समय ही नही बताती । इंसान को कठपुतली सा टिक टिक कराती है ।। 🤔#निशीथ🤔 ©Nisheeth pandey #samay शीर्षक-घड़ी की टिक टिक 🤔🤔🤔🤔 समय केवल घड़ी तक ही सीमित नहीं रह जाती/रह पाती। घड़ी की टिक टिक के साथ समय भिन्न भिन्न प्रकार के भाव का बी
DrUsha Kushwaha
"मेरे बारे में मुझे दूसरों से पता चलता है ll मेरी ताकत का खतरों से पता चलता है ll आजकल दिखाई नहीं देता है, समाचार और खबरों से पता चलता है ll समंदर भीतर घटित सारी उथल पुथल का, किनारे पर खेलती लहरों से पता चलता है ll रस्सियों ने अंत तक धेर्य नहीं खोया होगा, निशान लिए हुए पत्थरों से पता चलता है ll जीवन कम में भी व्यतीत हो सकता है, मिट्टी के बने हुए घरों से पता चलता है ll" 📷 के लिए संबंधित मालिक को श्रेय एवं धन्यवाद ! ©DrUsha Kushwaha "मेरे बारे में मुझे दूसरों से पता चलता है ll मेरी ताकत का खतरों से पता चलता है ll आजकल दिखाई नहीं देता है, समाचार और खबरों से पता चलता