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Best KKPC27 Shayari, Status, Quotes, Stories

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Dr Upama Singh

बात कुछ पुरानी नब्बे के दशक की है, जब टीवी पर हम इतवार को रंगोली और महाभारत देखने का इंतजार करते थे, मेरे मोहल्ले में बलिया जिला से शर्मा अंकल का परिवार किराए पर रहने के लिए आया। उनकी एक बेटी नविता थी जो अभी बारह पास करके कॉलेज में बीए में प्रवेश के लिए एंट्रेंस एग्जाम दिया था और एक उनसे छोटा बेटा कुमार तो अभी कक्षा चार में पढ़ता था। शर्मा अंकल डिप्टी एसपी और थोड़े गुस्से वाले थे जबकि उनकी पत्नी यानी शर्माइन आंटी बहुत खुशमिजाज और मिलनसार थी। वो हमेशा अपने पास एक पनौती पान खाने के लिए रखती थीं।

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विवाह
सात फेरे और सिंदूर दान 
कहानी

विवाह एक बहुत सुंदर सामाजिक बंधन है। भारतीय समाज के विवाह का एक अपना ही रौनक होता है। बचपन में हम यही समझते थे कि सब परिवार, रिश्तेदार, मोहल्ले वाले, जान पहचान वालों और बैंड बाजा बारात के उपस्थिति में विवाह होता है। लेकिन हमें उस समय ये नहीं मालूम था कि सात फेरे हम हो गए तेरे और सिंदूर लगा देना और दो लोगों का एक साथ रहना ही मुख्य विवाह कहलाता है। बाकी तो सामाजिक रीति रिवाज हैं। मेरी आज़ की कहानी कुछ इसी तथ्य पर आधारित है।
       
अनुशीर्षक में://👇👇    

          बात कुछ पुरानी नब्बे के दशक की है, जब टीवी पर हम इतवार को रंगोली और महाभारत देखने का इंतजार करते थे, मेरे मोहल्ले में बलिया जिला से शर्मा अंकल का परिवार किराए पर रहने के लिए आया। उनकी एक बेटी नविता थी जो अभी बारह पास करके  कॉलेज में बीए में प्रवेश के लिए एंट्रेंस एग्जाम दिया था और एक उनसे छोटा बेटा कुमार तो अभी कक्षा चार में पढ़ता था। शर्मा अंकल डिप्टी एसपी और थोड़े गुस्से वाले थे जबकि उनकी पत्नी यानी शर्माइन आंटी बहुत खुशमिजाज और मिलनसार थी। वो हमेशा अपने पास एक पनौती पान खाने के लिए रखती थीं।

Dr Upama Singh

बचपन
ग़ज़ल

क्या वो हसीन ज़माना था 
बचपन अपना कितना प्यारा था
हर एक बच्चे का अपना ख़ास अंदाज़ रहता था
हर एक मौसम हमारे लिए सुहाना होता था
ना रोने की वजह थी ना हँसने का कोई बहना था
बेवजह ही हर किसी से अपना बात मनवाना था
क्यूँ हम हो गए इतने बड़े इससे अच्छा तो हमारा बचपना था
अब कहां इंतज़ार रहता इतवार का हमें उसके इंतज़ार में बड़ा होना था
स्कूल जल्दी जाना घर पर देर से लौट कर आना 
दोस्तों संग हुडदंग करना याद आते ही आँखों में  खुशी के आज़ भी आंँसू आना
कभी दोस्तों संग काँचा तो कभी कबड्डी 
कभी लंगड़ी टांग तो कभी टूटे हमारी हड्डी
खेल कूद दोस्तों संग बीतता था अपना बचपन
खिला रहता था सारा दिन अपना मन
अब तो हमारी दुनिया गई है मोबाइल के बटन पर सिमट
फेसबुक वाट्सअप से अपनी दूर की दोस्ती निभाते
और अपनों और ख़ास दोस्तों के लिए आज़ हम वक्त नहीं पाते
वक्त भी खुदगर्ज़ निकला हमारा बचपन छीन जवानी दे गया
हर उम्र में पढ़ाई जिम्मेदारी की तबाही मिली
एक बचपन ही था जो हमें सही सलामत मिली

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Dr Upama Singh

चरित्र पर जब किसी इंसान पर सवाल है उठता वो इंसान टूट कर बिखर है जाता जब बात होती है अधिकार, चरित्र और सम्मान की गर्व होता देख उस इंसान जिसने सारे गुण अपने पास है रखी ये चरित्र की बात है जिसको बनाने में उम्र है गुज़र जाती यह कोई चित्र नहीं जो पर भर में है बन जाती मृदुभाषी, सौम्य, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, व्यवहारिक, सदाचार सेवा, दया, उदारता, त्याग, परोपकार और शिष्टाचार

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             चरित्र, चरित्रवान और चरित्रहीन
             अनुशीर्षक में://👇👇👇    

