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Krish Vj

@pic credit Google नित्या नींद मेें थी और उसके भाई ने आकर उसको जगा दिया, कहा दीदी आपकी शादी की बात चल रहीं है, नित्या शर्मा गई। रात को खाने के समय सब साथ में थे। बाबा ने नित्या को बोला, हमने तुम्हारी शादी तय कर दी है। बड़े घर का रिश्ता है। हमारे तो भाग खुल गए। नित्या ने माँ की तरफ देखा, माँ ने कहा लड़के का शहर में कपड़ों का बड़ा कारोबार है, राज करेगी मेरी बेटी। नित्या ने लड़के को देखने के लिए माँ से कहाँ, माँ ने कहा तेरे बाबा और मैंने देख लिया है, तेरे लिए सही है वो। नित्या #विवाह #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #KKPC27 #kkप्रीमियम #कोराकाग़ज़प्रीमियम #प्रीमियमकहानी

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कहानी :- विवाह एक सोदा? या किसी की भावनाओं 
और साथ ही जीवन का कत्ल...... @pic credit Google

          नित्या नींद मेें थी और उसके भाई ने आकर उसको जगा दिया, कहा दीदी आपकी शादी की बात चल रहीं है, नित्या शर्मा गई। रात को खाने के समय सब साथ में थे। बाबा ने नित्या को बोला, हमने तुम्हारी शादी तय कर दी है। बड़े घर का रिश्ता है। हमारे तो भाग खुल गए। नित्या ने माँ की तरफ देखा, माँ ने कहा लड़के का शहर में कपड़ों का बड़ा कारोबार है, राज करेगी मेरी बेटी।

          नित्या ने लड़के को देखने के लिए माँ से कहाँ, माँ ने कहा तेरे बाबा और मैंने देख लिया है, तेरे लिए सही है वो। नित्या

Krish Vj

मैं आज 'बचपन' की कहानी सुनाता हूँ चलो आज तुम्हें, ज़िंदगी से मिलाता हूँ हाँ माँ-बाप का लाडला मैं कहाता हूँ जीवन का आनंद, मैं उन्हीं से उठाता हूँ हँस कर जी ज़िंदगी बचपन में ''कृष्णा'' रोकर सारी 'क़ायनात' को मैं रुलाता हूँ #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #KKPC27 #kkप्रीमियम #कोराकाग़ज़प्रीमियम #प्रीमियमग़ज़ल

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ग़ज़ल :- "बचपन" 

पूर्ण ग़ज़ल अनुशीर्षक में पढ़े!! 

मैं आज  'बचपन' की कहानी सुनाता हूँ
चलो आज  तुम्हें, ज़िंदगी से मिलाता हूँ...  मैं आज  'बचपन' की कहानी सुनाता हूँ
चलो आज  तुम्हें, ज़िंदगी से मिलाता हूँ

हाँ  माँ-बाप  का लाडला   मैं कहाता हूँ
जीवन का आनंद,  मैं उन्हीं से उठाता हूँ

हँस कर जी ज़िंदगी बचपन में  ''कृष्णा''
रोकर सारी  'क़ायनात' को मैं रुलाता हूँ

Krish Vj

#collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #कोराकाग़ज़ #KKPC27 #kkप्रीमियम #कोराकाग़ज़प्रीमियम #प्रीमियमकविता #चरित्र कविता :- चरित्र मानव के क्रियाकलापों से बदलती रहती तस्वीर व्यक्तिव की है जो कर्म परहित के लिए हो, वो निशाँ असाधारण व्यक्तिव की है सरलता स्वभाव में, वाणी मेें शीतलता लिए जो जी रहा मनुज है

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कविता :- चरित्र 

मानव  के  क्रियाकलापों  से बदलती  रहती  तस्वीर  व्यक्तिव की है
जो कर्म  परहित  के लिए हो, वो निशाँ  असाधारण  व्यक्तिव की है

सरलता  स्वभाव में, वाणी मेें  शीतलता  लिए जो  जी रहा मनुज है
चरित्र के  निर्माण  की  प्रक्रिया को सहज  ही जो कर  रहा मनुज है

परवाह ना कर  लाज की जो स्त्री  साहस से करती वीरों सा कर्म है
चरित्र उसका महान, जो करती  दूसरों के चरित्र निर्माण का कर्म है

