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Nandini Rastogi
White मेहनत की स्याही से लिख दी अपनी किस्मत अब इंतजार है सिर्फ भोर होने का। ©Nandini Rastogi #safar #भोर
अदनासा-
प्रकृति के भोर को पंछीयों का दौर दो मदहोश वाहनों का घनघोर शोर नही ©अदनासा- #हिंदी #प्रकृति #भोर #पंछी #दौर #वाहन #शोर #नही #Instagram #अदनासा
Rajnish Shrivastava
रवि गगन से अपनी छवि जल में निहार रहा । धरती को अपनी स्वर्णिम छटा से निखार रहा । बड़ा मनमोहक है प्रभात का खूबसूरत नजारा हर कोई अद्भुत सौन्दर्य को दिल मे उतार रहा । ©Rajnish Shrivastava #भोर का नजारा
Sunita Sharma
चांद शरमा रहा दिन उग रहा पलक-पर-भोर माथे-पर सूरज-चुम्बन ! ©Sunita Sharma #दुनिया #चाँद #शर्माना #भोर #चुम्बन
Rakesh frnds4ever
धुंधली शाम के मानिंद आंखें भी धुंधला चुकी हैं ओर इस धुंधलेपन में मंजिल भी शायद धूमिल हो चुकी है संध्या का सूरज जिस तरह डूब रहा है,, जैसे जैसे श्यामलता घटती जा रही है, वैसे वैसे ही जिंदगी में शामिल ये तिमिर ये अंधकार भी मुझमें और मैं इसमें डूबता जा रहा हूं,, क्या पता किसी रोज इस संध्या की अंधेरी रात के पश्चात का भोर रूपी सवेरा होने ही ना पाए,, क्या पता कब वो क्षण आए जब ये सांझ ढलते ढलते जीवन की भी संध्या बेला को भी साथ में ढाल ले जाए,,,... ©Rakesh frnds4ever #Shajar #धुंधली #शाम के मानिंद आंखें भी धुंधला चुकी हैं ओर इस धुंधलेपन में मंजिल भी शायद #धूमिल हो चुकी है #संध्या का सूरज जिस तरह डूब रहा है,, जैसे जैसे श्यामलता घटती जा रही है, वैसे वैसे ही जिंदगी में शामिल ये तिमिर ये #अंधकार भी मुझमें और मैं इसमें डूबता जा रहा हूं,,
Rakesh frnds4ever
वो रातें जो जाग कर निकलती है जिसमें हर इक पल में अंधेरा आपके मन रूपी भवनों/इमारतों/मकानों की भावनाओं/जज्बातों/ख्वाबों खयालातों रूपी कंद्राओं ओर शिलाओं ओर द्वंद एवम कुंठाओ रूपी खिड़कियों / रोशनदानों से आर पार होता हुआ किसी अनजान अनंत अगमय जगह पर घर करता हुआ बैठता चला जाता है उन रातों की भोर होने में ओर सुबह होने काफी बरसो का असीमित समय लग जाता है,,,... ©Rakesh frnds4ever #WoRaat वो #रातें जो जाग कर निकलती है जिसमें हर इक पल में #अंधेरा आपके #मन रूपी भवनों/इमारतों/मकानों की #भावनाओं /जज्बातों/ख्वाबों खयालातों रूपी #कंद्राओं ओर शिलाओं ओर द्वंद एवम #कुंठाओ रूपी खिड़कियों / रोशनदानों से
रिपुदमन झा 'पिनाकी'
भोर की उजली किरण लाई उजाला हर तरफ। ओस की बूँदें बिछीं बनकर दुशाला हर तरफ। लालिमा लेकर गगन में रवि हुआ है अवतरित- आँख मलती उठ रही जीवन विशाला हर तरफ़। प्रकृति ने है सजा दी रंगशाला हर तरफ। बिछ गई सुंदर सुवासित पुष्पमाला हर तरफ। हैं चहकती करती कलरव सप्तसुर में पँछियाँ- गूँज उठ्ठा घंटियों से है शिवाला हर तरफ। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki #भोर
Rakesh frnds4ever
श्याम की शयमलता ओढ़े पीले फूल भोर की लालिमा युक्त लाल फूल सूरज के उजाले से तेज स्वेत फूल आकाश से नीले फूल सांझ से केसरिया फूल प्रकृति की विभिन्न छटाओं,रूपों , स्वरूपों में उपस्थित अनेकों रंगों के फूल मन के विभिन्न भावों, विभाओं, लहरों, झरोकों, किनारों, और मन की विभिन्न परतों को प्रफुलित ओर आनंदित करने सुगंधित करने का अनुपम जरिया हैं,,....!!! ©Rakesh frnds4ever #sunflower #श्याम की शयमलता ओढ़े पीले #फूल #भोर की लालिमा युक्त लाल फूल #सूरज के उजाले से तेज स्वेत फूल #आकाश से नीले फूल #सांझ से केसरिया फूल #प्रकृति की विभिन्न छटाओं,रूपों , स्वरूपों में उपस्थित अनेकों #रंगों के फूल
रिपुदमन झा 'पिनाकी'
वन उपवन खिलने लगे, हँसी सुघड़ ये भोर। पँछी के कलरव करे, कोलाहल हर ओर।। प्राणवायु बहने लगी, मंद मंद मुस्काए। पुष्प वल्लरी की महक, तन मन को महकाए।। हल काँधे पर डालकर, कृषि को चला किसान। मधुर गले से छेड़ती, कोयल मीठी तान।। बछड़े गउएं मेमने, करते मधुर पुकार। सुरमयी से सजने लगे, ये सुंदर संसार।। मन को मोहे दृश्य यह, सुख पावे दोउ नैन। प्रकृति की शोभा बढ़ा, मिलते हैं दिन रैन।। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki #भोर