 चरित्र पर जब किसी इंसान पर सवाल है उठता
वो इंसान टूट कर बिखर है जाता
जब बात होती है अधिकार, चरित्र और सम्मान की
गर्व होता देख उस इंसान जिसने सारे गुण अपने पास है रखी 
ये चरित्र की बात है जिसको बनाने में उम्र है गुज़र जाती
यह कोई चित्र नहीं जो पर भर में है बन जाती
मृदुभाषी, सौम्य, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, व्यवहारिक, सदाचार
सेवा, दया, उदारता, त्याग, परोपकार और शिष्टाचार

Tarot Card Reader Neha Mathur

कोरा काग़ज़ प्रीमियम प्रतियोगिता अंतिम चरण:- विवाह शीर्षक:-विवाह के दोराहे 🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵🌺🏵 विवाह अटूट बंधन होता है और यह बंधन में दो शक्तियों का समावेश होता है-शिव और शक्ति।यह कभी अलग नही हो सकते।किन्तु यह बात क्या सब विवाहित जोड़े समझते हैं?

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कोरा काग़ज़ प्रीमियम प्रतियोगिता
अंतिम चरण :- विवाह
शीर्षक:- विवाह के दोराहे

"कैसी बातें कर रहे हो पति हैं वो मेरे... 
तुम्हें मेरी मदद करनी होगी।"

"हम्म्म,वो तुम्हारे पति हैं,तो मैं कौन हूं बताओ,मैं कौन हूं?"

क्या उषा इस प्रश्न का उत्तर रुद्र को दे पाएगी।
जिस दोराहे पर वो खड़ी है 
क्या वह अपना विवाह संभाल पाएगी?

क्या आकाश को वो जेल से निकाल पाएगी?
क्या कीमत उसे देनी होगी आकाश को बाहर निकालने के लिए?

कृपया कहानी अनुशीर्षक में पढ़ें। कोरा काग़ज़ प्रीमियम प्रतियोगिता

अंतिम चरण:- विवाह
शीर्षक:-विवाह के दोराहे

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विवाह अटूट बंधन होता है और यह बंधन में दो शक्तियों का समावेश होता है-शिव और शक्ति।यह कभी अलग नही हो सकते।किन्तु यह बात क्या सब विवाहित जोड़े समझते हैं?

Tarot Card Reader Neha Mathur

KKPC27 कोरा काग़ज़ दूसरा चरण:- ग़ज़ल शीर्षक:- बचपन ख्वाब में जो पुराना वो बचपन दिखा फिर हमें खिलखिलाता वो बचपन दिखा

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कोरा काग़ज़
दूसरा चरण:-ग़ज़ल
शीर्षक:- बचपन

ख़्वाब में जो पुराना वो बचपन दिखा
फ़िर हमें खिलखिलाता वो बचपन दिखा

मनचली सी वो तितली को हाथों में फिर
बांध कर मुस्कुराता वो बचपन दिखा

काग़ज़ी नाव को हमें बरसात में
दूर तक ही बहाना वो बचपन दिखा

जुगनुओं का वही चांदनी रात में
झील में झिलमिलाता वो बचपन दिखा

वो नदी और तालाब के 'नीर' में
मौज में छपछपाता वो बचपन दिखा। KKPC27
कोरा काग़ज़
दूसरा चरण:- ग़ज़ल
शीर्षक:- बचपन

ख्वाब में जो पुराना वो बचपन दिखा
फिर हमें खिलखिलाता वो बचपन दिखा

Tarot Card Reader Neha Mathur

KKPC27 कोरा काग़ज़ प्रथम चरण:- कविता शीर्षक:- चरित्र स्वर्णिम विकास के लिए अच्छे चरित्र का निर्माण करो नैतिक मूल्यों को अपनाकर व्यक्तित्व का निखार करो,

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कोरा काग़ज़
प्रथम चरण:- कविता
शीर्षक :- चरित्र 

स्वर्णिम विकास के लिए अच्छे चरित्र का निर्माण करो
नैतिक मूल्यों को अपनाकर व्यक्तित्व का निखार करो,

संस्कारों में ढलकर अपने पूर्वजों का नाम रौशन करो
सहनशीलता,सेवाभाव,उदारता गुणों का विस्तार करो, 

शिक्षा से दृढ़ नींव गढ़कर आत्मा का सुंदर श्रृंगार करो
भेदभाव मिटाकर सब धर्मों का हृदय से मान करो, 

नारी सा ममत्व गुण अपनाकर मानव प्रति संवेदनशील बनो
करुणा,निस्वार्थ प्रेम से संबंधों में सुदृढ़ता स्थापित करो, 

विकट परिस्थितियों में धैर्य रखकर कनक सा खरा बनो
मेहनत से ही अपने सफलता के पथ का नव निर्माण करो।

कृप्या शेष कविता अनुशीर्षक में पढ़ें। KKPC27
कोरा काग़ज़
प्रथम चरण:- कविता
शीर्षक:- चरित्र

स्वर्णिम विकास के लिए अच्छे चरित्र का निर्माण करो
नैतिक मूल्यों को अपनाकर व्यक्तित्व का निखार करो,