जो मानवता के गुणों को  आत्मसात कर चलता राष्ट्र निर्माण को है
पशु, पक्षी, नर  नारी सब मेें देखे  हरि  को, उसका जीवन उज्वल है

चरित्र माँ 'जानकी' सा, चरित्र भगवती 'राधा' का उच्चतम आदर्श है
हर नर में 'राम' नारी मेें 'सीता', बस जगाने का करना सबको कर्म है

जाके ह्रदय बसे 'प्रीत' सबके  लिए, दया, करुणा, सत्य कर्म संग हो
पल पल चलता  स्वभाव  सत्य का ले, ऐसे 'मनुज' को बस नमन हो  #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #कोराकाग़ज़ #kkpc27 #kkप्रीमियम #कोराकाग़ज़प्रीमियम #प्रीमियमकविता #चरित्र

कविता :- चरित्र 

मानव  के  क्रियाकलापों  से बदलती  रहती  तस्वीर  व्यक्तिव की है
जो कर्म  परहित  के लिए हो, वो निशाँ  असाधारण  व्यक्तिव की है

सरलता  स्वभाव में, वाणी मेें  शीतलता  लिए जो  जी रहा मनुज है

Nitesh Prajapati

रचना क्रमांक :-3 pic :- Google @@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ विवाह (नसीब की देन) रात का समय था, सेठ मुंशी चंद की गर्भवती पत्नी को पेट बहुत दर्द शुरू हो जाता है, सेठ अपनी गाड़ी से उसे अस्पताल पहुंचाते हैं और सेठ के घर जुड़वा परी जैसी बच्चियों का जन्म होता है। सेठ खुशी मे अपने पूरे मोहल्ले को खाने की दावत देते हैं और अपनी बेटियों का नाम अर्पिता और आकांक्षा रखते हैं। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #KKPC27 #kkप्रीमियम #कोराकाग़ज़प्रीमियम #प्रीमियमकहानी

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विवाह (नसीब की देन)
यह कहानी है अर्पिता और आकांक्षा की।
पूरी कहानी कृपया अनुशीर्षक में पढ़े।  रचना क्रमांक :-3 pic :- Google 

@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@


विवाह (नसीब की देन)

     रात का समय था, सेठ मुंशी चंद की गर्भवती पत्नी को पेट बहुत दर्द शुरू हो जाता है, सेठ अपनी गाड़ी से उसे अस्पताल पहुंचाते हैं और सेठ के घर जुड़वा परी जैसी बच्चियों का जन्म होता है। सेठ खुशी मे अपने पूरे मोहल्ले को खाने की दावत देते हैं और अपनी बेटियों का नाम अर्पिता और आकांक्षा रखते हैं।

Nitesh Prajapati

बचपन (ग़ज़ल)

आया था एक हसीन पड़ाव बचपन का,
बहुत जिया उसे हमने, पर वक़्त के साथ वह बचपन खो गया। 

ना जिम्मेदारी का बोझ, ना भविष्य की कोई चिंता, 
जब रहती थी हमारी पुतलियाँ भी सफेद,लेकिन आज वह आँखे कहीं खो गई। 

रहते थे तब हम अपनी मस्ती में ही, स्कूल जाना    
खेलना लड़ना और झगड़ना, लेकिन आज वह दोस्त कहीं खो गए। 

बचपन में भी जहांँ हमारी स्कूल थी,आज भी वही है,         
लेकिन आज मेरे बचपन की परी कहीं खो गई।

रखी है आज भी मैंने संभाल के बचपन की वह चीजें, 
वो चीज़े नहीं यादें है मेरी पर बढ़ती उम्र के साथ वो वक़्त कहीं खो गया। 

बारिश तब भी आती थी, आज भी आती है, 
लेकिन आज बारिश के साथ मेरे बचपन के काग़ज की कश्ती कहीं खो गई। 

-Nitesh Prajapati 





 रचना क्रमांक :-2

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Nitesh Prajapati

चरित्र (प्रीमियम कविता)

तुम्हारा व्यक्तित्व ही है तुम्हारा चरित्र,
तुम्हारी वाणी ही है तुम्हारी पूंजी,
तुम्हारा व्यवहार ही है तुम्हारा सच्चा गहना,
तुम्हारी धीरज ही है तुम्हारी सफलता।

