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Krish Vj
आख़िरी ख़्वाहिश 'दिल' की, सिर्फ़ दीदार-ए-यार मिरी एक प्रहर गोद में सिर तेरे सिर्फ़ यही सुकून-ए-रूह मिरी नब्ज चले या ना चले, तू ही तो साँसो पर इख़्तियार मिरी प्रेम का शोर तू नस-नस में तू, तेरी तलबगार है रूह मिरी ज़िन्दगी में दर्द था, तेरे आने से हँसी 'रुख़सार' पर मिरी वाकिफ़ ज़माने के सितम से मैं, मरहम-ए-यार तुम मिरी मिलता नसीब से इश्क़ का ख़ुदा, तू ही तो हर दुआ मिरी इबादत करूँ,पलकों की बिछावन करूँ, तू ही खुशी मिरी ज़िन्दगी पर जोर कहाँ, तुम से बिछड़ना ही तो मोत मिरी आख़िरी प्रहर-ए-ज़िन्दगी साथ तू, तू ही तो साँसे है मिरी आख़िरी ख़्वाहिश 'दिल' की, सिर्फ़ दीदार-ए-यार मिरी एक प्रहर गोद में सिर तेरे सिर्फ़ यही सुकून-ए-रूह मिरी नब्ज चले या ना चले, तू ही तो साँसो पर इख़्तियार मिरी प्रेम का शोर तू नस-नस में तू, तेरी तलबगार है रूह मिरी ज़िन्दगी में दर्द था, तेरे आने से हँसी 'रुख़सार' पर मिरी वाकिफ़ ज़माने के सितम से मैं, मरहम-ए-यार तुम मिरी
Poonam Suyal
रात के आखिरी पहर भी आती है हमें तुम्हारी बेहद याद ज़हन में हमारे रहते हैं वो पल जो बिताए थे तुम्हारे साथ एक अजीब सा रूहानी सुकून था मिला हमें तुम्हारे आगोश में सिर्फ़ प्यार ही दिखा था तुम्हारी आँखों में जब हमें देखा था तुमने दिल में मेरे वो लम्हे अंकित हो गए हैं सदा सदा के लिए चाहे दिन का हो कोई भी पहर हम भूल उन्हें नहीं सकते ♥️ Challenge-696 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
Nazar Biswas
आख़िरी पहर है तेरे मेरे साथ का,अब जाना होगा, कल मिले ना मिले इस बात का क्या ठिकाना होगा? दिल में तेरी यादों के किस्से सदा रहेंगे जवां, मेरे ख़्यालों को तेरी यादों का बहाना होगा। मन बोझिल ना करना, वही धुन गुनगुना लेना तुम, आँख रोएगी मगर हंसी लबों का मुस्कुराना होगा। अधूरी मोहब्बत भी अधूरे शख्स को पूरा कर जाती, पहर कोई हो पहर तुझसे जुड़ा सुहाना होगा। मेरी चाहों को अब और कोई चाहतें ना रही, तेरे सिवा मुझको अब यहाँ कुछ भी ना गवारा होगा। ढल जायेंगे ये रात और दिन, ढल जायेगा बदन, पर जहाँ में तेरे मेरे प्यार का अफ़साना होगा। ♥️ Challenge-696 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
Anita Saini
तू जो मिला मेरा जहाँ मिल गया तेरे साये तले ज़िंदगी का आख़री पहर हो निशदिन रहे ख़यालों में तुम अब तेरे आग़ोश में अब हर सहर हो। ज़िंदगी के रेगिस्तान में छाया दे तुम मेरे लिए वो हरा शज़र हो। धूप किनारे कर साया बनना तुम तेरी पलकों तले मेरा घर हो। सुनो रूठूँ जो कभी तुम मना लेना मेरी पलकों पर धरे तेरे अधर हो। कितना हसीन मंज़र होगा जब तू मेरे अश्क़ पोंछे और सीने पर सर हो। अब मुझे क्यूँ हो परवाह किसी की तू जो साथ मेरे फिर क्यूँ किस का डर हो। एक दूजे के सीने में ठिकाना है अपना छूटे दुनिया सारी चाहे बंद अब हर दर हो ♥️ Challenge-696 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
Dr Upama Singh
मोहब्बत का फूल दिल में खिला कर। मुस्कुरा कर दर्द दिल में देकर वो चल दिए।। छोड़ मुझे वो तन्हा महफ़िल में। अब प्यार शहर किसी पर एतबार ना रहा।। ये अजनबी रास्ते अब थाम ले तू मेरा हाथ। जिसे अपना समझा था वो छोड़ रहें मेरा साथ।। आख़िरी पहर आख़िरी सफ़र जिंदगी का मेरा। चल रे ऐ दिल! यहां नहीं है कोई तेरा।। ♥️ Challenge-696 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
Divyanshu Pathak
