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DR. SANJU TRIPATHI
करवाचौथ का चाँद हो तुम, आज जरा जल्दी आ जाना। सुहागिनों को अखंड सुहाग, पति की लम्बी उम्र दे जाना। हथेली पर सजायी है मेंहदी और हाथों में पहना है कंगना। किये सोलह श्रृंगार, लिए मन में पति की लम्बी उम्र की कामना। मेरा सारा घर-परिवार और मेरे जीवन का प्यार साजन से ही है। नखरे मत दिखाना, जरा जल्दी आकर मेरा उपवास पूरा कराना। निर्जल व्रत रखकर कर रही हूं इंतजार, आकर कर दो उद्धार। सात जन्मों का साथ रहे, आबाद रहे, हमारे प्यार का संसार। प्रतियोगिता. 5 विषय _ करवाचौथ का चांँद पंक्तियांँ _ 8 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें 🌈 कोलैब करने के पश्चात कमेंट में Done लिखें । 🌈समयावधि_
DR. SANJU TRIPATHI
वक्त कभी भी ना रूकता है, ना थकता है, किसी के लिए, वक्त का सफ़र, मुसलसल चलता रहता है, सभी के लिए। गुमनाम सी मंजिलें हो चाहे, जाने-पहचाने से रास्ते हो, साथ सारे अपनों का हो या साथ कोई अनजाने का हो। वक्त का दरिया, हरपल बहकर बस यही कहता रहता है। वक्त के संग बहकर ही, जिंदगी में खुशियां पा सकते हैं। जिंदगी में विश्वास और उम्मीदों को हमेशा बनाए रखो। जीवन में कभी हार न मानो, वक्त के साथ चलना सीखो। प्रतियोगिता. 4 विषय _ वक्त का सफर पंक्तियांँ _ 8 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें 🌈 कोलैब करने के पश्चात कमेंट में Done लिखें । 🌈समयावधि_ 3 नवंबर रात 12:00 बजे तक
DR. SANJU TRIPATHI
रेत सी जिंदगी है जितना समेटने की कोशिश करो,उतना ही अधिक फिसलती जा रही है। बीतते वक्त के साथ जिंदगी का वजूद मिटाकर, जिंदगी में खलबली मचाती ही जा रही है। हमने भी ठान रखी है अपनी जिंदगी को जमीन पर ही स्वर्ग से भी ज्यादा सुंदर बनायेंगें। रेत सी है जिंदगी तो,रेत में प्रेम और विश्वास का सीमेंट मिलाकर इसको मजबूत बनाएंगे। ख्वाहिशों की ईंटों से दीवारें बना प्रेम और विश्वास के सीमेंट से भरकर प्रेम से सजाएंगे। कर्म के हौसलों की स्याही से दीवारों को रंगीन बनाकर जिंदगी हसीन व रंगीन बनाएंगे। अपनों को दूर करती, कभी सपने भी तोड़ती फिर भी उम्मीद जगाये ही रखती है जिंदगी। उलझनें ना देंगे फिसलने न देंगे जिंदगी को, अपनी जिंदगी अपनी मनमर्जी की बनायेंगें। -"Ek Soch" प्रतियोगिता. 3 विषय _ दिए गए बैकग्राउंड को आधार बनाकर एक रचना लिखिए 8 पंक्तियों में 🌈 कोलैब करने के पश्चात कमेंट में Done लिखें । 🌈समयावधि_ 1 नवंबर रात 12:00 बजे तक
DR. SANJU TRIPATHI
तुझ संग मोहब्बत के मैंने सपने सजाए। ना कोई खबर की ना तुम खुद ही आए। तुझ बिन आंखों में बीती सारी रात मेरी। फिजाओं ने भी मेरे संग दर्द के गीत गाए। कितनी चाहत थी तुमको मैं अपना बनाऊं। तुझको पाकर सदा मैं मिलन के गीत गाऊं। वफाई के बदले मुझको बेवफाई मिली है। अपना हाल-ए-दिल मैं किसको सुनाऊं। तड़पती रहती हूं मैं तेरी चाहत में कितना, "एक सोच" का यह किस्सा कैसे बताऊं। द्वितीय प्रतियोगिता, विषय _ आंँखों में बीती सारी रात 10 पंक्तियों में एक ग़ज़ल लिखिए । कोलैब करने के पश्चात कमेंट में Done लिखें । समयावधि_
Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष के चतुर्थी तिथि को, नभ पर जब चाँद घटते क्रम में आता है, निर्जला कठिन उपवास करतीं हैं सुहागिनें, जिससे पति का सोया भाग्य भी जाग जाता है। कठिन से कठिन व्रत है तीज, करवा चौथ, नियम पूर्वक सुहागिनें नेमत से व्रत उठाती हैं, सज-धज कर सोलह श्रृंगार करके, पति की सलामती दीर्घायु की कामना मन में लाती हैं। त्योहारों का यह कार्तिक मास में, करवा चौथ व्रत करने वाली सौभाग्यशाली कहलाती हैं, दिनभर उपवास करने के उपरांत, छलनी से चाँद को निहार कर पति को देख हर्षाती हैं। चाँद के दर्शनोपरांत पति के हाथों, जल ग्रहण कर अपने उपवास को सम्पन्न कर पातीं हैं, आस्था मन में रखकर चाँद को साक्षी बना, सात जन्मों तक पति के साथ बंँध जाती हैं। प्रतियोगिता. 5 विषय _ करवाचौथ का चांँद पंक्तियांँ _ 8 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें 🌈 कोलैब करने के पश्चात कमेंट में Done लिखें । 🌈समयावधि_
Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
वक्त का सफ़र को, आज तक कोई भी नहीं जान पाया है, अधिकांशतः वक्त गुजरने के बाद ही, वक्त को समझ पाया है। वक्त नहीं है किसी के पास, आज हर व्यक्ति इतना व्यस्त है, कोई जिम्मेदारियाँ निभा रहा, तो कोई अपने आप में मस्त हैं। जो वक्त के पाबंद हैं, वो मजबूर हैं वक्त के साथ चलने के लिए, वक्त सबको एक मौका देता है, अपना वक्त बदलने के लिए। वक्त की पाबंदियों में हम सभी, अपने वक्त के गुलाम हो रहे हैं, वक्त के आभाव में अपनों को भूलकर, अपने वजूद खो रहे हैं। प्रतियोगिता. 4 विषय _ वक्त का सफर पंक्तियांँ _ 8 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें 🌈 कोलैब करने के पश्चात कमेंट में Done लिखें । 🌈समयावधि_ 3 नवंबर रात 12:00 बजे तक
Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
तपती दुपहरी चिलचिलाती धूप, सिर्फ बिच्छू,बबूल की झाड़ी है, दूर-दूर तक निर्जन बियाबान, यहाँ सिर्फ ऊँट ही एक सवारी है। हर तरफ सिर्फ रेत के टीले, बस आँधियों का ही बोलबाला है, पानी का नामोनिशान नहीं, मवेशियों का ना चारा ना निवाला है। ना शीत बसंत, ना पतझड़ सावन, ना कोई भीगता, ठिठुरता है, रेत पर ऊँटों के पद चिन्ह मिलते, ऊपर आसमान सुलगता है। कैक्टस, बबूल की बहुतायत यहाँ, ऊँटों के घंटियाँ टुनटुनाते हैं, पानी के आभास में यहाँ, प्राय: मृग मरीचिका ही देखे जाते हैं। प्रतियोगिता. 3 विषय _ दिए गए बैकग्राउंड को आधार बनाकर एक रचना लिखिए 8 पंक्तियों में 🌈 कोलैब करने के पश्चात कमेंट में Done लिखें । 🌈समयावधि_ 1 नवंबर रात 12:00 बजे तक
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