तुम्हारा दूसरे इंसान के प्रति, 
व्यवहार दिखाता है तुम्हारा असली व्यक्तित्व,
और तुम्हारी नम्रता ही दर्शाती है,
तुम्हारे असली संस्कार।

रखना हमेंशा हसता चेहरा, 
रखना हमेंशा सरल स्वभाव, 
ता कि कोई इंसान तुझे अपना दर्द, 
बयां करने में हिचकिचा ना पाए। 

जुबान तो सभी के पास होती है,
किसी की तीखी तो किसी की मीठी,
लेकिन उसका सही इस्तमाल ही,
जगह बनाती है तेरी दूसरों के दिल में।

-Nitesh Prajapati  रचना क्रमांक :-

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#प्रीमियमकविता 
#विशेषप्रतियोगिता
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Durgesh Dixit

एक बार एक लड़की थी 14–15 साल की। उसके मां बाबूजी ने उसकी शादी बचपन में ही करवा दी थी। वो लड़का भी छोटा ही था, अभी स्कूल जाता था। उसको शादी का मतलब भी नही पता था। उस लड़की की सास बहुत अच्छी नहीं थी। वो पूरे दिन उस लड़की से काम करवाती और ताने मारती थी। घर के सारे काम झाड़ू पोछा बर्तन सब करती और सास की गालियां भी सुनती। उसने कई बार अपने मायके भी बताया उस बारे में पर मां ने चुप करा दिया ये कह के कि अब जो भी है ससुराल ही है तेरा #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #KKPC27 #kkप्रीमियम #कोराकाग़ज़प्रीमियम #प्रीमियमकहानी

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कहानी – बाल विवाह


बाकी कहानी नीचे कैप्शन में पढ़ें  एक बार एक लड़की थी 14–15 साल की। उसके मां बाबूजी ने 
उसकी शादी बचपन में ही करवा दी थी। वो लड़का भी छोटा ही था,
 अभी स्कूल जाता था। उसको शादी का मतलब भी नही पता था। 
उस लड़की की सास बहुत अच्छी नहीं थी। वो पूरे दिन उस लड़की 
से काम करवाती और ताने मारती थी।
घर के सारे काम झाड़ू पोछा बर्तन सब करती और सास की गालियां 
भी सुनती। उसने कई बार अपने मायके भी बताया उस बारे में पर मां 
ने चुप करा दिया ये कह के कि अब जो भी है ससुराल ही है तेरा

Dr Upama Singh

बात कुछ पुरानी नब्बे के दशक की है, जब टीवी पर हम इतवार को रंगोली और महाभारत देखने का इंतजार करते थे, मेरे मोहल्ले में बलिया जिला से शर्मा अंकल का परिवार किराए पर रहने के लिए आया। उनकी एक बेटी नविता थी जो अभी बारह पास करके कॉलेज में बीए में प्रवेश के लिए एंट्रेंस एग्जाम दिया था और एक उनसे छोटा बेटा कुमार तो अभी कक्षा चार में पढ़ता था। शर्मा अंकल डिप्टी एसपी और थोड़े गुस्से वाले थे जबकि उनकी पत्नी यानी शर्माइन आंटी बहुत खुशमिजाज और मिलनसार थी। वो हमेशा अपने पास एक पनौती पान खाने के लिए रखती थीं। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #KKPC27 #kkप्रीमियम #कोराकाग़ज़प्रीमियम #प्रीमियमकहानी #unique_upama

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विवाह
सात फेरे और सिंदूर दान 
कहानी

विवाह एक बहुत सुंदर सामाजिक बंधन है। भारतीय समाज के विवाह का एक अपना ही रौनक होता है। बचपन में हम यही समझते थे कि सब परिवार, रिश्तेदार, मोहल्ले वाले, जान पहचान वालों और बैंड बाजा बारात के उपस्थिति में विवाह होता है। लेकिन हमें उस समय ये नहीं मालूम था कि सात फेरे हम हो गए तेरे और सिंदूर लगा देना और दो लोगों का एक साथ रहना ही मुख्य विवाह कहलाता है। बाकी तो सामाजिक रीति रिवाज हैं। मेरी आज़ की कहानी कुछ इसी तथ्य पर आधारित है।
       
