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Poonam Suyal
सीमित साधन (चिंतन) (अनुशीर्षक में पढ़ें) सीमित साधन ज़िंदगी सबकी ऐश्वर्यपूर्ण नहीं होती। सब लोग सुख समृद्धि से परिपूर्ण हो ये सम्भव नहीं होता। आधुनिक साधनों के रहते जीवन हमारा चाहे अब बेहद आसान हो गया है। पर हर किसी को वो साधन उपलब्ध हों ये मुमकिन नहीं हो पाता। समाज में मध्यमवर्गीय परिवार भी हैं जो इन साधनों को पाने के लिए नित्य संघर्ष कर रहे हैं। अपने बच्चों को वो अच्छी शिक्षा दे सकें इसके लिए कुछ भी करके वो उनको बड़े स्कूलों में दाखिला दिलाते हैं। उनको हर वो अवसर देने की कोशिश वो करते हैं जिससे वो समाज के बीच सर ऊँचा करके चल सकें।
सीमित साधन ज़िंदगी सबकी ऐश्वर्यपूर्ण नहीं होती। सब लोग सुख समृद्धि से परिपूर्ण हो ये सम्भव नहीं होता। आधुनिक साधनों के रहते जीवन हमारा चाहे अब बेहद आसान हो गया है। पर हर किसी को वो साधन उपलब्ध हों ये मुमकिन नहीं हो पाता। समाज में मध्यमवर्गीय परिवार भी हैं जो इन साधनों को पाने के लिए नित्य संघर्ष कर रहे हैं। अपने बच्चों को वो अच्छी शिक्षा दे सकें इसके लिए कुछ भी करके वो उनको बड़े स्कूलों में दाखिला दिलाते हैं। उनको हर वो अवसर देने की कोशिश वो करते हैं जिससे वो समाज के बीच सर ऊँचा करके चल सकें।
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नाव और नदी (कविता) ज़िंदगी की उफनती हुई नदी में सब अपनी नाव खे रहे हैं जूझ रहे हैं तूफ़ानों से, किनारे तक का रस्ता ढूंढ रहे हैं हताशा को छोड़ हौसलों को अपने परवान दे रहे हैं इन आते जाते चक्रवातों से वो बेख़ौफ़ लड़ रहे हैं ऊँची नीची लहरें ले जाना चाहती हैं उन्हें साहिल से दूर मंज़िल का कुछ अता पता नहीं, वो है अभी सुदूर नाव एक दिन ज़रूर लगेगी उनकी किनारे पर उनकी हिम्मत ही है अब उनमें उनका गुरूर #collabwithकोराकाग़ज़ #kkpc28 #विशेषप्रतियोगिता #kkप्रीमियम #कोराकाग़ज़ Pic credit google
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बे-ख़ौफ़ इश्क़ (ग़ज़ल) मेरे हमदम का चेहरा आज खिला-खिला सा नज़र आता है कितना मासूम है वो जिसमें हमें खूबसूरत चाँद नज़र आता है वो लहराते हुए आकर यूँ समाए हमारे पहलू में बिल्कुल बे-ख़ौफ़ इश्क़ उनका हमको नज़र आता है ये हमारा तो कसूर नहीं कि हुई मोहब्बत उनसे हमको हमें तो अपने यार में भी बस ख़ुदा नज़र आता है मोहब्बत और ज़ंग में होता है सब कुछ जायज़ उनमें हमें बेबाक जीने का जज़्बा नज़र आता है अब नहीं परवाह हमें दुनिया के सितम की उनके साथ ही से हमको जन्नत का मंज़र नज़र आता है #collabwithकोराकाग़ज़ #kkpc28 #विशेषप्रतियोगिता #kkप्रीमियम #कोराकाग़ज़ Pic credit google
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read moreDr Upama Singh
विवाह सात फेरे और सिंदूर दान कहानी विवाह एक बहुत सुंदर सामाजिक बंधन है। भारतीय समाज के विवाह का एक अपना ही रौनक होता है। बचपन में हम यही समझते थे कि सब परिवार, रिश्तेदार, मोहल्ले वाले, जान पहचान वालों और बैंड बाजा बारात के उपस्थिति में विवाह होता है। लेकिन हमें उस समय ये नहीं मालूम था कि सात फेरे हम हो गए तेरे और सिंदूर लगा देना और दो लोगों का एक साथ रहना ही मुख्य विवाह कहलाता है। बाकी तो सामाजिक रीति रिवाज हैं। मेरी आज़ की कहानी कुछ इसी तथ्य पर आधारित है। अनुशीर्षक में://👇👇 बात कुछ पुरानी नब्बे के दशक की है, जब टीवी पर हम इतवार को रंगोली और महाभारत देखने का इंतजार करते थे, मेरे मोहल्ले में बलिया जिला से शर्मा अंकल का परिवार किराए पर रहने के लिए आया। उनकी एक बेटी नविता थी जो अभी बारह पास करके कॉलेज में बीए में प्रवेश के लिए एंट्रेंस एग्जाम दिया था और एक उनसे छोटा बेटा कुमार तो अभी कक्षा चार में पढ़ता था। शर्मा अंकल डिप्टी एसपी और थोड़े गुस्से वाले थे जबकि उनकी पत्नी यानी शर्माइन आंटी बहुत खुशमिजाज और मिलनसार थी। वो हमेशा अपने पास एक पनौती पान खाने के लिए रखती थीं।
