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Best गणतंत्रदिवस2022 Shayari, Status, Quotes, Stories

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Krish Vj

देखा जब से तुम्हें, सुहाने सारे नज़ारे हो गए 
हम इस इश्क़ में सिर्फ़ तुम्हारे दीवाने हो गए 

ख़्वाब, ख़्याल व आरज़ू जुस्तजू सब में तुम 
ख़ुद को भूल गए, इस जग से बेगाने हो गए 

ग़ज़ब का हुस्न और बेहिसाब सादगी में तुम 
देख के तुम्हें हम तो मय बिन मस्ताने हो गए 

सुबह की किरण हो या शाम की लाली 'प्रिय'
भूले बिसरे अब तो सारे मेरे अफ़साने हो गए 

वक़्त थम गया, दिल थाम कर निहारते सूरत
रब सा तेरा प्रेम, नतमस्तक ये ज़माने हो गए  पांचवी रचना :_ देखा जब से तुम्हें,

#kkkrishna_india #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #कोराकाग़ज़ #गणतंत्रभारत #गणतंत्रदिवस2022

Krish Vj

फिर क्यों ले आया वक़्त उसी मोड़ पर हसरतें कैद कफ़न में हो गई आरज़ू ने घोट लिया गला खुद का ख़्वाब की छिन ली गई आँखे दोनों फिर क्यों ले आया वक़्त उसी मोड़ पर !! फिर क्यों ले आया वक़्त उसी मोड़ पर साँसो ने बग़ावत कर दी है अब #कोराकाग़ज़ #गणतंत्रदिवस2022 #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #गणतंत्रभारत #kkkrishna_india

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"फिर क्यों लाया वक़्त उस मोड़ पर"
अनुशीर्षक में पढ़िये !!! फिर क्यों ले आया वक़्त उसी मोड़ पर 
हसरतें कैद कफ़न में हो गई 
आरज़ू ने घोट लिया गला खुद का 
ख़्वाब की छिन ली गई आँखे दोनों 
फिर क्यों ले आया वक़्त उसी मोड़ पर !! 

फिर क्यों ले आया वक़्त उसी मोड़ पर 
साँसो ने बग़ावत कर दी है अब

Krish Vj

कुछ इत्तला 'वक़्त' से हमें हो गई 
यूँ आख़िरी पल की ख़बर हो गई 

कलेजे  में 'सरसराहट' सी हो गई 
साँसे ऊपर नीचे  यह मेरी हो गई 

हर तरफ ग़म का माहौल था बस
आँख  मेरी  यह 'ग़मजदा' हो गई 

देखा उसे जब उस हाल में "दिया"
कृष्णा की रूह भी छलनी हो गई 

पकड़ा जब हाथ उसका, हाथ में 
नयन "आँसुओं" की नदी हो गई 

ना वो बोल पाई, ना मैं कह पाया 
गले से  ज़बान गायब  सी हो गई 

अंतिम शब्द  ये लड्डू और फ़िर...
वो कैद सफ़ेद  लिबास में हो गई  तीसरी रचना:_ आख़िरी वक़्त 

#collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #गणतंत्रदिवस2022 #गणतंत्रभारत #kkkrishna_india

Krish Vj

कुछ राज है, कुछ बात है इसमें...
दोस्ती का यह रिश्ता सबसे खास है 

कमियाँ वो सब दिखाते है, 
दूर करने को फ़िर बतलाते है! 

उम्र भर साथ चलना, लड़खड़ाने 
पर कदम से कदम यूँ वो मिलाते है! 

नटखट है, चंचल है, धागा दोस्ती का 
सब मन्नतों में से सबसे बढ़कर है ये!

साथ है या दूर है पर दिल के करीब है
एहसास का ये बंधन जन्नत से मशहूर है 

शरारत, नादानी और जवानी का दौर है
दिल की रगों में बहता दोस्ती का खून है  दूसरी रचना:_ दोस्ती 
#collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #कोराकाग़ज़ #गणतंत्रदिवस2022 #गणतंत्रभारत #kkkrishna_india

Krish Vj

माटी से प्यार करूँ मैं, 
उस पर जान निसार करूँ मैं 
वतन मेरा मेरी आन है, 
हिन्दुस्तान यह मेरी जान है 
माँ भारती के श्री चरणों में 
तन-मन-धन सब कुर्बान है ! 

ना लहू देखा, ना कफ़न देखा,
शहीदों ने सिर्फ़ 'वतन' देखा
माँ ने बड़ा किया फ़िर सौप दिया, 
भारती को, अपने लाल को 
कुर्बान हुआ, लहू-लुहान हुआ,
माँ के लिए, माँ का बेटा शहीद हुआ !! 