अनुशीर्षक में://👇👇    

          बात कुछ पुरानी नब्बे के दशक की है, जब टीवी पर हम इतवार को रंगोली और महाभारत देखने का इंतजार करते थे, मेरे मोहल्ले में बलिया जिला से शर्मा अंकल का परिवार किराए पर रहने के लिए आया। उनकी एक बेटी नविता थी जो अभी बारह पास करके  कॉलेज में बीए में प्रवेश के लिए एंट्रेंस एग्जाम दिया था और एक उनसे छोटा बेटा कुमार तो अभी कक्षा चार में पढ़ता था। शर्मा अंकल डिप्टी एसपी और थोड़े गुस्से वाले थे जबकि उनकी पत्नी यानी शर्माइन आंटी बहुत खुशमिजाज और मिलनसार थी। वो हमेशा अपने पास एक पनौती पान खाने के लिए रखती थीं।

Dr Upama Singh

बचपन
ग़ज़ल

क्या वो हसीन ज़माना था 
बचपन अपना कितना प्यारा था
हर एक बच्चे का अपना ख़ास अंदाज़ रहता था
हर एक मौसम हमारे लिए सुहाना होता था
ना रोने की वजह थी ना हँसने का कोई बहना था
बेवजह ही हर किसी से अपना बात मनवाना था
क्यूँ हम हो गए इतने बड़े इससे अच्छा तो हमारा बचपना था
अब कहां इंतज़ार रहता इतवार का हमें उसके इंतज़ार में बड़ा होना था
स्कूल जल्दी जाना घर पर देर से लौट कर आना 
दोस्तों संग हुडदंग करना याद आते ही आँखों में  खुशी के आज़ भी आंँसू आना
कभी दोस्तों संग काँचा तो कभी कबड्डी 
कभी लंगड़ी टांग तो कभी टूटे हमारी हड्डी
खेल कूद दोस्तों संग बीतता था अपना बचपन
खिला रहता था सारा दिन अपना मन
अब तो हमारी दुनिया गई है मोबाइल के बटन पर सिमट
फेसबुक वाट्सअप से अपनी दूर की दोस्ती निभाते
और अपनों और ख़ास दोस्तों के लिए आज़ हम वक्त नहीं पाते
वक्त भी खुदगर्ज़ निकला हमारा बचपन छीन जवानी दे गया
हर उम्र में पढ़ाई जिम्मेदारी की तबाही मिली
एक बचपन ही था जो हमें सही सलामत मिली

 #kkpc27 
#kkप्रीमियम 
#प्रीमियमगज़ल 
#कोराकाग़ज़ 
#collabwithकोराकाग़ज़ 
#कोराकाग़ज़प्रीमियम
#विशेषप्रतियोगिता
#yqdidi

Dr Upama Singh

चरित्र पर जब किसी इंसान पर सवाल है उठता वो इंसान टूट कर बिखर है जाता जब बात होती है अधिकार, चरित्र और सम्मान की गर्व होता देख उस इंसान जिसने सारे गुण अपने पास है रखी ये चरित्र की बात है जिसको बनाने में उम्र है गुज़र जाती यह कोई चित्र नहीं जो पर भर में है बन जाती मृदुभाषी, सौम्य, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, व्यवहारिक, सदाचार सेवा, दया, उदारता, त्याग, परोपकार और शिष्टाचार #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #KKPC27 #kkप्रीमियम #कोराकाग़ज़प्रीमियम #प्रीमियमकविता #unique_upama

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             चरित्र, चरित्रवान और चरित्रहीन
             अनुशीर्षक में://👇👇👇    

 चरित्र पर जब किसी इंसान पर सवाल है उठता
वो इंसान टूट कर बिखर है जाता
जब बात होती है अधिकार, चरित्र और सम्मान की
गर्व होता देख उस इंसान जिसने सारे गुण अपने पास है रखी 
ये चरित्र की बात है जिसको बनाने में उम्र है गुज़र जाती
यह कोई चित्र नहीं जो पर भर में है बन जाती
मृदुभाषी, सौम्य, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, व्यवहारिक, सदाचार
सेवा, दया, उदारता, त्याग, परोपकार और शिष्टाचार
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