बात कुछ पुरानी नब्बे के दशक की है, जब टीवी पर हम इतवार को रंगोली और महाभारत देखने का इंतजार करते थे, मेरे मोहल्ले में बलिया जिला से शर्मा अंकल का परिवार किराए पर रहने के लिए आया। उनकी एक बेटी नविता थी जो अभी बारह पास करके कॉलेज में बीए में प्रवेश के लिए एंट्रेंस एग्जाम दिया था और एक उनसे छोटा बेटा कुमार तो अभी कक्षा चार में पढ़ता था। शर्मा अंकल डिप्टी एसपी और थोड़े गुस्से वाले थे जबकि उनकी पत्नी यानी शर्माइन आंटी बहुत खुशमिजाज और मिलनसार थी। वो हमेशा अपने पास एक पनौती पान खाने के लिए रखती थीं।
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बचपन ग़ज़ल क्या वो हसीन ज़माना था बचपन अपना कितना प्यारा था हर एक बच्चे का अपना ख़ास अंदाज़ रहता था हर एक मौसम हमारे लिए सुहाना होता था ना रोने की वजह थी ना हँसने का कोई बहना था बेवजह ही हर किसी से अपना बात मनवाना था क्यूँ हम हो गए इतने बड़े इससे अच्छा तो हमारा बचपना था अब कहां इंतज़ार रहता इतवार का हमें उसके इंतज़ार में बड़ा होना था स्कूल जल्दी जाना घर पर देर से लौट कर आना दोस्तों संग हुडदंग करना याद आते ही आँखों में खुशी के आज़ भी आंँसू आना कभी दोस्तों संग काँचा तो कभी कबड्डी कभी लंगड़ी टांग तो कभी टूटे हमारी हड्डी खेल कूद दोस्तों संग बीतता था अपना बचपन खिला रहता था सारा दिन अपना मन अब तो हमारी दुनिया गई है मोबाइल के बटन पर सिमट फेसबुक वाट्सअप से अपनी दूर की दोस्ती निभाते और अपनों और ख़ास दोस्तों के लिए आज़ हम वक्त नहीं पाते वक्त भी खुदगर्ज़ निकला हमारा बचपन छीन जवानी दे गया हर उम्र में पढ़ाई जिम्मेदारी की तबाही मिली एक बचपन ही था जो हमें सही सलामत मिली #kkpc27 #kkप्रीमियम #प्रीमियमगज़ल #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़प्रीमियम #विशेषप्रतियोगिता #yqdidi
Dr Upama Singh
चरित्र, चरित्रवान और चरित्रहीन अनुशीर्षक में://👇👇👇 चरित्र पर जब किसी इंसान पर सवाल है उठता वो इंसान टूट कर बिखर है जाता जब बात होती है अधिकार, चरित्र और सम्मान की गर्व होता देख उस इंसान जिसने सारे गुण अपने पास है रखी ये चरित्र की बात है जिसको बनाने में उम्र है गुज़र जाती यह कोई चित्र नहीं जो पर भर में है बन जाती मृदुभाषी, सौम्य, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, व्यवहारिक, सदाचार सेवा, दया, उदारता, त्याग, परोपकार और शिष्टाचार
चरित्र पर जब किसी इंसान पर सवाल है उठता वो इंसान टूट कर बिखर है जाता जब बात होती है अधिकार, चरित्र और सम्मान की गर्व होता देख उस इंसान जिसने सारे गुण अपने पास है रखी ये चरित्र की बात है जिसको बनाने में उम्र है गुज़र जाती यह कोई चित्र नहीं जो पर भर में है बन जाती मृदुभाषी, सौम्य, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, व्यवहारिक, सदाचार सेवा, दया, उदारता, त्याग, परोपकार और शिष्टाचार
read moreTarot Card Reader Neha Mathur
कोरा काग़ज़ प्रीमियम प्रतियोगिता अंतिम चरण :- विवाह शीर्षक:- विवाह के दोराहे "कैसी बातें कर रहे हो पति हैं वो मेरे... तुम्हें मेरी मदद करनी होगी।" "हम्म्म,वो तुम्हारे पति हैं,तो मैं कौन हूं बताओ,मैं कौन हूं?" क्या उषा इस प्रश्न का उत्तर रुद्र को दे पाएगी। जिस दोराहे पर वो खड़ी है क्या वह अपना विवाह संभाल पाएगी? क्या आकाश को वो जेल से निकाल पाएगी? क्या कीमत उसे देनी होगी आकाश को बाहर निकालने के लिए? कृपया कहानी अनुशीर्षक में पढ़ें। कोरा काग़ज़ प्रीमियम प्रतियोगिता अंतिम चरण:- विवाह शीर्षक:-विवाह के दोराहे 🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵 विवाह अटूट बंधन होता है और यह बंधन में दो शक्तियों का समावेश होता है-शिव और शक्ति।यह कभी अलग नही हो सकते।किन्तु यह बात क्या सब विवाहित जोड़े समझते हैं?