घायल है कुछ कण माटी के,
कुछ कण पर नज़र दुश्मन की 
कुछ पर नज़र इसके ही कणों की,
जात पात ने लूट लिया इसको 
अमीरों ने बस इसे खोखला किया
शर्मसार है आज ....
माँ भारती अपने ही लोगों से!! 

कुछ करना है, हमें कर्ज़ चुकाना है, 
इस देह के रिस्तों से भी जो है 
बड़ा वो ही रिश्ता देश से निभाना है !!!  पहली रचना:_ माटी से प्यार 
#cinemagraph 
#collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #गणतंत्रदिवस2022 #गणतंत्रभारत  #kkkrishna_india

Nitesh Prajapati

"मातृभूमि" 
माँ कहकर पुकारते जिसे,
वो सिर्फ देश नहीं,
मातृत्व की पहेचान हमारी,
मिला है सौभाग्य हमे,
की जन्मभूमि ये बनी हमारी।

रीत यहां की सदा सुहानी,
मिट्टी से है प्रीत पुरानी,
एकता की मिसाल बनी है,
भारत माता कहेलाती हमारी। 

जन्म दिया वीर सपूतों को,
जो दिला पाए आज़ादी,
अहिंसा का शस्त्र उठाकर,
महान बने यहाँ गांधीजी। 

फांसी को भी गले लगाया,
जीवन अपना कुर्बान किया,
आख़िरी साँस तक डटे रहे वो,
देश की खातिर लड़े लड़ाई,
ये थे सच्चे  हिन्दुस्तानी। 

सीमाओं पर आज भी है,
हमारे वीर सिपाही,
गौरव दिलाया जिसने देश को,
हर माँ चाहे हो उसका बेटा फ़ौजी। — % & रचना क्रमांक:-5
#collabwithकोराकाग़ज़
#गणतंत्रदिवस2022
#गणतंत्रभारत
#विशेषप्रतियोगिता
#कोराकाग़ज़
#kknitesh86

Nitesh Prajapati

"बहुओं की व्यथा" 
एक स्त्री जिंदगी दो किरदार की पयाई है,
आधी जिंदगी  माँ बाप के घर एक बेटी,
और आधी जिंदगी बहू बनकर दूसरे घर, 
अपनी जिम्मेदारियों का फर्ज निभाती है। 

सुबह की चाय से लेकर,रात मे सब सो जाने के पर, 
घर की लाइट बंद करने तक की जिम्मेदारी उसके ऊपर होती है, 
अपनी इच्छाओं को मार के घर की सारी इच्छाएं पूरी करती है वह। 
घर का काम काज करने के बावज़ूद आज की नारी, 
नौकरी भी साथ में करती है और अपने पैरों पर खड़ी होती है। 

इतना सब कुछ करने के बावजूद भी समाज, 
बहुओं की कदर नहीं करता, 
बहुओं को घर का हिस्सा नहीं समझता, 
बहुओं को मान नहीं देता,
समाज में कई पति अपनी पत्नियों को तो पैरों की जूती समझता है आज भी, 
अरे ए इंसान जरा तो ख़्याल रख, आखिर वह भी तो एक बाप की ही बेटी है। 

इंसान याद रखना घर की लक्ष्मी जितनी खुश, 
उतना ही तुम्हारा घर सुखी संपन्न रहेगा हमेशा के लिए, 
बहुओं को आदर से देखो, उसकी इच्छाओं को परखो और उसे भी पूरा करो,    
क्योंकि वह सब कुछ छोड़ कर तुम्हारे विश्वास पर तुम्हारे घर पर आई है, 
उसे भी लोगों के सामने इज्ज़त दो आखिर में वह भी तो उसकी हक़दार है। 

समाज के लोगों जो बहुओं पर सितम गुजारते हैं, 
वह इतना याद कर लेना कि तुम्हारी बेटी भी किसी के घर की बहू ही तो है, 
कल ना जाने भगवान ना करें,
तुमको भी अपनी बेटी के लिए कहीं आंसू बहाने ना पड़े। 
 रचना क्रमांक :-4
#collabwithकोराकाग़ज़
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Nitesh Prajapati

"तमन्ना" 
तमन्ना तो हर एक दिल मे होती है,
फिर वो चाहे बड़ा आदमी हो या छोटा,
इच्छा ओ का पर्याय है हमारी आशा ओ से सजा ये दिल।