DR. SANJU TRIPATHI

बदलाव चाकू के घाव भर सकते हैं मगर शब्दों के घाव नहीं भर सकते हैं मीना बहुत ही सीधी सादी और शांत सी लड़की हुआ करती थी। मीना के घर में उसके भाई जो भी कहते थे मीना बिना कुछ सवाल जवाब किए मान लेती थी उसके पापा की पोस्टिंग ज्यादातर बाहर ही बाहर रहा करती थी और वो भी आते जाते रहते थे बाकी सब एक ही जगह रहते थे कभी उनके साथ कहीं और रहने नहीं गए इसलिए कभी उनका बहुत ज्यादा सहयोग नहीं मिला और भाई को ही अपने पिता का दर्जा देकर उनकी बात मानने लगी मीना ने कभी उनकी किसी बात पर कोई सवाल नहीं उठाया उसे लगता था

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बदलाव 

भाई के विवाह के पश्चात मीना की जिंदगी के बदलाव की कहानी 
कृपया अनुशीर्षक में पढ़े👇👇👇👇

 बदलाव 


चाकू के घाव भर सकते हैं मगर शब्दों के घाव नहीं भर सकते हैं
मीना बहुत ही सीधी सादी और शांत सी लड़की हुआ करती थी। मीना के घर में उसके भाई जो भी कहते थे मीना बिना कुछ सवाल जवाब किए मान लेती थी उसके पापा की पोस्टिंग ज्यादातर बाहर ही बाहर रहा करती थी और वो भी आते जाते रहते थे बाकी सब एक ही जगह रहते थे कभी उनके साथ कहीं और रहने नहीं गए इसलिए कभी उनका बहुत ज्यादा सहयोग नहीं मिला और भाई को ही अपने पिता का दर्जा देकर उनकी बात मानने लगी मीना ने कभी उनकी किसी बात पर कोई सवाल नहीं उठाया उसे लगता था

DR. SANJU TRIPATHI

बचपन की यादों में (गज़ल)

बचपन की यादों में खोकर, मेरा मन आज भी बच्चे जैसा ही बन जाता है। 
याद करता है वह शैतानियां, वह नादानियां फिर उसी में खोकर रह जाता है।

बारिश में भीग कर नहाना, वह मां-पापा की डांट खाना बड़ा याद आता है।
दादी-नानी से किस्से-कहानियां सुनना, वो करना अठखेलियां अब भी भाता है।

खेलने-कूदने के लिए, पढ़ाई से जी चुराना, वो बहाने बनाकर घूमना याद आता है।
स्कूल ना जाने को पेट दर्द का बहाना बनाना,और फिर समोसे खाना याद आता है।

क्लास से बाहर बैठने के लिए होमवर्क ना करके ले जाना बैठ कर गप्पे लड़ाना,
दोस्तों की टोली संग मौज-मस्ती करना समय बिताना, सताता है गुजरा जमाना।

भेदभाव रीति-रिवाजों से अलग,"एक सोच" को अपने में  ही खोये रहना सुहाता था।
चेहरे पर मासूमियत थी, दिल में ना कोई बैर था, बस केवल दोस्ती निभाना आता था।

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DR. SANJU TRIPATHI

तेरी तलब (ग़ज़ल)

बेस्वाद सी जिंदगी को मेरी जब से तेरे प्यार का स्वाद लग गया,
पल में सारे समां के साथ साथ जिंदगी का जायका बदल गया।

जीने लगे तेरे ही ख्वाबों खयालों में रात और दिन शाम-ओ-पहर,
तेरे तसव्वुर के सिवा जिंदगी में कोई भी ख्वाब बाकी ना रह गया।

तेरी तलब ऐसी लगी है कि मेरी सारी की सारी दुनियाँ बदल गई,
हर पल हर घड़ी खुदा से दुआओं में तुझे ही मांगने दिल लग गया।

कट रही थी मेरी जिंदगी तन्हाइयों में तूने शहनाइयों से सजा दी,
चाहने लगे दिल-ओ-जान से ज्यादा जाने तू कैसा जादू कर गया।

तेरे बिना जिंदगी जीने की "एक सोच" कभी सोच भी नहीं सकती,
तेरा नाम दिल के साथ-साथ हाथों की लकीरों पर भी लिख गया। #KKPC27
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DR. SANJU TRIPATHI

चरित्र हर बार जमाने में पवित्रता की वेदी पर, सदा स्त्रियों को ही क्यों चढ़ाया जाता है? गलती चाहे किसी की भी रही होती हो, क्यों स्त्री के चरित्र पर संदेह किया जाता है? स्त्री तो होती है अप्रतिम ममता की मूरत,

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चरित्र

हर बार जमाने में पवित्रता की वेदी पर, 
सदा स्त्रियों को ही क्यों चढ़ाया जाता है?
गलती चाहे किसी की भी रही होती हो,
क्यों स्त्री के चरित्र पर संदेह किया जाता है?
 

(👇👇शेष रचना अनुशीर्षक में पढ़े👇👇👇) चरित्र

हर बार जमाने में पवित्रता की वेदी पर, 
सदा स्त्रियों को ही क्यों चढ़ाया जाता है?
गलती चाहे किसी की भी रही होती हो,
क्यों स्त्री के चरित्र पर संदेह किया जाता है?

स्त्री तो होती है अप्रतिम ममता की मूरत,
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