कोरा काग़ज़ प्रीमियम प्रतियोगिता अंतिम चरण:- विवाह शीर्षक:-विवाह के दोराहे 🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵 विवाह अटूट बंधन होता है और यह बंधन में दो शक्तियों का समावेश होता है-शिव और शक्ति।यह कभी अलग नही हो सकते।किन्तु यह बात क्या सब विवाहित जोड़े समझते हैं?
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कोरा काग़ज़ दूसरा चरण:-ग़ज़ल शीर्षक:- बचपन ख़्वाब में जो पुराना वो बचपन दिखा फ़िर हमें खिलखिलाता वो बचपन दिखा मनचली सी वो तितली को हाथों में फिर बांध कर मुस्कुराता वो बचपन दिखा काग़ज़ी नाव को हमें बरसात में दूर तक ही बहाना वो बचपन दिखा जुगनुओं का वही चांदनी रात में झील में झिलमिलाता वो बचपन दिखा वो नदी और तालाब के 'नीर' में मौज में छपछपाता वो बचपन दिखा। KKPC27 कोरा काग़ज़ दूसरा चरण:- ग़ज़ल शीर्षक:- बचपन ख्वाब में जो पुराना वो बचपन दिखा फिर हमें खिलखिलाता वो बचपन दिखा
KKPC27 कोरा काग़ज़ दूसरा चरण:- ग़ज़ल शीर्षक:- बचपन ख्वाब में जो पुराना वो बचपन दिखा फिर हमें खिलखिलाता वो बचपन दिखा
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कोरा काग़ज़ प्रथम चरण:- कविता शीर्षक :- चरित्र स्वर्णिम विकास के लिए अच्छे चरित्र का निर्माण करो नैतिक मूल्यों को अपनाकर व्यक्तित्व का निखार करो, संस्कारों में ढलकर अपने पूर्वजों का नाम रौशन करो सहनशीलता,सेवाभाव,उदारता गुणों का विस्तार करो, शिक्षा से दृढ़ नींव गढ़कर आत्मा का सुंदर श्रृंगार करो भेदभाव मिटाकर सब धर्मों का हृदय से मान करो, नारी सा ममत्व गुण अपनाकर मानव प्रति संवेदनशील बनो करुणा,निस्वार्थ प्रेम से संबंधों में सुदृढ़ता स्थापित करो, विकट परिस्थितियों में धैर्य रखकर कनक सा खरा बनो मेहनत से ही अपने सफलता के पथ का नव निर्माण करो। कृप्या शेष कविता अनुशीर्षक में पढ़ें। KKPC27 कोरा काग़ज़ प्रथम चरण:- कविता शीर्षक:- चरित्र स्वर्णिम विकास के लिए अच्छे चरित्र का निर्माण करो नैतिक मूल्यों को अपनाकर व्यक्तित्व का निखार करो,
KKPC27 कोरा काग़ज़ प्रथम चरण:- कविता शीर्षक:- चरित्र स्वर्णिम विकास के लिए अच्छे चरित्र का निर्माण करो नैतिक मूल्यों को अपनाकर व्यक्तित्व का निखार करो,
read moreDR. SANJU TRIPATHI
बदलाव भाई के विवाह के पश्चात मीना की जिंदगी के बदलाव की कहानी कृपया अनुशीर्षक में पढ़े👇👇👇👇 बदलाव चाकू के घाव भर सकते हैं मगर शब्दों के घाव नहीं भर सकते हैं मीना बहुत ही सीधी सादी और शांत सी लड़की हुआ करती थी। मीना के घर में उसके भाई जो भी कहते थे मीना बिना कुछ सवाल जवाब किए मान लेती थी उसके पापा की पोस्टिंग ज्यादातर बाहर ही बाहर रहा करती थी और वो भी आते जाते रहते थे बाकी सब एक ही जगह रहते थे कभी उनके साथ कहीं और रहने नहीं गए इसलिए कभी उनका बहुत ज्यादा सहयोग नहीं मिला और भाई को ही अपने पिता का दर्जा देकर उनकी बात मानने लगी मीना ने कभी उनकी किसी बात पर कोई सवाल नहीं उठाया उसे लगता था
बदलाव चाकू के घाव भर सकते हैं मगर शब्दों के घाव नहीं भर सकते हैं मीना बहुत ही सीधी सादी और शांत सी लड़की हुआ करती थी। मीना के घर में उसके भाई जो भी कहते थे मीना बिना कुछ सवाल जवाब किए मान लेती थी उसके पापा की पोस्टिंग ज्यादातर बाहर ही बाहर रहा करती थी और वो भी आते जाते रहते थे बाकी सब एक ही जगह रहते थे कभी उनके साथ कहीं और रहने नहीं गए इसलिए कभी उनका बहुत ज्यादा सहयोग नहीं मिला और भाई को ही अपने पिता का दर्जा देकर उनकी बात मानने लगी मीना ने कभी उनकी किसी बात पर कोई सवाल नहीं उठाया उसे लगता था
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