एक गरीब को इच्छा होती है अमीर बनने की,
अमीर को इच्छा होती है सुकुन की,
एक माँ की आश होती है बच्चे की मुस्कराहट की, 
और बच्चे को आश होती है माँ की ममता की, 
एक लेखक को आश होती है तो बेशुमार अल्फाज़ो की,
और समाज को आश होती है लोगों के साथ की।

मन की तमन्ना तो अपार जगती है ज़हन में,
हमेशा नई नई मंजिले खोजती रहती है,
मन की भावनाएं हमेशा बेकाबू होती है,
कब किसके ख़्याल में चली जाए पता ही नहीं चलता।

जितने किरदार उतनी अपार इच्छाएं,
ना जाने कितने किरदार हररोज मारे,
अपने दिल के इच्छा ओ की गठरी,
और फिर अगले दिन सुबह मे बांधे,
 नई इच्छा ओ की गठरी।
 रचना क्रमांक :-3
#collabwithकोराकाग़ज़
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#गणतंत्रभारत
#विशेषप्रतियोगिता
#कोराकाग़ज़
#kknitesh86

Nitesh Prajapati

"बारिश" 
बारिश एक ईश्वर का प्रतिसाद है,
मनमोहक भीनी भीनी मिट्टी की ख़ुशबू,
जैसे प्रेम का एक एहसास है ।

अंबर में से गिरती बारिश की  बूंदे,
 अंत में तो धरा से ही स्पर्शेगी, 
धरा और बारिश की बूंदों का मिलन भी, 
जिंदगी के दो प्रेमी के मिलन के समान ही है,
अंत में तो यह मिलाप फिर बूंदे बनकर भाप के स्वरूप मे, 
फिर से अंबर में ही समा जाएगी। 
 
लेकिन यह जो स्पर्श होगा मिलन का, 
वह जिंदगी में यादगार बना रहेगा, 
पलकों पर गिरती बारिश की बूंदे लगाता जैसे, 
आँख बंद करके जैसे उसमे ही खो जाऊँ मे, 
हल्की हल्की सी बूंदाबांदी, 
बीते लम्हों की याद दिलाती है। 

मिट्टी की वह महकती ख़ुशबू ,
मानो के आपके साँसों का एहसास, 
पेड़ की पंखुड़ियों में लटकती ओश की बूंदे,
मानो के कुदरत के सौंदर्य का आभास हो,
शाम की खिली वह सुहानी संध्या, 
मानो जैसे इंद्रधनुष के सातों रंग का एहसास, 
अंत में तो रात की लहराती हसीन चांदनी, 
और जैसे मेरे और प्रियतमा के संगम का एहसास।
 
-Nitesh Prajapati 

 रचना क्रमांक :-2
#collabwithकोराकाग़ज़
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#गणतंत्रभारत
#विशेषप्रतियोगिता
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#kknitesh86

Nitesh Prajapati

"माँ" 
टूटता तारा देखा था बचपन में माँ की आँखों से,
था वह चमकता एकदम से टिमटिमाता,
चंद लम्हों के लिए ताकता था में उसे, 
और पल भर में ग़ायब हो जाता था वो।

अपने पेट में नव महीने कितनी तकलीफ के साथ, 
एक माँ अपने बच्चे का ख्याल रखती है,
जन्म के बाद अपने दूध से पालती है उसे,
अपने मुह से खाने का निवाला छीन कर बच्चों को पहले खिलाती है,
पूरी पूरी रात जागकर लोरी गाकर बच्चों को सुलाती है।

हम चाहे कितने भी बड़े हो जाए,
एक माँ के लिए तो सिर्फ हम बच्चे ही रहते है,
स्कूल की परीक्षा हो,या नौकरी का पहला दिन,
हमेशा शक्कर खिलाकर भेजती है माँ,
पापा की डांट का डर दिखाकर, 
फिर खुद ही बचाती है पापा की डांट से,
जब बाहर निकलते थे तब हमेशा टोकटी वो माँ,
रात को जब देरी से आते हैं तब डांटती वो माँ,
ममता की मूर्त, ईश्वर की निशानी,
भोली भाली सारे जग से निराली मेरी माँ।

बचपन में माँ गोदी में बिठा कर दिखाती थी टूटता तारा,
और कहती थी इसे देखकर आँखे बंद करके, 
कोई भी मन्नत मागो तो इसे ईश्वर जरूर पूरा करता है, 
तभी हम छोटे थे, दुनियादारी का भान न था,
अगर होता तो आँख बंद करके माँ की लंबी उम्र ही मांग लेते हम। 

-Nitesh Prajapati 

  रचना क्रमांक :-1
#collabwithकोराकाग़ज़
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