मैं शहर के किनारे का झरना लगा प्यास जिसको लगी उसको भरना लगा भीड़ लगती रही यूँ किनारों पे भी ख़्वाहिशों का बड़ा मुझपे धरना लगा मुस्कुराए सभी देके पत्थर मुझे दर्द तुझको ही ना मेरा सरना लगा आकर के ज़ख़्मों को सहला दिया मैं तो बेचैन था तुमने बहला दिया आख़िरी सा पहर ये जो लगता मुझे तुमने छू कर इसे जैसे पहला किया मैं शहर के किनारे का झरना लगा प्यास जिसको लगी उसको भरना लगा भीड़ लगती रही यूँ किनारों पे भी ख़्वाहिशों का बड़ा मुझपे धरना लगा मुस्कुराए सभी देके पत्थर मुझे दर्द तुझको ही ना मेरा सरना लगा
अभिलाष सोनी
बहुत ख़ूबसूरत हो तुम, मैं तो हरपल तुम्हारा दीदार करूँगा। यकीन मानो मैं आख़िरी पहर तक, तुम्हें यूँ ही प्यार करुँगा। न कोई नफा न नुकसान इसमें, मैं ये सौदा बार बार करूँगा। यकीन मानो मैं आख़िरी पहर तक, तुम्हें यूँ ही प्यार करुँगा। मेरे ख़्वाबों में बसती हो तुम, तुम्हें कैसे मैं इनकार करूँगा। यकीन मानो मैं आख़िरी पहर तक, तुम्हें यूँ ही प्यार करुँगा। जब भी मिलोगी तुम मुझसे, मैं हर बार ही इजहार करूँगा। यकीन मानो मैं आख़िरी पहर तक, तुम्हें यूँ ही प्यार करुँगा। इस जीवन में क्या, मैं तो सातों जनम तुम्हें स्वीकार करूँगा। यकीन मानो मैं आख़िरी पहर तक, तुम्हें यूँ ही प्यार करुँगा। मेरी चाहत का इम्तिहान न लो, मैं बार बार पुकार करूँगा। यकीन मानो मैं आख़िरी पहर तक, तुम्हें यूँ ही प्यार करुँगा। ♥️ Challenge-696 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
DR. SANJU TRIPATHI
पल पल बीत रहे वक्त के साथ दिल की बेकरारी बढ़ रही है, आ जाओ सनम एक बार तेरे दीदार को आँखें तरस रही हैं। तुम ना आओगे तो तुम्हारे इंतजार में सदियाँ गुजार देंगे हम, तुम्हारी चाहत से ही चलती है साँसे तुम पर ही वार देंगे हम। चाहत हो तुम जिंदगी के आख़िरी पहर तक तुमको ही चाहेंगे, हाथों की लकीरों में बसाकर तुमको ही हम किस्मत बनाएंगें। तुम्हें अपना बनाने के लिए ही इस दुनिया में आएँ हैं हम सनम, खुदा से मांग कर तुम्हें ही अपना हमसफर बनाएंगे हम सनम। तुमको ही आ करके मेरे दिल की सूनी महफिल को सजाना है, एक नहीं बल्कि जन्मों-जन्मों के लिए खुदा से तुमको मांगना है। ♥️ Challenge-696 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
Sangeeta Patidar
चाँद पर उकरे हुए उन चेहरों में, सूरज से खिले आख़िरी पहरों में, मैंने तुझे कहाँ-कहाँ नहीं ढूँढ़ा, मगर तू मुझे मिली नहीं कहीं, क्योंकि तू मेरे अंदर ही थी कहीं... तू मेरे अपनों में शामिल नहीं थी, तू मेरे ख़्वाबों में हासिल नहीं थी, फिर भी जाने कैसे मुझसे मिली तू, मैं तो कभी तेरे क़ाबिल नहीं थी, उम्मीद की डगमगाती किरणों में, कस्तूरी के पीछे भागती हिरणों में, मैंने तुझे कहाँ-कहाँ नहीं ढूँढ़ा, मगर तू मुझे मिली नहीं कहीं, क्योंकि तू मेरे अंदर ही थी कहीं... तेरा दिल छूलूँ ऐसा हुनर भी नहीं, तुझे अपना कहूँ वो हक भी नहीं, फिर भी तूने नाम 'ज़िंदगी' दे दिया, मुझे कोई तेरा कहे ऐसे पल भी नहीं, मौसम की इन बदलती हवाओं में, फ़िज़ा की इन गुनगुनाती अदाओं में, मैंने तुझे कहाँ-कहाँ नहीं ढूँढ़ा, मगर तू मुझे मिली नहीं कहीं, क्योंकि तू मेरे अंदर ही थी कहीं... चाँद पर उकरे........ही थी कहीं। -संगीता पाटीदार 'धुन' चाँद पर उकरे हुए उन चेहरों में, सूरज से खिले आख़िरी पहरों में, मैंने तुझे कहाँ-कहाँ नहीं ढूँढ़ा, मगर तू मुझे मिली नहीं कहीं, क्योंकि तू मेरे अंदर ही थी कहीं... तू मेरे अपनों में शामिल नहीं थी, तू मेरे ख़्वाबों में हासिल नहीं थी,
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